‘सहेजने का सुख’ का लोकार्पण
जोशी की रचना शिक्षा साहित्य, कला एवं लोक संस्कृति का संगम: सुथार

बीकानेर। ‘ जोशी की रचना दो पीढ़यों का सेतु है जो हमारे संस्कार, संस्कृति सभी को सहेजती है’ उक्त उद्बोधन सुरभि साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान बीकानेर के सानिध्य में आयोजित बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी गणपतलाल सुथार एवं विशिष्ठ अतिथि सेवानिवृत संयुक्त निदेशक ओमप्रकाश सारस्वत ने साहित्यकार गोविन्द जोशी की पुस्तक ”सहेजने का सुख“ के लोकार्पण के अवसर पर कही। सुथार ने कहा कि जोशी की रचना दो पीढ़यों का सेतु है जो हमारे संस्कार, संस्कृति सभी को सहजती है तथा पुस्तक ‘सहेजने का सुख’ को शिक्षा साहित्य, कला एवं लोक संस्कृति का संगम है।
पुस्तक की समीक्षा करते हुए ओमप्रकाश सारस्वत ने पुस्तक में उपयुक्त शब्द संयोजन, आलेखों की गहराई एवं क्रियात्मकता की झलक बताई। पुस्तक को वर्तमान समय में युवाओं के लिए उपयोगी बताया।
साहित्यकार कवि भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ की आशीष ‘रचनाशीलता के आयाम’ की प्रस्तुति साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने की। ‘विनोद’ ने जोशी की कृति को विलक्षण बताया इसमें साहित्य की सृजनता का दिग्दर्शन बताया। पुस्तक में अभिमत के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी ललित के पंवार के विचारों का वाचन जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर के अध्यक्ष अविनाश भार्गव ने करते हुए लेखक जोशी एवं ‘सहेजने का सुख’ की सामन्जस्यता पर विचार व्यक्त किए।
लेखक गोविन्द जोशी ने इस कृति की अवधारणा एवं संकलन के बारे में विचार रखते हुए कहा कि वर्तमान समय में पढ़ने लिखने की आदत की नितांत आवश्यकता है।
कार्यक्रम के संयोजक रोहित बोड़ा ने संचालन करते हुए पुस्तक की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। संस्थान के सचिव दिनेश उपाध्याय ने आगन्तुकों का स्वागत करते हुए संस्थान की गतिविधियों की जानकारी दी। आभार ललित जोशी ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर डॉ. जीके नागपाल, विरेन्द्रसिंह यादव, कमल किशोर पारीक, राजेन्द्र विश्नोई, आशाराम जोशी, बृजसुन्दर जोशी, भरत शर्मा, प्रदीप शर्मा सक्रिय सहभागिता रही।