कल्लाजी वैदिक निजी विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) का मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में होगा विलय
उदयपुर । प्रदेश में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के उन्नयन, युवाओ को उच्च शिक्षा के सुलभ और समुचित अवसर प्रदान करने, उत्कृष्ट शैक्षणिक व्यवस्था, रोजगार नियोजन के नवीन अवसरों के सृजन के साथ सुविवि के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह ने प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में प्रथम बार “विश्वविद्यालय विस्तार” की नवीन परिभाषा और मानक तय कर दिए हैं। हाल ही में हुए समझौते के तहत श्री वैदिक कल्लाजी विश्वविद्यालय मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में विलय होने जा रहा है। इसको लेकर दोनों विश्वविद्यालय प्रबंधन के मध्य सहमति बनी है। जिसके अंतर्गत राज्य में परंपरागत भारतीय ज्ञान-विज्ञान, वैदिक साहित्य और संस्कृति के लिए समर्पित कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा शीघ्र ही मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में समायोजित होने जा रहा है।इस संबंध में रविवार को सुविवि के कुलपति प्रो.अमेरिका सिंह तथा श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के प्रायोजक निकाय श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ की ओर से चेयरपर्सन कैलाश मूंदड़ा तथा विश्वविद्यालय प्रेसीडेंट प्रो. लक्ष्मी शर्मा, बोम सदस्य -सुविवि के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र तथा प्रदेश के उच्चशिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी से मुलाकात की और विलय की कार्ययोजना से उन्हें अवगत कराया। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र से भेंट के दौरान श्रीकल्लाजी वैदिक विवि के चेयरपर्सन कैलाश मूंदड़ा ने निम्बाहेड़ा – उदयपुर हाईवे पर मौजूद विवि के 50 बीघा भूमि पर सवालाख वर्गफुट में निर्मित और विकसित भव्य परिसर सहित विवि की समस्त चल – अचल सम्पत्ति और मानव संसाधन का विलय एवं समायोजन मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में करने का समर्पण पत्र राज्यपाल को सौंपा । इस मुलाकात में सुविवि के कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने दोनों विश्वविद्यालयों की ओर से इस विलय के संस्थागत, अकादमिक और विधिक पहलुओं पर चर्चा की और नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत योजनाबद्ध शैक्षणिक विकास पर विचार रखे। प्रो.सिंह ने दोनों विश्वविद्यालयों द्वारा अब तक संपन्न प्रक्रिया की जानकारी प्रदान की। प्रो.लक्ष्मी शर्मा ने कहा कि यह वैदिक शिक्षा के विकास की दिशा में यह ऐतिहासिक कार्य होने जा रहा है। प्रो. नीरज शर्मा ने विश्वविद्यालय के भावी स्वरूप और संभावनाओं पर विचार रखे। राज्यपाल के विशेषाधिकारी गोविन्द जायसवाल ने प्रस्ताव की सराहना करते हुए विधिक प्रक्रिया के बारे में अवगत कराया। कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र ने संपूर्ण प्रस्ताव के अवलोकन और परिचर्चा के बाद प्रसन्नता जाहिर करते हुए शीघ्र क्रियान्वयन के लिए आश्वस्त किया और निम्बाहेड़ा आगमन का भी आमंत्रण स्वीकार किया।
सुविवि कुलपति प्रो अमेरिका सिंह के साथ वैदिक विवि के चेयरपर्सन श्री कैलाश मूंदड़ा कुलसचिव डॉ मधुसुदन शर्मा और सुविवि संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भाटी के साथ भी मुलाकात की और श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के सुविवि में समायोजन को लेकर विचार – विमर्श किया। वैदिक विवि प्रायोजक निकाय की ओर से उच्चशिक्षा मंत्री भाटी को भी विलय प्रस्ताव सौंपा गया । इस मौके पर सुविवि के कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने अब तक दोनों विश्वविद्यालयों द्वारा सम्पन्न विधिक कार्यवाही के बारे में उच्चशिक्षा मंत्री को अवगत कराया गया । प्रो . सिंह ने बताया कि श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय का यह प्रस्ताव मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद और दोनों विश्वविद्यालयों की संयुक्त मिनी बोम की बैठक के द्वारा अनुमोदित किया गया है। संयुक्त बोम के प्रस्ताव के अनुसार श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के प्रबंधमण्डल और प्रायोजक निकाय द्वारा राज्यपाल और राज्य सरकार को उचित कार्यवाही के लिए प्रेषित किया गया है । इसी क्रम में राज्यपाल और उच्चशिक्षा मंत्री से मुलाकात कर इसे अमली जामा पहनाने का अनुरोध किया गया है। कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में समायोजन के संबंध में विधिक प्रक्रिया के लिए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भाटी ने आश्वस्त किया। भाटी ने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विकास और विस्तार की इस कार्य योजना का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि इससे प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा तथा वैदिक साहित्य और संस्कृति के संरक्षण को ऐतिहासिक मजबूती मिलेगी ।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अमेरिका सिंह ने बताया कि श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा भविष्य में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संघटक संस्थान-श्री कल्लाजी परिसर निंबाहेड़ा के रूप में जाना जाएगा जहां श्री कल्लाजी विश्वविद्यालय के वैदिक शिक्षा संवर्धन के मूल उद्देश्य को निरंतर संरक्षित किया जाएगा। सुविवि के श्री कल्लाजी परिसर में वैदिक शिक्षा के साथ निंबाहेड़ा परिसर में फैकेल्टी आफ आयुर्वेद, फैकल्टी ऑफ योग एण्ड नेचुरोपेथी तथा वैदिक कृषि विज्ञान संबंधित पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे । वैदिक ज्ञान परंपरा की आधुनिक समाज में उपयोगिता और प्रासंगिकता के साथ लेकर भी शोध को बढ़ावा दिया जाएगा।आधुनिक वैज्ञानिक परंपरा को उसके प्राचीनतम इतिहास के साथ भी जोड़ा जाएगा। वैदिक कृषि, वैदिक अर्थशास्त्र, वैदिक प्रबंध शास्त्र आदि से जुड़े भी पाठ्यक्रमों के साथ श्री कल्लाजी परिसर में विज्ञान और तकनीकी आधारित रोजगार मूलक पाठ्यक्रम भी संचालित होंगे।कुलपति प्रो. सिंह ने बताया कि उदयपुर के साथ साथ विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के अन्य जिलों -राजसमंद चित्तौड़गढ़ और सिरोही में भी विश्वविद्यालय के अपने परिसर संचालित होंगे। इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा चित्तौड़गढ़ जिले का विश्वविद्यालय परिसर बनने जा रहा है।
कुलपति प्रो. सिंह ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए विश्विद्यालय विस्तार की इस कार्ययोजना पर कहा कि हमने एक प्रयास किया है कि हमारे विश्वविद्यालय उन्नत और अधिक सक्षम बनें, इसके माध्यम से विश्वविद्यालय को उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकेगा, विद्यार्थियों व शोधार्थियों को शोध व नवाचार के क्षेत्र में बेहतर करने का अवसर प्राप्त होगा जिससे विद्यार्थी एवं शोधार्थी लाभ उठा सकेंगे। हमारे
विद्यार्थी और शिक्षकगण हमारी सभ्यता और संस्कृति को एक बार पुनः पहचानने का प्रयास करेंगे और अपने अनुसंधान के माध्यम से अपने ज्ञान को विकसित करेंगे। जिससे शिक्षक और विद्यार्थी में अपनी संस्कृति के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित होगी। इस विलय से दोनोंविश्वविद्यालय के विधार्थी और शिक्षक लाभान्वित होंगे और हम विद्यार्थियों एक अच्छा नागरिक बनाकर देश के विकास में सर्वस्व समर्पित करने के लिए तैयार कर सकेंगे। हमारी भारतीय सभ्यता संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था काफी पुरातन है और एक वृहत सांस्कृतिक स्वरूप को लिए हुए हैं। विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति के प्रति जुड़ाव और जागरूकता पैदा करने एवं शैक्षणिक गतिविधियों के उन्नयन, योग विज्ञान, योग चिकित्सा, भारतीय संस्कृति, भारत की विरासत, पर्यटन, प्रबंधन, कृषि विकास, पर्यावरण, समग्र स्वास्थ्य,आदिवासी व जनजातीय रोजगार – स्वाबलंबन तथा आयुर्वेद के ज्ञान विज्ञान के विकास इत्यादि विषयों पर उद्देश्यात्मक रूप सें कार्य किया जाएगा। विश्वविद्यालय का मानना है कि शिक्षा के साथ हमारे पैतृक ज्ञान को लागू करने के लिए हमें एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। गौरतलब है कि मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय अपने नवाचारों और अभिनव कार्य योजनाओ को लेकर निरंतर उच्च शिक्षा के उन्नयन और विकास के लिए हेतु प्रयत्नशील है।