शिक्षा का कार्य सर्वश्रेष्ठ -मुनि ऋतमा
बीकानेर । रानी बाजार इंडस्ट्रियल एरिया स्थित पाणिग्रहण में चल रहे माता कौशल्या देवी स्मृति विशेष सम्मेलन के दूसरे दिन अभिभावकों तथा शिक्षकों को संबोधित करते हुए आचार्य स्वामी प्रदुम्न, मुनि सत्यजीत तथा मुनि ऋतमा ने शिक्षा के कार्य को सर्वश्रेष्ठ बताया। मानव शरीर से कार्यों की तुलना करते हुए आपने बताया कि शिक्षा का कार्य मानव शरीर में मस्तिष्क के समान है जहां से संपूर्ण मानव शरीर का संचालन होता है। शिक्षक अपने कार्य पर गर्व करें । प्रत्येक बालक को शिक्षा अवश्य मिले तभी समाज में जो कुरीतियां हैं उनका नाश संभव है। प्राचीन काल में आचार्यों के पास गुरुकुल में विद्यार्थियों को सर्वांगीण विकास हेतु भेजा जाता था जहां विद्यार्थियों में कौशल एवं व्यवसायिक दृष्टिकोण का विकास होता था साथ ही व्यवहारिकता का भी विकास होता था। प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यवसाय के बारे में मानवीयता का समावेश अवश्य करना चाहिए तभी वह अपने व्यवसाय का सफल रुप से संचालन कर पाएगा। शिक्षक को भी अभिभावक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वाहन अवश्य करना चाहिए। विश्व में मात्र शिक्षक एवं माता पिता ही चाहते हैं कि उनका शिष्य ,पुत्र-पुत्री उनसे सदैव आगे बढ़े। शिक्षक में धैर्य का गुण होना अनिवार्य है।
आज आयोजित गोलमेज सम्मेलन में चर्चा का विषय समाज विकास में अध्यात्मिक चेतना था। पूर्व विधायक डॉक्टर विश्वनाथ मेघवाल ने अपने संयत वाणी में अपने विचारों को रखा। साहित्यकार एवं संपादक हरीश बी शर्मा के जोशपूर्ण उद्बोधन ने सभी को प्रभावित किया। शिक्षाविद विजय शंकर आचार्य ने अपने अनुभव को सभी में बांटा।
एसबीआई के डीजीएम सुशील कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट त्रिलोकी कल्ला, वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार, वरिष्ठ पत्रकार अनुराग हर्ष, वरिष्ठ कवियत्री प्रमिला गंगल, सिंथेसिस के मनोज बजाज, वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा, पूर्व प्राचार्य मोहर सिंह यादव ने विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी प्रदुम्न ने की जबकि मुनि सत्यजीत ने वक्ताओं द्वारा दिए गए विचारों पर अपना निष्कर्ष उपस्थित प्रबुद्ध जनों एवं दर्शकों के मध्य रखा। आर एस वी ग्रुप ऑफ स्कूल्स के सीईओ आदित्य स्वामी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।