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पाठक के मन के करीब हैं रंगा की रचनाएं

बीकानेर। रंगा की रचनाओं में मानवीय संवेदनाओं का चित्रण है। यह रचनाएं सामाजिक विद्रूपताओं पर करारा प्रहार करती हैं। प्रत्येक रचना में एक संदेश निहित है, जो इनकी सबसे बड़ी खूबी है।अजित फाउंडेशन सभागार में मुक्ति संस्थान की ओर से कवि-कथाकार अशोक रंगा की दो पुस्तकों के विमोचन के दौरान वक्ताओं ने यह उद्गार व्यक्त किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र जोशी ने की। उन्होंने कहा कि रंगा के साहित्य सृजन में अनेक पहलुओं को छुआ गया है। इनकी कविताएं सरल और सहज, लेकिन गूढ़ अर्थ लिए हैं। मुख्य अतिथि डॉ. अजय जोशी ने कहा कि रंगा ने निबंध लेखन में नए प्रयोग किए हैं। इनमें लेखक मन का अनुभव स्पष्ट दिखता है। वरिष्ठ साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि रंगा की रचनाएं पाठक के मन के करीब हैं। लेखक ने सरल शब्दों में बहुत कुछ कहने का प्रयास किया है।

इससे पहले अतिथियों ने रंगा के काव्य संग्रह ‘सावन की बरसात’ तथा निबंध संग्रह ‘हमारा रेगिस्तान’ का विमोचन किया। साहित्यकार मनीष जोशी ने स्वागत उद्बोधन दिया। निबंध संग्रह पर पत्र वाचन हरिशंकर आचार्य तथा काव्य संग्रह पर पत्र वाचन वंदना पुरोहित ने किया। अशोक रंगा ने पुस्तक लेखन से जुड़े अनुभव सांझा किए। साहित्यकार महेंद्र रंगा ने कविता पर आधारित बार रखी। आनंद व्यास ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन राजीव पुरोहित ने किया।

कार्यक्रम में राजाराम स्वर्णकार, लीलाधर बोहरा, आनंद व्यास, मोहम्मद फारूक, अहमद व्यास, गिरिराज पारीक केशव प्रसाद बिस्सा, अरविंद रंगा, बृज मोहन जोशी आदि मौजूद रहे।

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