कोविड-19 की आशंकित तीसरी लहर में बच्चों को निमोनिया से बचाएगा “सांस” कार्यक्रम
विश्व निमोनिया दिवस पर आईईसी विमोचन के साथ हुआ शुभारंभ
बीकानेर, 12 नवंबर। पांच वर्ष तक आयु के बच्चों में निमोनिया को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा “सांस” कार्यक्रम चलाया गया है यानी कि समुदाय पर निमोनिया (ए आर आई) की सफलतापूर्वक रोकथाम हेतु अभियान एवं सामाजिक जागरूकता। बीकानेर जिले सहित प्रदेशभर में 12 नवंबर से 28 फरवरी तक सांस अभियान चलेगा। कोविड की तीसरी आशंकित लहर में भी बच्चों पर इसके दुष्प्रभाव की अधिक आशंका जताई गई है। ऐसे में इस अभियान के प्रति अधिक गंभीरता से कार्य करने एवं अभियान को सफल बनाने के निर्देश राज्य सरकार ने जारी किए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राजस्थान के मिशन निदेशक सुधीर शर्मा ने सांस कार्यक्रम को बच्चों में निमोनिया के विरुद्ध जन आंदोलन के स्वरूप में आगे बढ़ाने के निर्देश दिए ताकि निमोनिया से शिशु मृत्यु को 3 प्रति हजार से नीचे लाया जा सके। इसके लिए आशा सहयोगिनी के माध्यम से अमोक्सिसिल्लिन एंटीबायोटिक का तथा चिकित्सक, एएनएम व सीएचओ द्वारा इंजेक्शन जेंटामाइसिन के विधिवत अनुप्रयोग हेतु प्रबंधन पर जोर दिया है।
शुक्रवार को विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर कार्यक्रम से सम्बंधित आईईसी यानीकि प्रचार सामग्री के विमोचन के साथ अभियान का जिला स्तरीय उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर अभियान के नोडल अधिकारी आरसीएचओ डॉ राजेश कुमार गुप्ता, डिप्टी सीएमएचओ डॉ योगेंद्र तनेजा, जिला आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य, डॉ विवेक गोस्वामी, डॉ आशुतोष उपाध्याय, विपुल गोस्वामी, सामाजिक कार्यकर्ता आशुराम सियाग व दाऊ लाल ओझा मौजूद रहे।
डॉ गुप्ता ने जानकारी दी कि भारत में प्रतिवर्ष होने वाली शिशु मृत्यु का 14% यानी कि लगभग 1 लाख 30 हजार बच्चे निमोनिया की वजह से मरते हैं। उन्होंने बताया कि निमोनिया आसानी से रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि समय रहते निमोनिया के लक्षणों की पहचान कर बच्चे को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाए। यदि बच्चे को खांसी जुखाम के साथ सांस लेने में तकलीफ है या पसलियां धंस रही है तो यह निमोनिया हो सकता है। ऐसे में तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र अथवा आशा या एएनएम से संपर्क करना चाहिए।
आईईसी समन्वयकआचार्य ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समुदाय में जागरूकता पैदा करना, निमोनिया की पहचान करने में सक्षम करने के लिए देखभालकर्ता को जागरूक करना, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से निमोनिया के मिथकों व धारणाओं के बारे में व्यवहार परिवर्तन करना है। विभाग की ओर से फेसबुक पेज व ट्विटर हैंडल हैल्थी बीकानेर सहित अन्य मीडिया के माध्यम से आमजन को जागरूक किया जाएगा।
क्या है निमोनिया ?
शिशु रोग विशेषज्ञ व सीएमएचओ डॉ ओ. पी. चाहर ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला सूजन या संक्रमण है जिसमें फेफड़ों की कोशिकाएं मवाद या पस से भर जाती है एवं ठोस हो जाती है। निमोनिया को प्राय: एआरएआई भी कहा जाता है। निमोनिया सामान्यतया बैक्टीरिया, वायरस, फंगस अथवा परजीवी संक्रमण के कारण होता है। भारत में प्रमुख रूप से स्ट्रैप्टॉकोक्कस निमोनियाई व हिमोफिलस इनफ्लुएंजाई नामक जीवाणु बच्चों में होने वाले निमोनिया का प्रमुख कारक है। बच्चों में निमोनिया के कारण सांस लेने में परेशानी होती है एवं निमोनिया के गहन संक्रमण के कारण बहुत से बच्चों को सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उनकी मृत्यु भी हो जाती है।