बीकानेर के औद्योगिक क्षेत्रों को घटिया इन्फ्रास्ट्रक्चर से कब मिलेगी आजादी
बीकानेर। पिछले दिनों बीकानेर ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव का जश्न मनाया। मगर यहां के औद्योगिक क्षेत्रों को अभी भी घटिया इन्फ्रास्ट्रक्चर से आजाद नहीं मिल पा रही हैं। यहां के औद्योगिक क्षेत्र आज भी सड़क, शुद्ध पेयजल, सफाई, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं। औद्योगिक संगठन इस संबंध में अनेकों बार रीको के क्षेत्रीय प्रबंधकों से लेकर जिला प्रशासन तक को इन समस्याओं से अवगत करवा चुके हैं। इन हालातों में इन्वेस्टर समिट जैसे महत्वपूर्ण अभियानों की सफलता पर ही सवाल खड़ा होना वाजिब है। कारोबारियों का कहना है कि जिसकी शिकायत मंत्रालय या महकमें से करते हैं वे उसे ही वापस लैटर भेज देते हैं। जो पूर्णतया गलत प्रक्रिया है। इसमें सुधार होना चाहिए। होना यह चाहिए कि जिसकी शिकायत की है उस पत्र को अच्छे से पढ़ें और संबंधित विभाग से जवाब तलब करें, लेकिन इन मामलों में महज औपचारिकताएं निभा कर इतिश्री कर ली जाती है। तब जनहित में फैसलें कैसे होंगे?
कारोबारियों का कहना है कि बीकानेर के औद्योगिक क्षेत्रों की समस्या लम्बित रहने का मूल कारण ही शिकायतों का समय पर निस्तारण न होना और न ही दोषी एजेंसी के खिलाफ कोई कार्रवाई होना है। यही वजह है कि बीकानेर के औद्योगिक क्षेत्र घटिया इन्फ्रास्ट्रक्चर को झेलने को विवश हैं। यहां के करणी औद्योगिक क्षेत्र में लम्बे समय से सड़कें जर्जर अवस्था में पड़ी हैं। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। कहीं कहीं तो सड़कों में गड्ढे इतने गहरे हैं कि बारिश के दिनों में फैक्ट्री उत्पादों को ढोने वाले वाहनों को पानी में इनकी गहराई का अंदाज भी नहीं रहता और बचते बचाते रास्ता पार करते हैं, लेकिन यहां की औद्योगिक इकाईयों के श्रमिक व स्टाफ बाइक चलाते समय संतुलन खो देते हैं और चोटिल हो जाते हैं। सड़कों पर से डामर उखड़ चुका है और कंकरीट पसर चुकी हैं। कमोबेश बीछवाल व रानीबाजार औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों के भी यही हालात हैं । इसके अलावा सीवरेज सिस्टम तक फैल हो चुका है। निकासी की प्रोपर व्यवस्था नहीं होने से करणी व बीछवाल औद्योगिक क्षेत्रों में गंदे पानी का तालाब विकराल समस्या बन चुका है। झाड़ियों की झुरमुट मच्छरों की कॉलोनियां बन चुके हैं। इन औद्योगिक क्षेत्रों में पार्कों की भी दयनीय स्थिति हैं। यही हालात बिजली के पोल की है। कहीं कहीं तो विद्युत पोल जमीन सुंघते नजर आ जाएंगे।
पटरी से उतर चुकी सफाई व्यवस्था
कारोबारियों कहना है कि औद्योगिक क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। करणी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश कोठारी का कहना है कि सफाई व्यवस्था को लेकर रीको का रूझान नेगेटिव रहा है। करणी में सफाई का कोई ठेका नहीं है। हम कहते हैं कि एसोसिएशन को सफाई का औसत रेट का ठेका दिया जाए। यदि एसोसिएशन मना करें तब टेंडर करें। इस संबंध में रीको जयपुर सफाई के साथ बिजली व सड़क का ठेका देने को तैयार हैं, लेकिन हम केवल सफाई के लिए तैयार हैं। यानि एसोसिएशन जो ठेका लेना चाहे उसे क्यों नहीं मिलता?
नहीं मिल रहा पीने योग्य पानी
करणी, बीछवाल व खारा औद्योगिक क्षेत्रों में तो पीने योग्य पानी उद्यमियों व श्रमिकों को नहीं सुलभ हो रहा है। अध्यक्ष महेश कोठारी कहते हैं कि करणी में तो ग्राउंड वाटर मिल रहा है इसके चलते 2500 टीडीएस का पानी पीने को विवश हो रहे हैं। हमारी मांग है कि हमें पीएचईडी का पानी महज पीने के लिए दिया जाए। इस संबंध में रीको के पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक पी के गुप्ता ने नफा-नुकसान को कहा था कि यह मैटर अभी पीएचईडी के साथ चल रहा है। कारोबारियों का कहना है कि डॉ बी डी कल्ला तीन साल मंत्री रहे फिर भी इस संबंध में कुछ नहीं किया। उनके इस रवैये से भी उद्यमी नाराज नजर आ रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि साल 2015-16 में निम्न स्तर के पानी के कारण महामारी फैली थीं। तब काफी लैबर बीमार भी पड़ी थीं। उस परिस्थिति से अब तक सबक नहीं लिया।