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दुर्लभ मनुष्य जन्म का करें सदुपयोग – आचार्य महाश्रमण

– आचार्यप्रवर ने की चार दुर्लभ तत्वों की व्याख्या

– लगभग 15 किमी विहार कर शांतिदूत पहुंचे सालूंडिया

सालूंडिया, बीकानेर। अहिंसा, प्रेम, भाईचारे का संदेश देते हुए अहिंसा यात्रा प्रणेता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी अपने पावन प्रवचनों से आत्म कल्याण का मार्ग बताते हुए बीकानेर जिले में सानंद विचरण कर रहे है। जेठ माह की तीखी गर्मी जहां आम लोगों को अपने घरों से निकलने नहीं देती ऐसी गर्मी में भी समत्व साधक आचार्यश्री महाश्रमण परकल्याण के लिए निरंतर गतिमान है। आज सूर्योदय की बेला में आचार्यश्री ने श्री सुसवाणी माता मंदिर मोरखाणा धाम से मंगल विहार किया। विहार के दौरान नोखा के विधायक श्री बिहारीलाल विशनोई भी कई किलोमीटर पैदल चल पदयात्रा में संभागी बने। लगभग 15 किलोमीटर का विहार कर शांतिदूत सालूंडिया ग्राम के राजकीय विद्यालय पहुंचे। जहां सरपंच सहित गांववासियों ने शांतिदूत का अपने गांव में हार्दिक स्वागत किया।

धर्मसभा में प्रवचन करते हुए आचार्यश्री ने कहा – संसार में चार चीजों को दुर्लभ कहा गया है। पहला है– मनुष्यत्व अर्थात मनुष्य जन्म मिलना बड़ा दुर्लभ है व इसके साथ महत्वपूर्ण भी। चौरासी लाख जीव योनियों में मनुष्य जन्म मोक्ष का द्वार है। शास्त्रों में कहा गया है कि देवताओं को भी मनुष्य भव से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। इसलिए जो मनुष्य जन्म हमें मिला है इसका जितना हो सके सदुपयोग करना चाहिए। दूसरी दुर्लभ वस्तु है – धर्मश्रुति। धर्म का श्रवण करना दुर्लभ है। संसार में कितने इसे मनुष्य होंगे जिन्हें धर्म, अहिंसा क्या है ये भी नहीं पता। मनुष्य जन्म में भी धर्म का श्रवण दुर्लभ है।

गुरूदेव ने आगे कहा की कई धर्मश्रवण कर भी ले तो फिर धर्म के प्रति श्रद्धा का होना दुर्लभ है और फिर उस अनुरूप आचरण तथा संयम में पुरुषार्थ व पराक्रम का होना दुर्लभ है। व्यक्ति को साधु–संतों का योग मिल जाए तो फिर जीवन में धर्म को उतारने का प्रयास करे। मनुष्य जन्म को हम सार्थक करे यह अपेक्षित है।

इस अवसर पर गांव से सरपंच रामस्वरूप विशनोई, शिवराज विशनोई, विद्यालय के प्रिंसिपल ओमप्रकाश मीना, विमला देवी मालू नोखा, देवकिशन चांदड़ ने अपने विचार रखे। जोरावरपुरा तेरापंथ महिला मंडल, भीनासर महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी।

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