फूड व डेयरी टेक्नोलॉजी एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग काॅलेज खोलने के एसकेआरयू ने भेजे प्रस्ताव
– एसकेआरयू : समस्त कुलपतियों की राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 पर वीडियो कांफ्रेंसिंग
– प्रो रक्षपाल सिंह : पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ रहा है- स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय
बीकानेर, 24 मार्च | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) शिक्षा संभाग, नई दिल्ली द्वारा समस्त कुलपतियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो आर पी सिंह ने भाग लिया, कॉन्फ्रेंस की एजेंडा के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने और AIEEA में विद्यार्थियों के प्रवेश से संबंधित मदों पर चर्चा हुई । वीडियो कॉन्फ्रेंस , डॉ पी.एस. पांडे एडीजी (ईपीएचएस) के स्वागत भाषण के साथ आरंभ हुई । कुलपति ने बताया कि इस नई शिक्षा नीति में डिजिटल लर्निंग पर बल दिया गया है। यहां वर्चुअल क्लासरूम व एग्री दीक्षा (AGRI DIKHSA) सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर के अंतर्गत डिजिटल पोडियम विजुलाइजर इंटरएक्टिव पैनल पर चर्चा हुई। नई शिक्षा नीति में इस विश्वविद्यालय की पांच अनुशंसाएं रखी गई| जिसमें से की मल्टी एंट्री- एग्जिट स्नातक स्तर पॉलिसी को लागू किया जा चुका है। इसके लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट; एबीसी की प्रस्तावना की गई है जिसमे विद्यार्थी अलग.अलग उच्च शिक्षण संस्थानों से अर्जित शैक्षणिक क्रेडिट के द्वारा डिग्री प्राप्त कर सकता है। इसके लिए स्नातक स्तर पर आईसीएआर नोर्म्स के मुताबिक 184 क्रेडिटस को उतीर्ण करना होगा। प्रति सेमेस्टर 20-25 क्रेडिटस उतीर्ण करने आवश्यक है जो विद्यार्थी के अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में जमा हो जाएंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का जोर एकल संकाय वाले विश्वविद्यालय से बहु.संकाय विश्वविद्यालय बनाने पर है। स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय पहले से ही एक बहु.संकाय विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय में तीन महाविद्यालय हैं- कृषि महाविद्यालय गृह विज्ञान महाविद्यालय व कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान शामिल है। विश्वविद्यालय को बहु.संकाय बनाने के लिए विस्तार की बहुत संभावनाएं है जैसे कि कॉलेज ऑफ फूड टेक्नोलॉजी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफ डेयरी टेक्नोलॉजी और कॉलेज ऑफ बेसिक साइंसेज आदि नवीन महाविद्यालयों की स्थापना की जा सकती है जिसके प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे गए है|नवीन महाविद्यालयों की स्थापना करने के लिए बुनियादी ढांचा व कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए केंद्रीय व राज्य सरकार द्वारा वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी |
नई शिक्षा नीति का व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली पर बल है, इसमें उद्योग जगत, गैर सरकारी संगठनों के साथ लिंकेज कर अल्प अवधि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को खुली और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से लागू करना है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने मानव संसाधन विकास निदेशालय के माध्यम से किसानों- छात्रों को लाभान्वित करने के लिए अल्पकालिक व्यावसायिक पाठ्यक्रम-15 दिन- एक माह- दो माह- तीन माह तथा छह माह शुरू करने की योजना बनाई है। कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का संचालन मानव संसाधन निदेशालय द्वारा किया जा रहा है जैसे जैविक खेती, जल प्रबंधन, शुष्क क्षेत्र के फलों का मूल्य संवर्धन बाजरा व ऑलिव उत्पादों का मूल्य संवर्धन, मधुमक्खी पालन, आधुनिक डेयरी उत्पाद प्रबंधन, बीज उत्पादन कीट प्रबंधन के लिए बायो एजेंट उत्पादन वर्मी.कंपोस्टिंग नर्सरी प्रबंधन इत्यादि।
नई शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य विश्वविद्यालय में सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाना भी है। देश में कृषि विश्वविद्यालय, कुल विश्वविद्यालयों का 9 प्रतिशत हैं और कृषि विश्वविद्यालय में नामांकित छात्र भारतीय विश्वविद्यालयों में कुल छात्रों के 1प्रतिशत से भी कम हैं।इसलिए इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय को इनफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं को बढ़ाने के लिए तथा नए महाविद्यालयों की स्थापना के लिए केंद्रीय व राज्य सरकार द्वारा वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी। व्यावसायिक पाठ्यक्रम को नियमित पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएं जिससे विश्वविद्यालय में छात्र नामांकन संख्या 3000 से अधिक हो सके।
इस विश्वविद्यालय के डीन डॉ आई पी सिंह भी मौजूद रहे। कांफ्रेंस के अंत में डॉ जी. वेंकटेश्वरलू एडीजी (ईक्यूआर) धन्यवाद ज्ञापित किया गया।