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… और वे पाकिस्तान सरकार की आँख की किरकिरी बन गए

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बीकानेर । डॉ. सूरज प्रकाश का जन्म पंजाब के गुरुदासपुर जिले के एक गाँव छमल में 27 जून 1920 को हुआ था। उनके पिता का नाम राम सरन महाजन एवं माता का नाम श्रीमती मेला देवी था। 1943 में प्रथम श्रेणी तथा विशेष योगयता के साथ एमबीबीएस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। इसी वर्ष वे सर गंगाराम हॉस्पिटल लाहौर में हाउस सर्जन के पद पर नियुक्त हो गये। तत्पश्चात् उनकी नियुक्ति सर बालक राम मेडिकल कॉलेज लाहौर में प्रवक्ता के पद पर हो गई।

15 अगस्त 1947 को भारत का विभाजन हो गया एवं पंजाब के हिन्दू भारत की ओर पलायन करने लगे। डाक्टर साहब इन सबको सुरक्षित रूप से बाहर निकालने उन्हें, रसद पहुँचाने तथा दंगाईयों से उनके सुरक्षा करने के काम में अत्यंत उत्साह से जुट गये। उनकी ख्याति लाहौर में फैलने लगी एवं वे पाकिस्तान सरकार की आँख की किरकिरी बन गये। उनके सर पर इनाम घोषित कर दिया गया, विवश होकर पंजाब (पाकिस्तान) छोड़कर डाक्टर साहब को भारत आना पड़ा।

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भारत विकास परिषद् की स्थापना

भारत विकास परिषद् की स्थापना सन् 1963 में हुई थी। यह वर्ष स्वामी विवेकानन्द का जन्म शताब्दी वर्ष भी था। डा. सूरज प्रकाश जी ने 1962 में चीनी आक्रमण के समय भारतीय सैनिकों की सहायता करने हेतु जिस सिटीजन्स फोरम या जनमंच की स्थापना की थी, कौसिंल ने जनता के बीच जाकर सीमा पर लड़ने वाले सैनिकों के लिये ऊनी वस्त्र, गर्म मोजे, स्वेटर, दवाइयां इत्यादि एकत्र की एवं सरकार को भेजनी प्रारम्भ की दीं। जनमंच को अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई एवं दिल्ली की जनता ने इसके कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उसी को 1963 में भारत विकास परिषद् में परिवर्तित कर दिया गया।

मिलने वाले होते थें प्रभावित

डॉक्टर साहब में नेतृत्व की जन्मजात प्रतिभा थी । चुम्बकीय व्यक्तित्व एवं लक्ष्य के प्रति समर्पण ये नेता के सबसे बड़े गुण होते हैं। डॉक्टर साहब साधारण कार्यकर्ता से लेकर विद्वानों, उद्योगपतियों, राजनीतिज्ञों जिससे भी मिलते वह उनसे प्रभावित होता था एवं उनका अपना बन जाता था। राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, वी. वी. गिरी एवं ज्ञानी जैल सिंह भारत विकास परिषद के कार्यक्रमों में उपस्थित हुए। लाल हंसराज गुप्ता, डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी, न्यायमूर्ति बी. पी. सिन्हा, वी. एम. त्रेहान, जगमोहन जैसे व्यक्तियों को उन्होंने परिषद् से जोड़ा। देश के हर कोने का कार्यकर्ता उनसे बातचीत करने को उत्सुक रहता था एवं उन्हें अपना समझता था। (भारत विकास परिषद की प्रेस कांफ्रेंस में उपलब्ध कराई सामग्री के अनुसार )

बता दें कि भारत विकास परिषद के संस्थापक डॉ सूरज प्रकाश की 102 वीं जयंती समारोह की कड़ी में रविवार को संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। जिसमें मध्य रीजन उत्तर प्रांत के सदस्य गण भाग लेंगे। इसके अलावा भी उत्तर प्रांत 34 शाखाओं के पदाधिकारी,सदस्यों व शहर के गणमान्य शिरकत करेंगे। कार्यक्रम संयोजक अश्विनी कुमार घई ने बताया कि रविन्द्र रंगमंच में होने वाले इस संगोष्ठी में डॉ सूरज प्रकाश के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला जाएगा। साथ ही भारत विकास परिषद के उद्देश्यों और स्थापना से अब तक किये गये कार्यों की जानकारी भी प्रदान की जाएगी। समारोह में संस्थापक सदस्य राजेन्द्र गर्ग ने बताया कि संपर्क,सहयोग,संस्कार,सेवा व समर्पण के भाव से काम कर रही भाविप ने कोरोना काल में भी काफी काम किया। यहीं नहीं गुरूवंदन शिष्य अभिनंदन,भारत को जानो,सामूहिक गान प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम कर आने वाली पीढ़ी को देश के इतिहास,संस्कृति से रूबरू करवाने का कार्य कर रही है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल,विशिष्ट अतिथि क्षेत्रिय महासचिव त्रिभुवन शर्मा,महापौर सुशीला कंवर,प्रांतीय अध्यक्ष मोटाराम चाचान होंगे। अध्यक्षता श्याम शर्मा करेंगे। कार्यक्रम के फोल्डर का विमोचन शुक्रवार को संस्थापक राजेन्द्र गर्ग,अश्विनी कुमार घई,नगर इकाई अध्यक्ष डॉ वेदप्रकाश गोयल,सचिव राजीव शर्मा,प्रदीप सिंह चौहान ने किया।

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