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लम्पी रोग नियंत्रण के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों की लगाएं टीम, एलोपैथिक में नहीं है पर्याप्त संसाधन

देशी गोवंश में तेजी से फैल रहे लंपी रोग से चिंतित गौ ग्राम सेवा संघ राजस्थान ने उठाए सवाल

*कहीं लम्पी वायरस से धरती की उर्वरा शक्ति कहीं खराब ना हो जाए*

बीकानेर । गौ ग्राम सेवा संघ राजस्थान ने लंपी रोग के लिए आयुर्वेदिक उपचार उपयोग करने, वायरस का मिट्टी में प्रभाव जांचने, गौशाला के गोवंश को बाहर चराने आदि मांगों के संदर्भ में सरकार व अधिकारियों को पत्र लिखा है। कार्यकारी अध्यक्ष सूरजमालसिंह नीमराना ने बताया कि आज गौ ग्राम सेवा संघ राजस्थान ने मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार, पशुपालन मंत्री, गोपालन मंत्री ,सचिव पशुपालन. गोपालन राजस्थान सरकार, मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, जिला कलक्टर बीकानेर, निदेशक गोपालन राजस्थान सरकार,निदेशक पशुपालन राजस्थान सरकार, संयुक्त निदेशक पशुपालन बीकानेर को पत्र भेजा है। पत्र में सरकार से आग्रह किया है कि वर्तमान में देशी गोवंश में लंपी रोग बहुत गंभीर स्थिति में फैल रहा है, इसकी रोकथाम के लिए आपने चिकित्सकों की जो टीम लगाई है वह बहुत कम है और एलोपैथिक इलाज भी बहुत कम मात्रा में हो रहा है, आपके विभाग के पास ना तो मेडिसन है, ना ही आपने पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करवाइए है, और इस बीमारी का अंग्रेजी औषधियों से इलाज नहीं हो पा रहा है।

संगठन का निवेदन है कि आप सब अति शीघ्र राजस्थान के समस्त आयुर्वेद चिकित्सकों को इस बीमारी के इलाज के लिए पाबंद करें और उनकी टीम बनाकर गौशालाओं, निराश्रित गोवंश के क्वारंटाइन सेंटर व गोपालको के पास भेज कर आयुर्वेद इलाज किया जाए, जो वर्तमान में बहुत ज्यादा कारगर है। इसलिए इसकी अति शीघ्र व्यवस्था कर इन चिकित्सकों को वहां लगाया जा सकता है, क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सक के पास में रोगियों की संख्या कम रहती है, इसलिए उन्हें इस कार्य में लगाया जा सकता है।

संगठन ने निवेदन किया कि राज्य सरकार लंपी रोग से ग्रसित गोवंश का अंतिम संस्कार कर रही है और उसे समाधि दी जा रही है, संगठन में संशय है कि इस रोग के वायरस से धरती की उर्वरा शक्ति कहीं खराब ना हो जाए और यह वायरस मिट्टी के संपर्क में आने से कई लाख गुना बढ़कर, हमारी मिट्टी की उर्वरा शक्ति को तो खराब नहीं कर देगा, यह रोग हमारी फसल में तो नहीं आ जाएगा, इसकी रसायनिक जांच करवाई जाए। कहीं यह वायरस धरती में फेल कर कोई बहुत बड़ी महामारी का रूप तो नहीं बन जाएगा इसका भी ध्यान करें।

संघ ने सरकार से कहा कि वर्तमान में जो गोवंश बाहर चरने के लिए जा रहा है,उसमें इस बीमारी के लक्षण कम है, और बीमारी हो भी गई है तो, उस गोवंश को ठीक होने में कम समय लग रहा है, इसलिए संगठन का निवेदन है, हमारी गौशालाओं को, जिनके पास में विकसित चारागाह है, खुद की स्वयं की जमीन है, उस जमीन में गोवंश को चराने के लिए भेजने की अनुमति प्रदान करें, ताकि गोवंश को बचाया जा सके। उन्हें स्वस्थ रखा जा सके, अन्यथा गौशाला में संधारित गोवंश आपस में संपर्क आने से ज्यादा रोग ग्रसित हो रहा है और उस स्थिति में ज्यादा गंभीर स्थिति बनती जा रही है। कृपया इसकी भी अनुमति प्रदान करें ।सरकार और हम सब की पहली प्राथमिकता गोवंश को बचाने की है इसलिए ऐसी शिथिलता प्रदान की जाए ।
संघ को आशा है कि सरकार हमारे निवेदन को स्वीकार कर अति शीघ्र इस महामारी को “राज्य महामारी” घोषित करेंगी, अति शीघ्र औषधियां उपलब्ध करवाएंगी और प्रत्येक गौशाला संचालक को इस वर्तमान अनुदान के साथ “अतिरिक्त राशि” का भुगतान कर गौवंश व गौशाला संचालकों को राहत प्रदान करेंगी।

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