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देश में बाजरा उत्पादन में प्रथम राजस्थान में नई किस्में बाजरा प्रोडक्शन में इजाफा करने में होगी सहायक

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एस.के.आर यू: बाजरा उत्पादन की उन्नत तकनीक पर वर्चुअल संवाद
– बीकानेर की बाजरा परियोजना द्वारा उन्नत संकर किस्मे बीएचबी-1202 एवं बीएचबी-1602 तथा कई उन्नत शस्य सिफारिशें की गई है – कुलपति प्रो. सिंह

बीकानेर 23 जून। बाजरा उत्पादन की उन्नत तकनीक पर वर्चुअल संवाद आयोजित किया गया। वर्चुअल संवाद में 150 किसानों सहित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह, विशिष्ट अतिथि डॉ सी. तारा सत्यवती, बाजरा परियोजना समन्वयक, भाकृअप, जोधपुर, डॉ ओ.पी. यादव निदेशक, भाकृअप, डॉ पी. एस. शेखावत, निदेशक अनुसंधान ने संबोधित किया । डॉ. पी.सी. गुप्ता अतिरिक्त निदेशक अनुसंधान ने बीज एवं किस्में, डॉ राजकुमार जुनेजा, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय ने कीट एवं रोग प्रबंधन, डॉ. विमला डूंकवाल अधिष्ठाता, गृह विज्ञान महाविद्यालय ने मूल्य संवर्धन पर संबोधित किया।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. सिंह ने कार्यक्रम के विषय के बारे बताया की बाजरा भारत की चावल, गेहूं ,ज्वार के पश्चात चौथी महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है भारत में बाजरे का सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान द्वारा किया जाता है देश के कुल बाजरा क्षेत्रफल का राजस्थान में 49% के साथ प्रथम स्थान है तथा कुल उत्पादन का 40% उत्पादन राजस्थान में होता है जबकि उत्पादकता पश्चिमी राजस्थान की सबसे कम है इस क्षेत्र की उत्पादकता केवल 500 से 600 किलो प्रति हेक्टेयर है जिसका मुख्य कारण 70% से अधिक बाजरे का क्षेत्रफल पश्चिमी राजस्थान में है जहां की औसत वर्षा 250 से 400 मिलीमीटर और बल्कि इससे भी कम है तथा भूमि कम उपजाऊ एवं किसान उन्नत तकनीकी नहीं अपनाता है।
आजकल इसके कई से उत्पाद जैसे बिस्किट, केक, खाकरा, बाजरा लड्डू खिचड़ा राब आदि बनाने के कारण शहरी लोग भी इसे शौक से अपनाने लगे हैं।

पोषक तत्वों से भरपूर है बाजरा

बाजरे में भरपूर पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे 13 से 14% प्रोटीन 5 से 6% वसा 70% कार्बोहाइड्रेट एक से 2% मिनरल इसके अलावा यह आयरन काफी अच्छा स्त्रोत है। कुपोषण दूर करने में यह फसल सहायक सिद्ध हो सकती है ।
विगत वर्षों में बीकानेर में स्थित बाजरा परियोजना द्वारा उन्नत संकर किस्मे बीएचबी-1202 एवं बीएचबी-1602 तथा कई महत्वपूर्ण उन्नत शस्य सिफारिशें की गई है । ये महत्वपूर्ण सिफारिशें बाजरा उत्पादन में इजाफा करने में सहायक सिद्ध होगी । डॉ पी. एस. शेखावत, निदेशक अनुसंधान ने बाजरा फसल प्रबंधन पर व्याख्यान देते हुए बताया की फसल प्रबंधन की भूमिका 15% है जिस पर की फसल का पूरा दारोमदार रहता है। सही समय, सही मात्रा और सही तकनीक प्रबंधन का हिस्सा है जिससे लागत कम होती है और उत्पादन बढ़ता है। बीज कृषि की लागत की उत्पादकता को निर्धारित करता है उच्च गुणवत्ता वाले बीज कृषि की पैदावार को 40%तक बढ़ाने मे सक्षम होता है। सहायक आचार्य डॉ ए.के. झाझडिया, डॉ पी.एस. चौहान डॉ. बी.डी. एस. नाथावत कार्यक्रम के आयोजन सचिव रहे।

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