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समाज में कवि अपने जीवन के सारे दुख- दर्द को मनुष्यता की पीड़ा में रूपांतरित करता है : जोशी

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*दोराई सूं हारै कोनी जीवन में रणधीर खेजड़ी*

बीकानेर। राजस्थानी रिसर्च इंस्टिट्यूट,बीकानेर के तत्वावधान में इटली मूल के राजस्थानी भाषा के विद्वान डॉ.एल.पी.तैस्सितोरी की 103 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सात दिवसीय कार्यक्रमों की श्रंखला में त्रिभाषा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया है।
कार्यक्रम संयोजक साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने बताया कि डाॅ. एल.पी.तैस्सितोरी को समर्पित काव्य-गोष्ठी म्यूजियम परिसर स्थित सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टिट्यूट के सभाकक्ष में आयोजित की गयी। काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की , कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार-रचनाकार निर्मल कुमार शर्मा थे तथा विशिष्ट अतिथि प्रादेशिक परिवहन अधिकारी एवं वरिष्ठ गजलकार नेमीचंद पारीक रहे।

इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि आज की कविता और कवि वर्तमान समय दौर में पुराने कवियों से लगभग जुड़ते दिखाई देते है वह समकालीन होकर भी सर्वकालिक होता है। उन्होंने कहा कि कविता साहित्य की सबसे महीन विधा है कविता का जन्म धरती पर आदमी के जन्म के साथ ही हुआ है कविता बुनियादी तौर पर सार्वदेशिक और सार्वभौमिक होती है। जोशी ने कहा कि कविता में विचार की अपनी अहमियत होती है कविता की पहचान का बुनियादी स्रोत मनुष्य का भाव जगत ही है, जोशी ने काव्य गोष्ठी में कविता और कवि पर बात करते हुए कहा कि
समाज में कवि अपने जीवन के सारे दुख- दर्द को मनुष्यता की पीड़ा में रूपांतरित करता है और उसे वृहत्तर मानवीय और नैसर्गिक जीवन की गहरी कलात्मक भाषा देता है।

मुुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि निर्मल शर्मा ने अपनी राजस्थानी कविता प्रस्तुत करते हुए आडो खोल दे, आवण दे किरत्यां भोर हुई, आभै उगंते सूरज री छटा जोर हुई की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।
प्रख्यात गजलकार कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नेमीचंद पारीक ने शानदार गजल प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं का मन मोह लिया, उन्होंने गजल के बोल यूं प्रस्तुत किए गजल भजन का झगड़ा क्यूं गालिब सोच कबीरा लिख।और आंखों को आईना लिख, दरिया देख जजीरा लिख।

युवा कवियत्री-आलोचक डॉ. रेणुका व्यास ने अपनी दो राजस्थानी कविताओं की शानदार प्रस्तुति देते हुए खूब तालियां बटोरी। उन्होंने खेजड़ी की महिमा बताते हुए कविता में कहा कि खेजड़ी जीवन का आधार होती है और जमाना हो या ना हो खेजड़ी हारती नहीं है, अकाल में अकेली खेजड़ी दिखाई देती है खेजड़ी की चंद लाइने उन्होंने इस तरह प्रस्तुत की रेती रण री वीर खेजड़ी,मीरा रो है चीर खेजड़ी, दोराई सूं हारै कोनी,जीवन में रणधीर खेजड़ी।
वरिष्ठ कवि राजाराम स्वर्णकार ने एल.पी.तैस्सितोरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपनी कविता का वाचन करते हुए कहां की तुम राजस्थानी संस्कृति में रंगे थे, इटली में जन्मे यह भूगोल की गलती थी कविता इस तरह प्रस्तुत की “हम इतने कृतध्न नहीं जो तुम्हें भुलाएं, त्याग, तपस्या और समर्पण को बिसराएं।

राजस्थान उर्दू अकादमी के सदस्य एवं वरिष्ठ शायर असद अली असद ने सच और झूट के द्वद की शायरी प्रस्तुत करते हुए खूब तालियां बटोरी उन्होंने शायरी को यू प्रस्तुत किया सच से शर्मिंन्दा क्यों न होता झूट, सच हमारा है और तुम्हारा झूट।
राजस्थानी के व्याख्याता डॉ गौरी शंकर प्रजापत ने बादशाह कविता की शानदार प्रस्तुति देते हुए “गीता भणता ई म्है जाणग्यो कै ओ जगत थारी लीला है,जीवण थाऱो खेल”।

डॉ.कृष्णा आचार्य ने राजस्थानी कविता मिश्री रो सिटो लाई म्है, थे बोलो मीठा बोल भाईपो बध जासी । गुड़ री डळियां लाई म्है बोलो थे मधरा बोल भाइपो बध जासी ।
हास्य कवि कैलाश टॉक ने अपनी रचना सुण राज राखणी, मां धीरज राखी जणी लगायी लाय, प्रस्तुत की।
युवा कवि विपल्व व्यास ने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत थारो इण तरे आवणो अर म्हारे मार्ग जावणो काई बेमाता रो खेल और धरती धोरा री ।

कवियत्री नीतू जोशी ने धरा का धैर्य अनन्त विस्तार रचना सुनाई । युवा गीतकार ज्योति वधवा रजना ने राजस्थानी मान्यता की रचना म्हारो प्यारो राजस्थान ईरी भासा ने मिले स्थान। की शानदार प्रस्तुतीकरण दिया। कवि जुगल किशोर पुरोहित ने अपनी चिरपरिचित अंदाज में राजस्थानी कविता “इटली यूं आया बीकाणै राजस्थानी सेवा सारु राजस्थानी जोत अमर है, तैस्सितोरी नाम अमर है”। उन्होंने बताया की तीन भाषा हिन्दी- राजस्थानी एवं उर्दू के कवि-शायरों ने अपनी रचनाएं डाॅ.एल.पी.तैस्सितोरी को समर्पित की।

काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ कवयित्री प्रमिला गंगल, शिव शंकर शर्मा, गिरिराज पारीक, माणकचंद सुथार, नरपत चारण, नरसिंह बिन्नाणी सहित अनेक कवियों और शायरों ने अपनी अपनी कविताएं प्रस्तुत की, कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर अजय जोशी ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया एवं काव्य गोष्ठी का शानदार संचालन हास्य कवि बाबू बमचकरी ने किया। काव्य-गोष्ठी में नागेश्वर जोशी, प्रेम नारायण व्यास, डॉक्टर जगदीश बारठ, विमल कुमार शर्मा, महेश पांड्या ,राजेंद्र पारीक एवं नीरज कुमार शर्मा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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