पशुओं के निवाले पर जीएसटी ने बढ़ाई चिंता
वित्त मंत्री से मिले ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के चेयरमैन सुरेश अग्रवाल, बीकानेर के उद्योगपति अशोक वासवानी व प्रतिनिधिमंडल
बीकानेर। एक ओर कारोबारी और पशुपालक गायों में लम्पी स्किन डिजीज महामारी से जूझ रहे हैं वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने पशु आहार पर जीएसटी लगाकर कारोबारियों के जख्मों को और गहरा कर दिया है।
भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से वित्त मंत्रालय भवन नई दिल्ली में 12 सितंबर को दाल कारोबारियों की चर्चा हुई। मंत्री से अनुरोध किया कि 3 अगस्त 2022 को आए सर्कुलर में पशु आहार पर 5% जीएसटी लग गया। कारोबारियों ने इसे समाप्त करने का आग्रह किया। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के चेयरमैन सुरेश अग्रवाल ने मंत्री को बताया कि दाल के उत्पादन में बाय प्रोडक्ट के रूप मे निकलने वाली चुरी, छिलका, भूसी आदि दूध देने वाले पशुओं के उपयोग में आती है और पिछले 40 साल से बायप्रोडक्ट पर किसी प्रकार का कर नहीं है। इस निर्णय से दाल इंडस्ट्री एवं उपभोक्ता पर जीएसटी का अतिरिक्त खर्च लग रहा है। पशुओं के भोजन पर जीएसटी 5% टैक्स लग रहा है। इसलिए जीएसटी कृपया समाप्त करे । अग्रवाल ने बताया कि मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस पर गंभीरता पूर्वक निर्णय करूंगी और हमारा डिपार्टमेंट इस पर अति शीघ्र निर्णय करने का कार्य करेगा। साथ ही जीएसटी समाप्त करने का आश्वासन भी दिया । प्रतिनिधिमंडल मंडल में राजस्थान बीकानेर से अशोक वासवानी( मोहन उद्योग ), मध्यप्रदेश से अनिल गुप्ता (मधुरम पल्सेस ),महाराष्ट्र अकोला से रुपेश राठी (आर आर उद्योग ) , अनुग्रह जैन( शिवम् एग्रो इंडस्ट्रीज, प्रचार मंत्री जबलपुर मध्य प्रदेश) ,लव गुप्ता (अपूर्व पल्सेस इंदौर) संस्था के चेयरमैन सुरेश अग्रवाल उपस्थित थे। इस मुद्दे को लेकर सरकार ने एक स्पष्टीकरण भी जारी किया है 👇
पशु आहार के रूप में इस्तेमाल होने वाले दाल मिलों के बाय प्रोडक्ट जैसे चूरी, छिलका, खंडा आदि के बारे में एक स्पष्टीकरण जारी किया गया है। इसमें इन वस्तुओं पर 5% जीएसटी लगाना तय हुआ है। सरकार का मानना है कि चूरी, छिलका, खंडा सीधे रूप में पशु आहार नहीं हैं। पशु आहार पहले भी कर मुक्त था और रहेगा, लेकिन अब पशु आहार बनाने के लिए उपयोग में आने वाली चूरी को कर के दायरे में रखा गया है। जाहिर है कि दाल मिलें अब जिसे भी यह बाय प्रोडक्ट बेचेंगी, उनसे 5% की दर से टैक्स वसूला जाएगा।