बीकानेर में आज के मुकाबले बुधवार को एक डिग्री तापमान रहेगा ज्यादा, चलेगी लू
बीकानेर । ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, कृषि अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर द्वारा मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आने वाले दिनों में दिन व रात के तापमान में बढ़ोतरी होने, कम आपेक्षिक आर्द्रता के साथ तेज गति की हवाएँ चलने और स्वच्छ आकाश छाए रहने के साथ वर्षा नहीं होने की संभावना है। मंगलवार को जिले का अधिकतम तापमान 46 डिग्री व न्यूनतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और 19 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलती रही। कल यानि बुधवार को तापमान एक डिग्री बढ़ कर 47 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। वहीं हवा की गति भी बढ़ कर 21 किमी प्रति घंटे रहने की संभावना है।
बीकानेर जिले के किसानों को दी जाती है ये सलाह
नरमा कपास की बिजाई मई महीने के प्रथम सप्ताह से शुरू हो जायेगी खेत की तैयारी के लिए एक गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल (मॉल्ड वोर्ड) से करें तथा दो-तीन जुलाई कल्टीवेटर से करें। खेत तैयारी के समय 30-35 क्विंटल गोबर की खाद प्रति बीघा की दर से प्रयोग करें। अमेरिकी कपास के लिए आरएस 2013 अमएस 810 बीकानेर नरमा, मरु विकास और बीटी कपास के लिए आरसीएच134 बीजी. आरसीएच-314, बीजी. आरसीएच 850 बीजी. एमआरसी 7017 बीजी ॥ उपयुक्त किस्मों का करें।
बीटी कपास की बुवाई 100 सेमी (पंक्ति से पंक्ति) X 60 सेमी (पाँधे से पौधे की दूरी पर करें।
देशी कपास की बुवाई का उचित समय है प्रचलित किस्मै आर. जी 8. आर. जी 18 राज.डी. एच-9 एचडी 123 या आर जी 542 है। देशी कपास की बुवाई में कतार से कतार की दूरी सवा दो फुट व पौधे से पौधे की दूरी दो फुट रखें।
भारतीय कपास की बुवाई का उचित समय मई के पहले सप्ताह तक है। उन्नत किस्में RG-8, RG-18, RDH-9, HD-123 या RG-542 हैं और भारतीय कपास की बुवाई 67.5 सेमी (पंक्ति से पंक्ति) x 60 सेमी (पौधे से पौधे) है।
खजूर, किन्नों, संतरा व नीबू के बगीचे में नियमित अन्तराल पर सिंचाई करें।
गर्मियों में पशुओं को हरा चारा खिलाने के लिए बाजरा की आर बी सी-2 व जयंत बाजरा जैसी किस्में बोएं।
हरा चारा फसलों में नियमित रूप से सिंचाई करें।
खेत में चूहों के नियंत्रण हेतु जिंक फास्फाइड आटा + खाने का तेल का 2 : 94 4 के अनुपात में मिश्रण का चुगा खुले बिल्लो पर रखें
आने वाले दिनों में लू चलने की संभावना है, सब्जियों व फलों की फसलों में समय पर सिंचाई करें।
आने वाले दिनों में गर्म हवा चलने की संभावना है, पशुओं को प्रचूर मात्रा में पानी पिलावे एवं उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखें। पशुओं को संतुलित आहार के साथ साथ खनिज मिश्रण भी प्रतिदिन खिलाये।
दुधारू पशुओं को थनैला रोग से बचाने के उपाय करे पशुओं को खुरपका मुहपका रोग से बचाव का टीका लगवाएँ एवं पेट में कीड़ो की दवाई नियमित देवें ।