लम्पी ने बिगाड़ी मिठाई कारोबार की सेहत
राजेश रतन व्यास
बीकानेर। जब से गायों में लम्पी स्किन डिजीज हुआ है तब से बीकानेर के मिठाई कारोबारी बेहद परेशान है। अब हालात यह है कि बड़ी संख्या में गायों के बीमार रहने व मरने से बाजार में दूध की किल्लत हो रही है। इसके चलते दूध, दही, घी व मावे के भाव आसमान छूने लगे हैं। इस स्थिति ने मिठाई कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। कारोबारियों का कहना है कि अब बिना घी की मिठाईयां जैसे बादाम व काजू की कतली व आगरे का पेठा ही सही पड़ता है। बाकी सब का उत्पादन महंगा पड़ रहा है।
दूध के भावों में आया बड़ा वैरिएशन
बीकानेर में दूध के भावों में भी बड़ा वैरिएशन देखने को मिल रहा है। यानि बीकानेर में अभी दूध के 47 रूपए से 60 रूपए किलो के भाव चल रहे हैं। जबकि लम्पी से पहले 32 से 36 रूपए के भाव चल रहे थे। दाऊजी मंदिर रोड स्थित बीकानेर के प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ता हरिओम प्रभुदयाल मखेचा फर्म के प्रमुख हरिओम मखेचा कहते है कि लम्पी रोग के चलते 30 प्रतिशत दूध कम हो गया है। अब इधर-उधर से मंगवाकर दूध की डिमांड पूरी की जा रही है। मखेचा कहते है कि पहले औसतन 200 किलो दूध का कलेकशन था वो अब 120 से 140 किलो हो गया है। हालांकि बारिश के बाद दूध बढ़ जाता है, लेकिन लम्पी के कारण भावों का गणित बिगड़ गया है। दो माह पहले 38 रूपए किलो था वही दूध अभी 44 रूपए किलो हो गया है। करमीसर स्थित शिव फूड प्रोडक्ट्स के प्रमुख शंकरलाल जाट कहते है कि लम्पी से पहले मार्केट से 36 रूपए किलो के भाव से दूध लेते थे, लेकिन गायों को लम्पी होने से भाव 47 रूपए किलो हो गये हैं। फर्म में जबकि दूध से बनने वाला रसगुल्ला पहले 100 रूपए किलो था आज भी यही भाव है। लकड़ी के भाव बढ़ गए हैं। लेबर खर्च यथावत है जबकि मजबूरी है रसगुल्ले के भावों में बढ़ोतरी नहीं कर सकते।
कारोबारियों का कहना है-
गायों के उपचार के लिए अभी तक तो शोध ही चल रहा है। यह तो अच्छा है गोवंश को बचाने के लिए समाज सेवी व भामशाह अपने स्तर पर आयुवेंदिक लड्डू बनाकर रोजाना गायों को खिला रहे हैं। इससे उनकी सेहत में सुधार है। फिलहाल दूध कम आने से भावों में उछाल आने लगा है और इससे मिठाई कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
-मनोज कुमार सेवग, मनु फूड प्रोडक्ट्स, जवाहर नगर
गायों में लम्पी बीमारी से घी व मावा बेहद महंगे हो गये हैं। हमारी तो लागत ही 30 फीसदी बढ़ गई है और भावों में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। इससे मुनाफे पर बुरा असर पड़ रहा है।
प्रेम कुमार अग्रवाल, प्रेम मिष्ठान भंडार, रानी बाजार औद्योगिक क्षेत्र
पहले रोजाना 200 किलो मिठाई बिकती थी, लेकिन लम्पी के चलते अब 80 किलो मिठाई ही बिक पा रही है। यानि बिक्री 40 प्रतिशत ही रह गई है। मावे व दूध की कीमते 35 प्रतिशत तक बढ़ गई है। हमें 36 रूपए का दूध अभी 56 रूपए में मिल रहा है। जबकि मिठाई के भाव नहीं बढ़ा सकते।
सत्यनारायण सिंगोदिया, किशन स्वीट्स, दाउजी मंदिर रोड
लम्पी से गौ माता मर रही है। इससे 40 प्रतिशत दूध कम आ रहा है। इसके चलते मावे के भाव 30 प्रतिशत बढ़ गए हैं। आपूर्ति कम होने से मावे की डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं। लम्पी से पहले बीकानेर में 3000 से 4000 पीपा मावा निकलता था जो अब 2000 पीपे ही रह गया है। एक पीपे में 20 किलो मावा आता है।
– हेतराम गौड़, अध्यक्ष, बीकानेर मावा संघ
सरकार की तरफ से लम्पी की दवा नहीं आ रही है। इससे स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही है। पीछे से पूरा दूध नहीं मिल रहा है। इससे कारोबार पूरा ही प्रभावित हो रहा है। मन मुताबिक माल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।
– मनुजी राठी, कृष्णा स्वीट्स, जस्सूसर गेट के बाहर
लम्पी से गायें मर रही हैं। इस बीमारी से पहले दूध के भाव 32 रूपए थे जो आज 60 रूपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। घी व मावा भी महंगा हो गया है। इससे मिठाई की ग्राहकी 20 फीसदी कम हो गई है। जो हलका माल बेच रहा है ग्राहक उस ओर जा रहा है। गायों की यही स्थिति रही तो दीपावली तक मजबूरन भाव बढ़ाने पड़ेंगे।
– श्रीराम अग्रवाल, रूपचंद मोहनलाल एंड कम्पनी, जस्सूसर गेट
कीमतों पर लम्पी का असर भाव रु/किलो
फूड आइटम लम्पी से पहले लम्पी के दौरान
घी 400 रू 600 रू प्रति
मावा 190 से 200 260 से 270
दूध 32 से 36 47 से 60