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नरेंद्र देथा ने पेश किया समाजसेवा का अनूठा उदाहरण

कन्या विद्यापीठ में पांच लाख का सहयोग के साथ पिता की स्मृति में सरकारी स्कूल में पंद्रह लाख का प्रवेश द्वार बनाया

बीकानेर। भारत के नक्शे पर अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाला मारवाड़ के सुप्रसिद्ध आदर्श गांव बोरूंदा साहित्य, कृषि और समाज सेवा का त्रिवेणी उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। जहां साहित्य के पदमश्री विजय दान देथा, कृषि में पदमश्री चंडीदान देथा जन्मे हैं और अब उसी गांव के युवा समाजसेवी नरेंद्र देथा ने आज के विकट आपाधापी और मानवीय मूल्यों के कम होते समय में समाज सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर आने वाली पीढियों के लिए एक आदर्श प्रेरणा पुरूष बन गये हैं।

पूर्व सरपंच बोरुंदा नरेन्द्र देथा ने आज नागौर की श्रीकरणी कन्या विद्यापीठ में पधारकर रुपए पांच लाख का सहयोग कर संस्थान की आजीवन सदस्यता ग्रहण कर संस्थान को अनुगृहीत किया। देथा द्वारा पांच लाख रुपए का सहयोग कर कन्या शिक्षा के लिए एक अभिनव उदाहरण भी पेश किया गया है।

ग्रामवासी रामसिंह मेहडू ने बताया कि जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हो और राजस्थान सरकार एवं केंद्र सरकार बेटी बचाओ बेटी पढाओ पर अपना पूरा फोकस किये हुए हों इस वक्त नरेंद्र देथा का बेटी शिक्षा में यह योगदान एक बहुत बड़ा प्रेरणादायक प्रसंग है।

उल्लेखनीय है कि ज्ञात रहे देथा के पिता ऊमरदान देथा मारवाड़ के एक आदर्श कृषि विशेषज्ञ, समाज सेवी तथा डिंगल के कवि थे। इससे पहले भी नरेंद्र देथा ने सीनीयर सैकंडरी स्कूल बोरूंदा में पंद्रह लाख का प्रवेश द्वार अपने पिता ऊमरदान देथा की पावन स्मृति में बनाया है।

उन्होंने बताया कि देथा के यह सब समाजसेवा के कार्य समाज, प्रदेश एवं देश विकास में मील के पत्थर साबित होंगे। इनके ऐसे प्रेरणादायक सेवा कार्यों से आज छतीसों कौम में प्रेरणादायक हर्ष की लहर है। वहीं सहायक निदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग राजस्थान सरकार हिंगलाजदान रतनू का कहना है कि नरेंद्र देथा समाज के रत्न है, इनके पुनीत कार्यों से सर्व समाज लाभान्वित होगा। युवापीढी ऐसे व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर मानव जाति के कल्याण के लिए कार्य करें।

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