सीएम साहब, श्रमजीवी पत्रकारों के लिए भी जारी करें तीन गारंटी
जयपुर । फुलेरा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेता व वरिष्ठ पत्रकार कैलाश शर्मा ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर श्रमजीवी पत्रकारों के लिए भी तीन गारंटी जारी करने का आग्रह किया है। शर्मा ने पत्र में बताया कि आज आपने राजस्थान में सात गारंटी लांच की जिसके लिए समूचे राजस्थान के करोड़ों नागरिकों तथा 5.26 करोड़ से अधिक मतदाताओं की तरफ से साधुवाद एवं आभार।
सर एक अति-शोषित और पीड़ित तबके की ओर से निवेदन कर रहा हूं, यह वह तबका है जो दीपक की तरह खुद जलकर दूसरों के लिए प्रकाश बनता है, आवाज उठाता है लेकिन खुद इस तबके की आवाज कहीं नहीं सुनी जा रही। आर्थिक रूप से यह तबका नियोक्ताओं के शोषण का शिकार है इसीलिए गारंटी की दरकार है। यह तबका है पत्रकारों का जो वेतन-मानदेय पर आश्रित है।
सर राजस्थान में 5000 से अधिक पत्रकार वेतन भोगी है और 60 हजार से अधिक स्टिंगर्स अर्थात स्थानीय संवाददाता है जो नाम मात्र के मानदेय और कहीं-कहीं तो बिना कुछ मिले ही सेवा दे रहे हैं।
- वेतनभोगी पत्रकारों की जहां तक बात है, उन्हें वेतन आयोगों द्वारा निर्धारित वेतनमान नहीं मिल रहे और राजस्थान के सभी प्रमुख मीडिया घराने उनका शोषण कर रहे हैं। पत्रकारों के रोजगार की गारंटी नहीं है, उन्हें कभी भी रूखसत कर दिया जाता है. जिसके बाद उनकी स्थिति बहुत दयनीय हो जाती है। ऐसे में प्रथम गारंटी यह चाहिये कि जो भी पत्रकार किसी मीडिया घराने अर्थात अखबार न्यूजचैनल आदि में नियोजित है, उसे सेवा निवृत्ति तक रोजगार की गारंटी सुनिश्चित की जाये। सरकार की ओर से मीडिया घरानों को पाबंद किया जाये कि वे किसी भी पत्रकार को सेवा निवृत्ति आयु तक कार्य-पृथक न करें तथा नियमानुसार वेतनमान दें।
- प्रांत में 60 हजार से अधिक पत्रकार विभिन्न टीवी चैनलों-अखबारों में खबर-समाचार कथाएं प्रेषित करते हैं, जिसका उन्हें सामान्यतः कोई मानदेय नहीं मिलता और मिलता भी है तो इतना कि बाईक का मासिक पेट्रोल खर्च भी नहीं निकलता। ऐसे पत्रकारों को स्ट्रिंगर्स अर्थात संवाददाता कहा जाता है। इन सभी को 40 हजार रूपये मासिक नियोक्ता की ओर से मानदेय मिले, इसकी गारंटी सुनिश्चित की जाये।
- सेवा निवृत्ति उपरांत पत्रकारों की आय का कोई जरिया नहीं होता, अतः उन्हें 45000 रूपये मासिक पेंशन मिले, इसके लिए कोई योजना बने और नियोक्ताओं को इसके लिए पाबंद किया जाये। यह पेंशन सरकार नहीं बल्कि नियोक्ता दे।
सर अखबारों-इलेक्ट्रानिक मीडिया को राजस्थान में 3000 करोड़ रूपये से अधिक का राजस्व सरकारी व गैर-सरकारी विज्ञापनों से मिलता नियमानुसार वेतन-मानदेय और पेंशन तो दें, यह गारंटी आप सुनिश्चित करवायें।