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जैव विविधता से छेड़छाड़ करने के गम्भीर हो सकते परिणाम The consequences of tampering with biodiversity can have serious consequences

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डूंगर काॅेलज में जैव विविधता पर ज्ञान गंगा कार्यक्रम प्रारम्भ

बीकानेर 22 फरवरी। सम्भाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र एवं वनस्पति विभाग द्वारा आयुक्तालय के ज्ञान गंगा कार्यक्रम के तहत छह दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का उद्घाटन सोमवार को किया गया। संयोजक डाॅ. प्रताप सिंह ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारम्भ में कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुए राजस्थान में घटते जीवों की संख्या पर गहरी चिन्ता प्रकट की। उन्होंने कहा कि जीवों के संरक्षण के हर सम्भव उपाय किये जाने आवश्यक हैं। सर्वप्रथम प्राचार्य डाॅ. जी.पी.सिंह ने मां सरस्वती की प्रतिमा के माल्यार्पण कर शुभारम्भ किया। डाॅ. सिंह ने बताया कि कार्यक्रम के अध्यक्ष काॅलेज शिक्षा आयुक्त सन्देश नायक तथा उपाध्यक्ष उपायुक्त बी.एल.गोयल रहे। मुख्य अतिथि महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी.के.सिह रहे।
इस अवसर पर प्राचार्य डाॅ. जी.पी.सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में जैवविविधता जैसा विषयों पर मंथन अत्यावश्यक हैै। डाॅ. सिंह ने कहा कि राजकीय डूंगर महाविद्यालय ने प्रदेश में सर्वाधिक ज्ञान गंगा कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं। उन्होेनें प्रतिभागियों से इस प्रकार के कार्यक्रम का लाभ उठाने की अपील की। आयुक्तालय के प्रतिनिधि के रूप में अपने उद्बोधन में डाॅ. सुरेन्द्र भारद्वाज ने ज्ञान गंगा कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. वी.के.सिंह ने अपने उद्बोधन में बताया कि राजस्थान में पायी जाने वाली जैवविविधता विशेष है तथा इसके संरक्षण की महती आवश्यकता है। डाॅ. सिंह ने आह्वान किया कि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये जैव विविधता से छेड़छाड़ करने के गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। डाॅ. सिंह ने कहा प्राकृतिक संसाधन रहेंगे तभी यह सृष्टि बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि जीव जन्तु एवं वनस्पतियों के बचाव से मानव जीवन का बचाव सम्भव हैै। उन्होंने इस प्रकार के कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों को जैवविविधता की नवीनतम तकनीक की जानकारी मिल सकेगी।
प्राणीशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि आज के तकनीकी सत्र में उदयपुर के सेवानिवृत वन अधिकारी डाॅ. सतीश शर्मा ने कम संरक्षित क्षेत्रों में पाई जानी वाले जीव जन्तुओं एवं वनस्पतियों के बारे में विस्तृत चर्चा की। डाॅ. शर्मा ने कहा कि सरकारी योजनाओं में इनकी ओर ध्यान दिये जाने की महती आवश्यकता है। डाॅ. पुरोहित ने बताया कि द्वितीय तकनीकी सत्र में गुजरात की एचसीएन विश्वविद्यालय पाटन के डाॅ. निशित ए धैरेया ने जीआईएस तकनीक का जैवविधता संरक्षण में उपयोग की नवीनतम विधि के बारे में बताया।
कार्यक्रम के संयोजक डाॅ. नवदीप सिंह एवं डाॅ. मनीषा अग्रवाल रहे तथा डाॅ. विनोद कुमारी ने आयोजन सचिव के रूप में महत्ती भूमिका निभाई। विभागाध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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