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स्व. छंगाणी साहित्य, शिक्षा व संस्कृति के पुरोधा थे

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बीकानेर । प्रज्ञालय संस्थान एवम श्री जुबली नागरी भण्डार पाठक मंच की ओर से देश के ख्यात नाम साहियातकार कीर्ति शेष स्व -शिवराज जी छंगाणी की स्मृति में नागरी भण्डार स्तिथ सुदर्शन कला दीर्घा में वरिष्ठ साहित्यअनुरागी एवम संस्कृतिकर्मी नंद किशोर सोलंकी की अध्यक्षता में आयोजित की गई ।
स्मृति सभा में अपनी अध्यक्षता करते हुए नंदकिशोर जी सोलंकी ने कहा की शिवराज जी छंगाणी ने जीवन पर्यंत मातृ भाषा राजस्थानी को जिया । स्मृति सभा में अपना सानिध्य देते हुए राजस्थानी भाषा के साहित्यकार कमल रंगा ने कहा की स्वर्गीय छंगाणी साहित्य संस्कृति व शिक्षा के महान पुरोधा थे ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजेंद्र जोशी ने कहा की स्व छंगाणी लोक संस्कृति के कुशल चितेरे थे ।डॉ मदन सैनी ने उन्हे अपनत्व की प्रति मूर्ति बताया।

डॉ भॅवर लाल ,भ्रमर ने उन्हें अजात शत्रु बतलाते हुए याद किया, वही डॉ ब्रजरातन जोशी ने सफलता नहीं सार्थकता के समर्पित बहुआयामी प्रतिभा बतलाया। डॉ गौरी शंकर प्रजापत ने उन्हें याद करते हुए एक नेक इंसान एवं समर्पित गुरु बताते हुए अपनी श्रद्धा व्यक्त की प्रमोद शर्मा ने उनसे जुड़े कुछ संस्मरण साझा किया गिरिराज पारीक ने उन्हें नमन करते हुए नेक इंसान बताया और कहा की वह मातृभाषा के सच्चे सपूत थे। डॉक्टर अजय जोशी ने उन्हें अपना मार्गदर्शक बताते हुए याद किया तो वही डॉक्टर नर्सिंग बिन्नानी ने उन्हें एक भाषा विद्वान के रूप में याद करते हुए अपनी बात कही।

श्रद्धांजलि सभा में शायर इरशाद अजीज ने उन्हें याद करते हुए समृद्ध मंच कवि और लोकप्रिय साहित्यकार की बात कही। वहीं शिक्षाविद संजय सांखला ने उन्हें सहज और सरल व्यक्तित्व का धनी बताते हुए याद किया। मदन गोपाल जैरी ने उनसे जुड़े हुए कई साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्मरण साझा करते हुए उन्हें याद किया। बुंदेल सिंह चौहान ने उन्हें याद करते हुए मातृभाषा की मान्यता की बात उठाई। एडवोकेट इरशाद हसन कादरी ने उन्हें गद्य विधा का महान लेखन बताया। इसी कड़ी में एडवोकेट सुरेश नारायण पुरोहित ने अपने नारायण परिवार की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए अपनी भावनात्मक काव्यांजलि प्रस्तुत की। एडवोकेट गंगा बिशन बिश्नोई ने कहा कि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब राजस्थानी को मान्यता मिलेगी। शकूर बिकाणी ने उन्हें श्रद्धांजलि के माध्यम से नमन किया।

तो युवा राजस्थानी मोटियार परिषद के प्रशांत जैन ने उन्हें याद करते हुए कहा कि सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब राजस्थानी को मान्यता मिलेगी। कासिम बीकानेरी ने अपनी बात रखते हुए कहा की छंगाणी के जैसे हिंदी राजस्थानी के विद्वान को और उनकी परंपरा को हमें प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए। जाकिर अदीब ने कहा कि स्व छंगाणी नेक और भले इंसान थे जिन्होंने जीवन भर सामाजिक और साहित्यिक क्षेत्र में लगन और निष्ठा से कार्य किया। बज्जू से आए हुए संग्राम सिंह सोढा ने उन्हें याद करते हुए कहा कि स्व छंगाणी राजस्थानी साहित्य के एक स्तंभ थे। आत्माराम भाटी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वह ऐसे इंसान थे जो नयी पीढ़ी को हमेशा प्रोत्साहन देते थे।

अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए इस पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि कार्यक्रम में डॉक्टर तुलसीराम मोदी, जुगल किशोर पुरोहित , राजेंद्र कोचर , बी एल नवीन , छगन सिंह, गोपाल गौतम , संतोष शर्मा, दिनेश, हरि नारायण सहित गणमान्य लोगों ने उन्हें राजस्थानी का पुरोधा बताते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया। युवा गौ सेवक महेंद्र जोशी ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि स्वर्गीय छंगाणी राजस्थानी और हिंदी भाषा के लिए तो समर्पित थे ही साथ ही साथ हमारी लोक संस्कृति और हमारे सामाजिक सरोकारों के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहे।

कार्यक्रम का संचालन कवि राजेंद्र जोशी ने किया और प्रारंभ में स्व छंगाणी के तेल चित्र पर उपस्थित सभी कला अनुशासन के लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की और अंत में सभी लोगों ने 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें अपनी श्रद्धाजलि अर्पित करते हुए उन्हें याद किया ।
इस अवसर पर राज्य अभिलेखागार के निदेशक डा नितिन गोयल द्वारा भेजे गए स्वर्गीय छंगाणी के प्रति भावनात्मक शोक संदेश पत्र का वाचन गिरिराज पारीक ने किया जो उनके परिजनों को भेंट कर दिया गया ।

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