BikanerExclusiveSociety

दिमाग को करें फ़ॉर्मेट: डॉ. बिस्सा

0
(0)

*अजित फाउंडेशन द्वारा आयोजित पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम में डॉ गौरव बिस्सा की पुस्तकों का हुआ मूल्यांकन*

बीकानेर। मेंटल फॉर्मेटिंग का अर्थ है पुराने घटिया विचारों की जगह नए उत्तम विचारों की स्थापना और मस्तिष्क के कचरे को बाहर फेंकना. ये विचार मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ. गौरव बिस्सा ने अजित फाउंडेशन द्वरा आयोजित “तत्त्वसंधान” – पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम” में व्यक्त किए . डॉ. गौरव बिस्सा द्वारा लिखित दो पुस्तकों – “लाइफ मैनेजमेंट” और “रूल्स ऑफ़ द जॉब” की समीक्षा के कार्यक्रम में डॉ. बिस्सा ने अपनी पुस्तक रूल्स ऑफ़ द जॉब के विषय में चर्चा करते हुए कहा कि पुस्तक नौकरी के विविध नियम, बॉस के साथ व्यवहार करने की कला, प्रभावी कम्युनिकेशन के सूत्र, दुष्ट कर्मचारियों से निजात पाने के उपाय और नैतिक आचरण की ताकत को उदाहरणों के साथ समझाती है.

अपनी दूसरी पुस्तक लाइफ मैनेजमेंट के विषय में डॉ. बिस्सा ने कहा कि पुस्तक प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में छिपे मैनेजमेंट के मन्त्रों को सरलतम भाषा और कथाओं के साथ प्रस्तुत करती है. पुस्तक में अहंकार से मुक्ति, जीवन जीने के गूढ़ सूत्र, उपनिषदों में छिपे मैनेजमेंट सूत्रों को समझाया गया है. पुस्तक समझाती है कि जीवन ईश्वर का दिया वरदान है और इसे घृणा, संताप, नकारात्मकता, द्वेष, जलन, ईर्ष्या, परस्पर युद्ध में झुलसाना मूर्खता है.

मुख्य समीक्षक प्रो. अजय जोशी ने रूल्स ऑफ़ द जॉब की समीक्षा करते हुए कहा कि पुस्तक बॉस मैनेजमेंट, नैतिकता और कार्यस्थल को प्रमुखता से समझाती है. नौकरी के सूत्र तथा कम्युनिकेशन के खण्डों को प्रो. जोशी ने विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण मानते हुए कहा कि पुस्तक एटिकेट्स, बॉस और कार्मिक के प्रेमपूर्ण सम्बन्ध, लोक व्यवहार कला और नौकरी करने के विविध नियमों को बहुत ही उत्कृष्ट ढंग से रेखांकित करती है और हरेक कर्मचारी को इसे पढ़कर नौकरी करने के सूत्रों की जानकारी मिलती है.

पुस्तक लाइफ मैनेजमेंट की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्णा आचार्य ने कहा कि हर पाठ का चार सौ शब्दों में सीमित होना, हर पाठ में एक कथा और विश्लेषण तथा प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अत्यंत ही सरल भाषा में समझाइश पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता है. डॉ. कृष्णा ने विश्लेषण करते हुए कहा कि पुस्तक के अनुसार जीवन बहुत बड़ा नहीं होता अतः दूसरों को सलाह देकर जीवन के विश्लेषण के बजाय स्वयं को उत्तम बनायें. डॉ. आचार्य ने कहा ब्रेन स्टिलिंग, भावनाओं पर नियंत्रण, अहंकार की समाप्ति, जीवन के उद्देश्य आदि को पुस्तक भली भाँति समझाती है. उन्होंने कहा कि डॉ. बिस्सा की पुस्तक राष्ट्रवाद और जीवन को उत्तमता से जीने की कला को समझाती है और पुस्तकों को राष्ट्रनायकों को समर्पित किया जाना प्रेरणा देता है.

कार्यक्रम के अध्यक्ष बेसिक पीजी कॉलेज समूह के चेयरमैन रामजी व्यास ने कहा कि डॉ बिस्सा की पुस्तक समझाती है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने अंतस की शक्ति का जागरण कर अपने पुरुषार्थ के साथ जुट जाए तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं हो सकता. व्यास ने कहा कि इन पुस्तकों के अध्ययन के उपरान्त युवाओं में रिजल्ट ओरिएंटेड एप्रोच का विकास होगा.व्यास ने कहा कि कम्प्यूटर की मेमोरी की तरह दिमाग की भी मेमोरी होती है. यदि दिमाग की मेमोरी को निकृष्ट बातों, घृणा, रीवेंज, कलहकारी विषयों से भर दोगे तो उत्तम विचारों के लिए स्पेस नहीं बचेगा. व्यास ने युवाओं में स्वाध्याय के प्रति घटती प्रवृत्ति पर भी चिंता जाहिर की.

कार्यक्रम के समन्वयक तथा अजित फाउंडेशन के प्रभारी संजय श्रीमाली ने अजित फाउंडेशन के उद्देश्यों और नीति के बारे में बताया तथा अतिथियों का स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया.

ये रहे साक्षी: व्यास क्लासेज़ निदेशक राजेश व्यास, इंजीनियरिंग शिक्षाविद डॉ. युनुस शेख, फाइनेंस गुरु डॉ. नवीन शर्मा, कैमल फार्म के नेमीचंद बारासा, कम्पनी सचिव गिरिराज जोशी, साहित्यकार पुनीत रंगा और शिक्षाविद विजय शंकर आचार्य, विनय थानवी, मनीष जोशी, अशोक रंगा, डॉ. पंकज जोशी, महेश उपाध्याय, डॉ. टी.के. जैन, अनिल बोडा, मनन श्रीमाली आदि समारोह में उपस्थित रहे।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply