नापासर औद्योगिक क्षेत्र के लिए मंजूर हुआ 33 केवी का जीएसएस, पूरी हुई उद्यमियों की मांग
बीकानेर।
बीकानेर जिला उद्योग संघ व नापासर उद्योग संघ लंबे समय से नापासर की औद्योगिक इकाइयों के समक्ष आ रही बिजली सम्बन्धी समस्याओं से निजात पाने हेतु 33 केवी जीएसएस की मांग कर रहा था जिस पर जोधपुर विद्युत वितरण निगम द्वारा स्वीकृति की मुहर लगा दी गई है। बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया व नापासर उद्योग संघ के किशन लाल मोहता ने जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि 33 केवी जीएसएस स्वीकृत होने से नापासर औद्योगिक क्षेत्र की बिजली की समस्या हल होने के साथ ही नापासर के औद्योगिक विकास को भी बल मिलेगा। वर्तमान में नापासर में औद्योगिक क्षेत्र का अलग से जीएसएस नहीं होने से इकाइयों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती थी और इकाइयों के उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ रहा था। साथ ही बताया कि जल्द ही इस जीएसएस निर्माण का कार्य भी शुरू हो जाएगा और नापासर औद्योगिक क्षेत्र को सम्पूर्ण बिजली आपूर्ति मिलने लगेगी और नापासर के औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
बीकानेर की फूड इंडस्ट्रीज पर फिर कुठाराघात, जिला उद्योग संघ ने केन्द्रीय मंत्री को लिखा पत्र
बीकानेर। सूक्ष्म व लघु उद्योग के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ मेघवाल को लिखा पत्र
बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया एवं सचिव विनोद गोयल ने सूक्ष्म व लघु उद्योग पापड़, भुजिया, बड़ी, रसगुल्ला इत्यादि रेडी टू इट केटेगरी उद्योग के खाद्य सुरक्षा अनुज्ञा पत्र (फूड लाईसेंस) 1 नवंबर से 2020 से दिल्ली से जारी करने प्रक्रिया को रूकवाने बाबत पत्र केन्द्रीय राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल को भिजवाया। पत्र में बताया गया कि एक तरफ तो कोरोना महामारी ने सूक्ष्म एवं लघु उद्योग की कमर तोड़ रखी है वहीं दूसरी और केंद्र सरकार द्वारा इन उद्योगों को बंद होने के कगार पर धकेलने के लिए नए नए नियम निकाले जा रहे हैं। बीकानेर का पापड़, भुजिया, बड़ी व रसगुल्ले के उद्योग सूक्ष्म व लघु उद्योग की श्रेणी में आते है और इन व्यवसाय से लगभग 80 हजार से 1 लाख तक श्रमिक इन उद्योगों से अपनी आजीविका चलाते हैं। इस खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के अंतर्गत जारी होने वाले खाद्य सुरक्षा अनुज्ञा पत्र (फूड लाईसेंस) FSSAI के FILE NO.-15(31)2020/FOSCOS/RCD/FSSAI के 12.10.2020 के आदेश के अंतर्गत बदलाव किया गया और यह क़ानून 1 नवंबर 2020 से लागू कर दिया जाएगा। इस क़ानून के तहत बीकानेर में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग में आने वाले पापड़ भुजिया रसगुल्ले (मिठाइयों) की केटेगरी के अंतर्गत आने वाले रेडी टू इट फूड को प्रोपाइटरी फूड के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया गया है जिसका लाईसेंस FSSAI के दिल्ली कार्यालय द्वारा ही जारी किया जाएगा जो कि वर्तमान में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बीकानेर विभाग द्वारा जारी किया जाता है। जिससे बीकानेर में लघु एवं अति सुक्ष्म व्यवसाय के अंतर्गत बीकानेर के विभिन्न पापड़, भुजिया, रसगुल्ला जैसे रेडी टू इट केटेगरी के फ़ूड व्यवसाईयों के दिल्ली से लाइसेंस जारी करवाना एक कठिन चुनौती बन जायगी व उसका शुल्क भी 2.5 गुना लगेगा और दिल्ली से लाइसेंस जारी होने के कारण उद्यमी के लाइसेंस नंबर भी बदल जायेंगे और इन लघु उद्योगों के लाखों रूपये के पैकिंग मेटेरियल में पूर्व के अंकित लाइसेंस नंबर वाला पैकिंग मेटेरियल भी किसी काम का नहीं रह जाएगा साथ ही इस उद्योग से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो जायेंगे। वर्तमान में COVID -19 के चलते वैसे भी लघु उद्योग आर्थिक तंगी से जूझ रहें है और इन हालातों में ऐसे नियम लागू करने से व्यापारियों पर एक और भारी संकट उत्पन्न हो जाएगा।