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जीएसटी बिगाड़ेगा दाल का जायका

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बीकानेर। जीएसटी काउंसिल की अनुशंसा पर केन्द्र सरकार आटे व दाल पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है। इससे देशभर के खाद्य कारोबारियों में हड़कंप सा मचा हुआ है। विरोध के सुर तीखे होने लगे हैं। इसी कड़ी में ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा देशभर के दाल मिलर्स की मीटिंग हो चुकी है। बैठक की अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने की। बैठक में निर्णय किया कि केंद्र सरकार द्वारा अनाज, दाल एवं अन्य खाद्य पदार्थों पर 18 जुलाई से लगने वाले जीएसटी के विरोध में देशभर के दाल मिलर्स अपने प्रतिष्ठान 16 जुलाई को एक दिन के लिए सांकेतिक रूप से बंद रखेंगे। सभी मिलर्स ने यह भी निर्णय किया कि अगर सरकार निर्णय वापस नहीं लेती है तो आगे आन्दोलन को और तेज किया जाएगा। बीकानेर के कारोबारियों ने बताया कि दालों पर पांच फीसदी जीएसटी से • फिनिश्ड गुड्स और महंगा हो जाएगा। वहीं कोरोना की मार से व्यापार उबरा ही नहीं की ऊपर से 5 फीसदी जीएसटी लगाकर सरकार कारोबारियों की कमर तोड़ने में लगी है। उपभोक्ताओं का कहना है कि कुछ खाद्य पदार्थों पर पहले से टैक्स लग रहा है। अब दाल महंगी होगी तो दाल के पकोड़े, बड़ी, दाल का हलवा आदि मिठाई व नमकीन का जायका बिगड़ जाएगा। बीकानेर में पापड़ का बड़ा कारोबार है और इसके महंगे होने से छोटे कारोबारियों को मुश्किलें आएगी।

कारोबारियों का कहना है: 👇

सरकार का यह निर्णय खाद्यान व दलहन व्यापार के लिए सही नहीं है और ना ही यह किसानों व आमजन के लिए हितकर है। इस सम्बंध में हुई बैठक में 16 जुलाई को सांकेतिक बंद करने का निर्णय किया है। बीकानेर के कारोबारियों का पूरा समर्थन है।- राजकुमार पचीसिया, सचिव, बीकानेर दाल मिल्स एसोसिएशन

एक तरफ तो सरकार फ्री राशन का वितरण कर रही है, दूसरी तरफ 5पर्सेट जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है, जो कि अनुचित है। इस व्यापार में सिर्फ आधे से एक प्रतिशत के मार्जिन पर व्यापारी बड़ी मुश्किल से काम करता है जिसमें 5 पर्सेट जीएसटी लगना कैसे सम्भव है। अभी कोरोना काल से आर्थिक रूप से परेशान व्यापारी ने राहत की सांस भी नहीं ली है, ऊपर से पांच पर्सेट जीएसटी लगाने का निर्णय सरकार ऐसी स्थिति में कैसे ले रही है।

-अशोक वासवानी, विशेष सदस्य, ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन

दाल पर जीएसटी लगने से घर का बजट पूरा बिगड़ जाएगा। पापड़ पर अभी जीएसटी नहीं है, लेकिन अब यह भी इसकी चपेट में आ जाएगा, क्योंकि पापड़ में दाल का इस्तेमाल होता है। अब पापड़ भी महंगा हो जाएगा। छोटे व्यापारियों को हिसाब रखना मुश्किल हो जाएगा।

वेद अग्रवाल, अध्यक्ष, बीकानेर पापड़ भुजिया मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन

पहले सरकार ने ब्रांड नॉन ब्रांड को अलग किया। पिछले चार साल में जो ब्रांड बेच रहे हैं वे आटा मिले फेल पड़ी है। गेहूं पर जीएसटी है, चीनी पर है, गुड़ पर है ऐसी 15 चीजों पर हैं तो एक दाल पर लग जाएगा तो क्या फर्क पड़ेगा। सरकार के पास जाएंगे तो सरकार कहेगी कि सब पर टैक्स लग रहे तो फिर एक दाल पर टैक्स लगने से क्या फर्क पड़ेगा। कारोबारियों को केवल दाल को लेने से क्या होगा। आवश्यक वस्तुओं पर से जीएसटी हटा दे तब तो बेनिफिट हैं। – सुरेश राठी, प्रमुख, अन्नपूर्णा प्राइम फूड
दाल पर जीएसटी लगने से बेसिक पर तो फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन इनपुट कोस्ट बढ़ जाएगी। एंड यूजर को सीधे-सीधे 5 प्रतिशत महंगा उत्पाद मिलेगा। – राजेंद्र अग्रवाल, प्रमुख, रूपचंद मोहनलाल एंड कंपनी

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