प्रदूषण मंडल व अदालत को गुमराह कर रहा है रीको
बीकानेर। बीकानेर में करणी औद्योगिक क्षेत्र विस्तार परियोजना स्थित गंदे पानी का तालाब उद्यमियों के जी का जंजाल बनता जा रहा है। इस संबंध में करणी बीकानेर वाटर एन्वायरो फाउंडेशन ने रीको बीकानेर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। फाउंडेशन ने पूर्व में उद्योग एवं वणिज्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव को पत्र भेजकर रीको बीकानेर कार्यालय पर प्रदूषण मंडल व अदालत पर गुमराह करने का आरोप लगाया था। पत्र में फाउंडेशन की ओर से प्रमुख शासन सचिव को अवगत करवाया गया कि उद्यमियों ने क्षेत्र में सीईटीपी के जल्द निर्माण व क्षेत्र में गंदे पानी के तालाब से जल्द निजात मिले इसी मंशा के तहत रीको के सहयोग से एसपीवी का गठन किया गया था। रीको से जमीन व फंड की मांग की थी, रीको द्वारा जमीन तो एसपीवी को दे दी गई, लेकिन फण्ड के बचाव में सीईटीपी निर्माण की राशि के लिए सरकारी योजनाएं / स्कीमें एसपीवी को बताई जाने लगी अर्थात ई.सी. में अपनी स्वयं की प्रतिबद्धता को एस.पी.वी. को सबलेट/ ट्रान्सफर करने की मानसिकता बनाई गयी जो कि पूर्णतया असंवैधानिक व विधि के विरूद्ध है, जिसे उधमी कतई स्वीकार नही करेगें।
उन्होंने बताया कि रीको द्वारा सीईटीपी निर्माण में एसपीवी को दोषी ठहराने के लिए प्रशासन, प्रदूषण मण्डल व न्यायालय को गलत, भ्रामक व गुमराह पत्रावली पेश की जा रही है। साथ ही तथ्यहीन जवाब दिए जा रहे है। फाउंडेशन ने रखे तर्क
1. रीको द्वारा प्रशासन प्रदूषण मण्डल व न्यायालय सभी को यह कहा जा रहा है कि हमने एसपीवी को 1 रूपए में जमीन दे दी है और सीईटीपी निर्माण उसकी जिम्मेदारी है जबकि एसपीवी द्वारा क्रमबद्ध रीको को पत्र देकर रीको द्वारा ई.सी. की दूसरी शर्त रिजर्व फण्ड नहीं देने की स्थिति में भूखण्ड सरेन्डर की प्रक्रिया के लिए पूछा जा रहा है। जिसका खुलासा नही कर रहे है व न ही सरेण्डर की प्रक्रिया बता रहे है।
2. रीको द्वारा बार बार पूरे राज्य का हवाला देते हुए सीईटीपी निर्माण में एसपीवी की भूमिका बताई जा रही है। जबकि फाउंडेशन द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्य के अन्य शहर पाली बालोतरा, जसोल में प्रोलूटेड इकाईयां 95 प्रतिशत है व यहां प्रोलूटेड 5 प्रतिशत है। अतः वहां फण्ड इक्ट्ठा करने व यहां बीकानेर में फण्ड इक्ठठा करने मे बहुत फर्क है। जिसको समझते हुए भी अनजान बने हुए है।
3. रीकों द्वारा यह खुलासा भी नहीं किया जा रहा कि करणी क्षेत्र में 551 उद्योग कार्यरत हैं व एसपीवी में मात्र 25 उद्योग हिस्सेदार हैं और इन उद्योगों में स्वयं के पानी उपचारित संयंत्र (ईटीपी) स्थापित है। इतना ही नहीं ये संयंत्र अच्छे से कार्यरत है। जाहिर है कि एसपीवी के मात्र 25 उद्योगों को टारगेट कर रीको बकाया 526 व अपनी बसाई आवासीय कॉलोनियों व शॉपिंग कॉम्पलेक्सों के अपने पानी के दायित्वों को एसपीवी पर थोपने के प्रयास कर रहा है।
4. रीको ने कहीं भी यह खुलासा नहीं किया की ई.सी. के आवेदन या प्राप्त ई.सी. में यह कहीं भी अंकित नही है कि सीईटीपी निर्माण या उसकी राशि को हम एसपीवी को सबलेट करेंगे या एसपीवी के मार्फत केन्द्र सरकार की योजना मे अप्लाई करायेगे या एसपीवी से अंशदान लिया जाएगा।
5. रीको द्वारा प्रशासन, राज्य सरकार व प्रदूषण मण्डल को बार बार मनगढ़ंत यह कहा जा रहा है कि ई.सी. में रखा 26 करोड़ का बजट व सीईटीपी निर्माण की प्रतिबद्धता करणी विस्तार के लिए की गई है। लेकिन ई.सी. के आवेदन के पत्र, शपथ पत्र व प्राप्त ई.सी. में कहीं भी अंकित नहीं है। अगर किसी पत्रावली में एक लाइन भी लिखी है तो उसका अवलोकन कराएं । फाउंडेशन ने दिए साक्ष्य फाउंडेशन ने प्रमुख शासन सचिव रीको को यह भी अवगत कराया कि रीको द्वारा जिला कलक्टर व एसपीवी को दिए दोनों पत्रों में सीईटीपी निर्माण के लिए अलग अलग पत्रावली दी गई है। इसमें कलक्टर को दिए पत्र में रीको द्वारा केन्द्र सरकार की योजना एमएसई सीडी राज्य सरकार सीईटीपी स्कीम 2019 की योजना दोनों में से चाहे जिसमें अप्लाई करते एसपीवी सीईटीपी निर्माण कराए अर्थात सीईटीपी निर्माण में रीको अपनी जवाबदेही को नकार रहा है। फाउंडेशन ने साक्ष्य रूप में पत्र की प्रतिलिपि भी शासन सचिव को उपलब्ध करवाई थी।
इधर, फाउंडेशन को दिए पत्र में बताया कि एसपीवी एमएसई, सीडीपी योजना में एप्लाई करें व एसपीवी अपना अंशदान देने के अलावा जो भी गेप फन्डिंग की एसपीवी को जरूरत होगी वह रीको द्वारा की जाएगी। इससे भी जाहिर होता है कि फाउंडेशन के पत्र में रीको ने अपनी जवाबदेही को स्वीकारा है। फाउंडेशन ने इसका भी साक्ष्य प्रमुख शासन सचिव को उपलब्ध करवा दिया। इस आधार पर फाउंडेशन ने लिखा कि दोनों पत्रों के अवलोकन करने से ऐसा प्रतित होता है कि रीको सीईटीपी निर्माण स्वयं ही गुमराह अथवा भ्रमित है ।