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उद्योग, वाणिज्य प्रतिष्ठान व आम कंज्यूमर्स से वसूले जा रहें सरचार्ज व अन्य शुल्क वापिस लें सरकार

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लघु उद्योग भारती का पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन, लगाए गंभीर आरोप

बीकानेर । उद्योग, वाणिज्य प्रतिष्ठान व आम उपभोक्ताओं से सरकारी हठधर्मिता व विद्युत विभाग द्वारा वसूले जा रहे फ्यूल सरचार्ज, विशेष फ्यूल सरचार्ज, सोलर शुल्क सरचार्ज व अन्य शुल्क वापिस लेने बाबत लघु उद्योग भारती द्वारा विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर पूरे राजस्थान प्रदेश में धरना प्रदर्शन एवं ज्ञापन सौंपकर विरोध दर्ज कराया गया।

फ्यूल सरचार्ज और विशेष फ्यूल सरचार्ज के नाम पर विद्युत बिलों में बढ़ी हुई राशि दुगनी से भी ज्यादा हो गई है। विदयुत निगमों की अकर्मण्यता व घोर लापरवाही के कारण लघु उद्योग, व्यापार जगत व आम नागरिक को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और लघु उद्योग तो बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

इसी क्रम में बीकानेर इकाई ने भी अध्यक्ष हर्ष कंसल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन अति. जिला मजिस्ट्रेट, उर्जा मंत्री के नाम ज्ञापन उनके कार्यालय तथा विद्युत विभाग का ज्ञापन उनके एसीई को सौंप कर विरोध दर्ज करवाया। प्रदर्शन में सचिव प्रकाश नवहाल, कोषाध्यक्ष मोहित करनानी, उपाध्यक्ष राजेश गोयल, नीरज जैन, सुनील कंसल, रमेश अग्रवाल, अमित डूमरा आदि शामिल हुए ।

राजस्थान के उद्योग क्षेत्र एवं व्यापारिक संगठनों पर है अनेक दबाव
– राजस्थान राज्य उद्योगों एवं व्यावसायिक संस्थानों को देश में सबसे अधिक दरों पर महंगी बिजली देने वाले राज्यों में से प्रमुख है। इस कारण नये उद्योग व व्यावसायिक संस्थान राजस्थान में निवेश करने से कतराते है।

– कुछ क्षेत्रों को दी जाने वाली सस्ती बिजली एवं निशुल्क बिजली की भरपाई उद्योगों से अधिक दर पर बिजली आपूर्ति करके वसूली जाती है।

– अब कोयला खरीद की अव्यवस्था एवं लापरवाही को भी विशेष फ्यूल सरचार्ज के नाम से उद्योगो के माथे मढ़ा जा रहा है –

– फ्यूल सरचार्ज व स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम पर विद्युत बिलों में बढ़ी हुई राशि दुगुनी से भी ज्यादा ।

– विद्युत निगमों की अकर्यण्ता व घोर लापरवाही-लघु उद्योगों व व्यापार जगत को भारी नुकसान।

– विद्युत निगमों द्वारा वर्ष 2022-23 के चार तिमाही का फ्यूल सरचार्ज पिछले दो माह से बिजली बिलों में वसूला जा रहा है। वर्ष 2022-23 का फ्यूल सरचार्ज पिछले वर्षों के बिजली बिलों में लिया जाना चाहिये था, अब वर्ष समाप्ति पर इसे विद्युत बिलों में जोड़ना विद्युत अधिनियमों के विपरीत है तथा उपभोक्ताओं के साथ एक तरह से धोखाधड़ी है।

– घटिया कोयले की खरीद, कोयले की उपलब्धता में कमी, विदेशों से चार गुना महंगा कोयला खरीदना तथा तापीय विद्युत गृहों की सही रखरखाव नही रखवाना तथा सोलर एण्ड विन्ड प्लांट्स द्वारा उत्पादन के नाम पर बार बार तापीय विद्युत गृहों को बन्द करना, निगमों मे घोर निकम्मापन, अपारदर्शिता तथा जिम्मेदारी का अभाव दर्शाता है। इसी वजह से विद्युत बिलों में फ्यूल सरचार्ज व स्पेशल फ्यूल सरचार्ज जोड़ा जाकर 59 पैसे प्रति यूनिट तथ पिछले बारह महिनों का बकाया जोड़कर हर माह वसूला जा रहा है। निगमों से अडानी पावर लि. द्वारा 11268 /- करोड़ो रूपये आयतित कोयले के कारण अतिरिक्त विद्युत उत्पादन पर खर्च की राशि उपभोक्ताओं से बिजली बिलों से वसूला जा रहा है। अभी निगम द्वारा आरईआरएल में एक याचिका प्रस्तुत कर अडानी पॉवर लि से 4647 करोड़ रूपये के अतिरिक्त भुगतान वापिस करने की मांग की गयी है। निगमों का कहना है कि यह राशि अडानी पॉवर द्वारा निगमों से फालतु वसूल कर ली है। क्या यह निगमों की उदासीनता नही दर्शाता है। अब उपभोक्ताओं से यह राशि 7 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से अगले 5 वर्षों मे वसूलने का क्या औचित्य है यह वसूली तुरन्त प्रभाव से बन्द करनी चाहिये तथा स्पेशल फ्यूल सरचार्ज जो गलत तरीके से आंका गया है। उसे बिलों से हटाना चाहिए तथा जो राशि वसूली जा रही है उसे तुरन्त प्रभाव से उपभोक्ताओं को निगमों द्वारा वापिस करना चाहिए ।

– विद्युत निगमों की हठधर्मी तथा पूर्ण रूप से निगमों की खराब कार्यशीलता को दर्शाता है और सारे विद्युत उपभोक्ता बढ़े हुए बिजली बिल से त्राही त्राही कर रहे है। खास तौर से लघु उद्योग व व्यापार से संबंधित उपभोक्ता, जिनका हर माह विद्युत बिल हजारों में आता रहता है वह अब दोगुने से भी ज्यादा आ रहा है। कुछ सेक्टर में ये राशि लाखों रूपये प्रतिमाह वसूली जा रही है।

– विदेशों से निम्नस्तरीय कोयले के आयात के कारण हुई लापरवाही को भी उद्योगों के सिर पर लादा जा रहा है। 5. अडानी समूह को किये गए 4647 करोड़ रुपये के अतिरिक्त भुगतान को भी उद्योगों से वसूल करने की तैयारी की जा चुकी है।

– सौर उर्जा क्षेत्र से सस्ती बिजली की अनुबन्धों को हतोत्साहित करके मंहगी बिजली खरीदने के मार्ग अपनाए जा रहे हैं।

– उद्योगों को सौर ऊर्जा उत्पादित करने से रोकने के मार्ग विद्युत विभाग द्वारा अपनाए जा रहे हैं । 8. विद्युत उत्पादन कम्पनियों द्वारा कोयले का कुप्रबंधन अर्थात् देरी से किये गए भुगतान के कारण उत्पन्न हुए ब्याज व पैनल्टी के भुगतान को भी उद्योगों पर स्थानान्तरित किया जा रहा है।

– एनर्जी एक्सचेंज से डिस्कॉम के लिए बिजली खरीद हेतु राजस्थान उर्जा विकास निगम लि. में चतुर अधिकारियों की नियुक्ति नहीं होने के कारण महंगी बिजली खरीदी जाती है। ये भार भी उद्योगों पर स्थानान्तरित किया जाता है।

– सभी औद्योगिक क्षेत्रों में मॉनिटरिंग व्यवस्था स्थापित है जिससे उस उद्योग क्षेत्र में होने वाले ट्रान्समीशन लॉसेस का पता चल जाता है लेकिन इन तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया जाता है। इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे भारी ट्रांसमिशन लॉसेस को भी उद्योगों से वसूलने की मानसिकता विद्युत वितरण निगमों की बन चुकी है। यह मानसिकता उद्योग विरोधी मानसिकता है। हमारा सुझाव है कि जिन औद्योगिक क्षेत्रों की छीजत कम आती है उस क्षेत्र के औद्योगिक व व्यावसायिक संस्थानों को विद्युत दरों में पॉवर फैक्टर की तर्ज पर प्रोत्साहन राशि दी जानी चाहिए।

– राज्य सरकार कृषि विद्युत संबंधों को सौर उर्जा प्रकरण लगाकर कम दर की बिजली उपलब्ध करवाई जानी चाहिए । सरकार इस प्रकार की योजनाओं में कोई रूचि नहीं ले रही है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।

– वास्तव में तो सौर उर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन देकर विद्युत विभाग को सस्ती बिजली खरीदकर एनर्जी एक्सचेंज पर उंचे दामों पर बेचना चाहिये ताकि अतिरिक्त आय से उद्योगों को विद्युत दरों में राहत दी जा सके एवं औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

– कोटा ताप बिजलीघरों को कोयले की उपलब्धता 97 प्रतिशत रहती है, लेकिन कोटा से बेहतर प्रौद्योगिकी वाले सूरतगढ़ ताप बिजलीघर के लिए कोयले की उपलब्धता 46 से 52 प्रतिशत ही रखी जाती है जिस कारण सूरतगढ़ ताप बिजली का भरपूर उपयोग नहीं हो पाता है एवं राजस्थान को एनर्जी एक्सचेंज से ऊंचे दामों पर बिजली खरीदनी पड़ती है। इस प्रबंधन में भारी सुधार की आवश्यकता है।

– सौर उर्जा उत्पादन को हतोत्साहित करने के लिए रूफटॉप सोलर प्लांट की सीमा को 500 किलोवॉट तक प्रतिबंधित किया गया है। कारण बताया जाए।

– सौर ऊर्जा पॉलिसी 2019 में 7 वर्ष की छूट का प्रावधान होने के उपरान्त भी सौर ऊर्जा उत्पादन पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की जबरन वसूली की जा रही है।

– राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग का गठन राजस्थान सरकार द्वारा राज्य द्वारा नियंत्रित किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के पदस्थापन द्वारा किया जाता है। इस विनियामक आयोग में औद्योगिक व व्यावसायिक संगठनों के क्षेत्रवार प्रतिनिधियों की नियुक्ति नहीं की जाती, न ही न्यायिक क्षेत्र के अनुभवी लोगों का इस नियामक आयोग में कोई भूमिका होती है अर्थात् यह नियामक आयोग कहने के तो एक स्वतंत्र नियामक संस्था है किन्तु वास्तव में यह नियामक आयोग
राज्य सरकार की तरफदारी करता हुआ प्रतीत होता है एवं राज्य सरकार के आन्तरिक निर्देशों को उद्योगों एवं व्यावसायिक संस्थानों पर थोपने का कार्य करता है।

संगठन की यह है मांग

उद्योग व्यापार संगठन विद्युत उपभोक्ता संघर्ष समिति यह मांग करती है कि फ्यूल सरचार्ज के नाम पर किया जा रहा उद्योग एवं व्यापार जगत का शोषण तुरन्त रोका जाए। स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम पर की जा रही अवैध वसूली को तुरन्त समाप्त किया जाए एवं जिन लोगों ने अभी तक इस मद में जो राशि जमा करावा दी है, उसका समायोजन किया जाए या रिफण्ड किया जाए। राजस्थान में विद्युत उत्पादन केन्द्रों की कोयला खरीद की प्रक्रिया को कुशल वैज्ञानिक प्रबंधन द्वारा राज्यहित मे सुदृढ़ किया जाए ताकि उत्पादन केन्द्रों पर पर्याप्त उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का समुचित भण्डार सदैव उपलब्ध रहे। आयातित कोयले की गुणवत्ता के अनुसार ही मूल्य का भुगतान किया जाए। कोयला कम्पनियों को तय समय पर भुगतान कर दिया जाए ताकि ब्याज की मार उत्पादन कम्पनियों पर नहीं पड़े एवं इस प्रकार हुए नुकसानों की भरपाई करने का सरल सा मार्ग स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बनाकर उद्योग एवं व्यावसायिक पर थोपने पर आवश्यकता नहीं पड़े।

संघर्ष समिति ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि वर्तमान में लगाए गए फ्यूल सरचार्ज एवं स्पेशल फ्यूल सरचार्ज की वसूली तुरन्त रोकी जाए। आज का यह धरना जिसमें 80 से भी अधिक औद्योगिक व व्यापारिक संगठनों ने अपनी सामूहिक भूमिका अदा की है। इसे गंभीरता से लिया जाए एवं तुरन्त मांगों को माना जाए। यदि मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो संघर्ष समिति लोकतांत्रिक तरीकों से अपने आन्दोलन को और तेज करने के लिए विवश होगी।

सौर उर्जा को राज्य सरकार हतोत्साहित करने के बजाय प्रोत्साहित करे ताकि राजस्थान की सौर उर्जा उत्पादन की विराट संभावनाओ को मूर्त रूप देकर सस्ती बिजली का उत्पादन विभिन्न स्तरों पर किया जा सके एवं सौर उर्जा उत्पादन से राजस्थान विद्युत निर्यातक राज्य बन सके जिससे न केवल उद्योगों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ होगा राज्य के राजस्व में भी आशातीत वृद्धि होगी ।

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