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डूँगर कॉलेज में ग्रीन ऑडिट एवं कैम्पस पर कार्यशाला का शुुभारंभ

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16 विभागों से नांमाकित 75 विद्यार्थी बनेगें ग्रीन अम्बेसडर

बीकानेर । राजकीय डूंगर महाविद्यालय में बी.आई.आर.सी व आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में ग्रीन ऑडिट एवं ग्रीन कैम्पस विषय पर शनिवार को तीन दिवसीय कार्यशाला का शुुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्य डाॅ. जी.पी. सिंह, उपाचार्य डाॅ. इन्द्रसिंह राजपुरोहित, बीकानेर संभाग के सहायक निदेशक डाॅ. राकेश हर्ष, डाॅ. दिव्या जोशी, डा. सुरूचि गुप्ता एवं डाॅ. हेमेन्द्र भंडारी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन सरस्वती वंदना के साथ किया गया। उद्घाटन सत्र में प्राचार्य डाॅ. जी.पी. सिंह ने डूंगर काॅलेज को देश की शैक्षणिक प्रयोगशाला बताते हुए ग्रीन कैम्पस के विभिन्न आयामों को रेखांकित किया। डूंगर काॅलेज में नैक के उपरान्त हुए विभिन्न कार्यों की महत्ता बताते हुए उन्होंने हाल ही में 15 करोड़ की राशि से बनने वाले मल्टीफैसिलिटी ऑडिटोरियम को ग्रीन कैम्पस की दिशा मे मील का पत्थर बताया।

सहायक निदेशक डाॅ. राकेश हर्ष ने कहा कि डूंगर महाविद्यालय नवाचारों की उद्गम स्थली है और इसी से आज यह काॅलेज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुआ है। आईक्यूएसी समन्वयक डाॅ. इन्द्रसिंह राजपुरोहित ने बताया कि नैक निरीक्षण के लिए महत्वपूर्ण व आवश्यक बिन्दु पर महाविद्यालय के 16 विभागों से नांमाकित 75 विद्यार्थियों को इस कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षित कर अम्बेसडर बनाने का कार्य करना न केवल आगामी नैक के लिए महत्वपूर्ण है वरन् इन सभी विद्यार्थियों के कैरियर के लिए भी आवश्यक है। कार्यक्रम संचालन डाॅ. हेमेन्द्र भंडारी ने किया।

डाॅ. हेमेन्द्र भंडारी ने बताया कि तीन दिनों में पांच सत्रों में 16 विषयों काॅमर्स, रसायनशास्त्र, भौतिकशास्त्र, जन्तु विज्ञान, भू-विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, उर्दु, राजस्थानी, राजनीतिक विज्ञान, लोक प्रशासन आदि के 75 चयनित स्नातकोत्तर विद्यार्थियों व शोधार्थियों को ग्रीन ऑडिट के 10 बिन्दुओं एवं ग्रीन कैम्पस के 20 आयामों पर सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रथम दिन ग्रीन ऑडिट के सिद्धान्त एवं ग्रीन कैम्पस आधुनिक आवश्यकता विषय पर व्याख्यान हुए। दूसरे दिन प्री ऑडिट डूंगर काॅलेज में विभिन्न स्थानों पर 5 ग्रुप में की जायेगी। तीसरे दिन रिपोर्ट लेखन, गणना एवं ग्रीन ऑडिट एनईपी 2020 पर चर्चा की जाएगी ।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता डाॅ. नरेन्द्र भोजक ने ग्रीन कैम्पस के 20 आयामों पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि प्रत्येक आयाम जैसे – पौधारोपण, जीव रक्षा, कार्बन क्रेडिट, वेस्ट मैनेजमेन्ट, जल संरक्षण, वायु प्रदूषण, ई-वेस्ट, ऊर्जा विनियम, कम्पोष्ट फार्मिंग, जैसे प्रत्येक बिन्दु अपने आप में एक विषय है। उन्ही के सिद्धान्त, विषय वस्तु, तकनीकी एवं प्रायोगिक अध्ययन को यदि ऑडिट के नियम एवं गणनाओं में सूचीबद्ध किया जाए तो ग्रीन ऑडिटिंग की प्रक्रिया होती है। इसमें एटम इकोनोमी के साथ साथ मानवीय व्यवहार एवं संवेदनाएं शामिल की जाए तो एनईपी 2020 का प्रस्फुटन होता है। ग्रीन आडिटिंग एक नया विषय होते हुए प्राचीन परम्पराओं पर आधारित होने के कारण सम्पूर्णता को लिए हुए है। यह संस्टेनेबल विकास का पथ प्रदर्शक है। इस कार्यशाला के माध्यम से चयनित विद्यार्थी ग्रीन ऑडिटिंग के क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने के साथ साथ सामाजिक विज्ञान में महत्वूपर्ण भूमिका निभा सकते है।

कार्यक्रम में डा. संगीता शर्मा, डाॅ. राजाराम, डाॅ. उमा रठौड़, डाॅ. एस.एन. जाटोलिया, डाॅ. अभिलाषा सोनेल डा. एस के यादव, डाॅ. मधुसूदन एवं डाॅ. राजेन्द्र सिंह, डाॅ. प्रतिभा पायल, डाॅ. राजकुमार ठठेरा, डाॅ. महेन्द्र थोरी सहित बड़ी संख्या में प्रोफेसर उपस्थित रहे। संचालन डाॅ. एच.एस. भंडारी एवं धन्यवाद डाॅ. देवेश सहारण द्वारा दिया गया।

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