बीकानेर में बारिश को लेकर मौसम विभाग ने यह जताया पूर्वानुमान
बीकानेर। बीकानेर में बारिश को लेकर मौसम विभाग ने पूर्वानुमान कि अगले चार दिनों में बारिश होने की संभावना नहीं के बराबर है। बीछवाल स्थित मौसम केंद्र के अनुसार बीकानेर में आने वाले दिनों में दिन व रात के तापमान में बढ़ोतरी होने, अधिक आपेक्षिक आर्द्रता के साथ मध्यम गति की हवाएँ चलने और आंशिक बादल छाए रहने के साथ वर्षा नहीं होने की संभावना है। बीकानेर में आज अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं हवा की रफ्तार 19 किमी प्रति घंटा आंकी गई। कल शनिवार को आसमान साफ रहने और 18 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दक्षिण पश्चिमी हवाएँ चलने की संभावना है। किसानों के लिए सलाह 👇
आने वाले दिनो में मौसम की परिस्थितियों के कारण मूँगफली व अन्य फसलों में म्लानि के लक्षण आ सकते है अतः आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
बारानी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करके नमी संरक्षण का प्रयास करें।
आने वाले दिनो में मौसम की परिस्थितियों के कारण खरीफ फसलों में कीट एवं रोगों का प्रकोप होने की सम्भावना है अतः खेत में लगातार निगरानी रखे जिससे फसलों पर होने कीट एवं व्याधियों के प्रकोप का पता लग सके।
आने वाले दिनो में मौसम की परिस्थितियों के कारण मूँगफली की फसल में टिक्का रोग के प्रकोप की संभावना है। अतः किसान भाई इसके नियंत्रण के लिए मेंकोजेब या क्लोरोथेलोनेल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से प्रयोग करें।
ग्वार एवं अन्य दलहनी फसलों में रस चूसने वाले कीड़ों (हरा तेला, सफ़ेद मक्खी, मोयला आदि) का प्रकोप होने पर असिटामीप्रिड या थायोमिथाक्सोम नामक रसायन का 3 ग्राम प्रति 10 लीटर या इमिडाक्लोप्रीड 3 मिली प्रतिलीटर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
दलहनी फसलों में पत्ती काटने वाले कीड़ोंका प्रकोप होने पर क्यूनोल्फोस 2 मिली या मोनोक्रोटोफोस 1.5 मिली प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
वर्तमान और आने वाले दिनो की मौसम की परिस्थितियों के कारण ग्वार की फसल में जीवाणु झुलसा रोग होने की सम्भावना है। किसानों को सलाह है कि रोग के लक्षण दिखाई देते ही 2.5 ग्राम स्ट्रेप्टो साइक्लिन को 30 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 10 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करे।
पशुओं में एल एस डी (लम्पीस्किन बीमारी) का प्रकोप बढ़ रहा है, अतः बीमारी का शीघ्र पता करने के लिए पशु बाड़े में प्रतिि जाते रहे और लक्षण दिखाई देते ही प्रभावी नियंत्रण के लिए पंजीकृत पशु चिकित्सक की सलाह ले । एल एस डी के फैलाव को रोकने के लिए संक्रमित पशु को अलग बाड़े में रखने की व्यवस्था करें।