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प्रदेश के इन जिलों में हर साल बढ़ रहा है अनार की खेती का क्षेत्रफल

“अनार उत्पादन की उन्नत तकनीक” पर वैज्ञानिक कृषक संवाद

‘लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता व बदलती हुई ‘फूड हैबिट’ के कारण फलों विशेषकर, अनार की मांग बढ़ रही हैं- कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह

बीकानेर,31 बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में ‘अनार उत्पादन की उन्नत तकनीक’ विषय पर वैज्ञानिक-कृषक संवाद आयोजित किया गया। माननीय कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप संबोधित करते हुए कहा कि अनार-उत्पादन के क्षेत्र में हमारा देश अग्रणी स्थान रखता है। मरु-प्रदेश के बाड़मेर, सिरोही, भीलवाड़ा, जैसलमेर, पाली, जोधपुर व  बीकानेर आदि जिलों में अनार की खेती का क्षेत्रफल प्रतिवर्ष बढ़ रहा है। किसानों के अनार के प्रति रुझान बढने के कई कारण है, जैसे की परंपरागत फसलों की तुलना में प्रति बीघा अधिक आमदनी, बाजार में मांग, गर्म व शुष्क क्षेत्र में उगने की क्षमता, विटामिन व मिनरल्स से भरपूर पोषक तत्व आदि । यह देखा गया है की शुष्क-जलवायु वाले जिले बीकानेर, चूरू व जैसलमेर में अनार उत्पादक किसानों को कई तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । किसानों को उन्नत गुणवत्ता वाले पौधे उपलब्ध नही होने कारण वे दूसरे राज्य से पौधे लाते हैं, इस कारण निमेटोड से ग्रसित पौधे व तैलीय धब्बा रोग से संक्रमित पौधे भी आ जाते है। इसके अलावा अनारों के फलों के फटने की समस्या भी है जिसका उचित समाधान भी आवश्यक है। लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और बदलती हुई ‘फूड हैबिट’ के कारण फलों के साथ-साथ  इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों की भी बाजार में मांग बढ़ी है। इन सभी बातों को ध्यान मे रखते हुए आज किसान वैज्ञानिक-संवाद आयोजित किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ.पी.एस शेखावत निदेशक अनुसंधान एवं डॉ.एस.आर. यादव, क्षेत्रीय निदेशक, कृषि-अनुसंधान केंद्र, बीकानेर कार्यक्रम समन्वयक व सह आचार्य डॉ.आर.एस.राठौड़  ने किसानों को अनार की उन्नत उत्पादन तकनीक, कीड़ों व बीमारियों से बचाव के तरीके, तुड़ाई उपरांत प्रबंधन व मूल्य संवर्धन आदि विषय पर संबोधित किया। किसानों ने विषय-विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों से  चर्चा कर समस्याओं के समाधान खोजे। डॉ अरविंद झाझरीया ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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