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500 सालों तक संग्रहित कर रखा जा सकता है मोटा अनाज- अग्रवाल

मोटे अनाज के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न

बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा 7 फरवरी से प्रारंभ मोटे अनाज के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण 13 फरवरी को सम्पन्न हु‌आ। समापन अवसर पर आयोजित समारोह में श्री हरी इंडस्ट्री, खारा के प्रबंध निदेशक मुकेश अग्रवाल ने बतौर अतिथि भागीदारी की। समारोह की अध्यक्षता सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. विमला ङूकवाल ने की।

मुकेश अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि मोटे अनाजों को चमत्कारी खाद्य तथा प्राचीन खाद्य के रूप में भी जाना जाता है। इनकी विशेषता है कि ये 500 सालों तक भी संग्रहित कर रखे जा सकते हैं तथा प्राचीन समय में अकाल की विभीषिका से बचने के लिए इनके बीजों का भंडारण किया जाता था। कम अवधि में पकने के कारण ये विशेष महत्व रखते थे। इस अवसर पर अधिष्ठाता डॉ. विमला ङूकवाल ने कहा कि मोटे अनाज पाचन की दृष्टि से बेहतर होते हैं। स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता ने मोटे अनाजों के उपयोग को बढ़ावा दिया है। उन्होंने मोटे अनाज के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर आयोजित इस प्रशिक्षण की महत्ता पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गये। प्रशिक्षण में जैसलमेर की महिला साकू ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ज्यादातर ग्रामीण महिलाएं नरेगा कार्यों तक ही सीमित रहती हैं, उन्हें विश्वविद्यालय के नवाचारों से प्रेरणा लेकर स्वयं उद्यम स्थापित करने चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मंजू राठौड़ ने किया तथा डॉ. परीमिता ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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