बीकानेर में बीच बाजार से निकलती रेल से थम जाती है कारोबारी गतिविधियां
बीकानेर। बीकानेर में एक अति व्यस्ततम बाजार है जिसके बीचोंबीच से जब रेल निकलती तब कारोबारी गतिविधियां थम सी जाती हैं और पूरा शहर दो भागों में बंट जाता है। हैरत की बात यह है कि यह समस्या कोई एक दो दिन की नहीं बल्कि पूरे पांच दषक से भी अधिक समय से है। इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि जिस देष में समुन्द्र, नदियों, पहाड़ों पर कुछ ही महिनों में पुल बना दिए जाते हैं वहां एक समतल धरातल पर बने रेल मार्ग बंद फाटकों का कोई विकल्प नहीं दषकों बीत जाने के बाद तक नहीं दे सके। यही वजह है कि यहां के कारोबारी इस समस्या को लम्बे समय से भुगत रहे हैं और इसके साथ यहां की जनता भी कोटगेट पहुंचते पहुंचते इतने तनाव में आ जाती है कि रेल फाटक के बंद होने पर भी जान की परवाह किए बिना पटरियों को क्राॅस करने का प्रयास करती नजर आती है। जब भी कोई नई पार्टी इन पटरियों पर सवार होकर सत्ता में आती है तो यहां की सीधी साधी जनता को उस पार्टी से उम्मीद बन जाती है कि अब तो कुछ हल निकलेगा, लेकिन राजनीति की चैन ऐसी लम्बी खींच जाती है कि सारी समस्या इन्हीं पटरियों पर थम जाती है और उम्मीदों के मार्ग धुंधले पड़ जाते हैं। आज 29 जनवरी 2020 को एक बार फिर से इस शहर की कुछ उम्मीद जगी कि अब कुछ हल निकलेगा। वजह है बीकानेर के जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने मौके पर पैदल ही जाकर संभावनाओं के विकल्प को तलाषा। अब देखते हैं कि कलक्टर का यह प्रयास बीकानेर को कोटगेट पर कब निर्बाध यातायात की सौगात दिलाएगा। इस समस्या के समाधान को लेकर यहां के व्यापारी पचासों बार धरने प्रदर्षन कर चुके हैं। एलिवेटेड रोड जैसे समाधान यहां सैंकड़ो व्यापारियों को नींद हराम कर चुके हैं। यह तो गनीमत रही कि सरकार बदल गई वरना इन व्यापारियों की छाती पर से सीटी बजाती हुई रेलगाड़ी गुजर ही जाती।
बाईपास बनने तक देखी अंडरब्रिज की संभावनाएं
जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने 29 जनवरी की शाम को स्टेशन रोड से लगते रेलवे फाटक एवं उसके पास में ही स्थित मटका गली का निरीक्षण कर यहां रेलवे अंडरब्रिज बनाने की संभावनाओं को देखा। गौतम ने इससे पूर्व रेलवे फाटक की समस्या का समाधान तलाशने के लिए 5 विभागों के अभियन्ताओं की एक कमेट का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट के बाद अधिकारियों और अभियन्ताओं के साथ मौका-मुआयना किया। गौतम जब महात्मा गांधी मार्ग से रेलवे फाटक की तरफ मुड़े, तो रेलवे फाटक बंद था और जाम लगा था। यहीं से सभी अधिकारियों के साथ उन्होंने रेलवे फाटके से लेकर कोयला गली होते हुए रेलवे स्टेशन के नए दरवाजे तक का सफर पैदल तय कर जमीनी हकीकत को जाना कि अभियन्ताओं ने जो कुछ नक्शे में उकेरा है, उसे अगर अमलीजामा पहनाया जाए, तो यातायात का दबाव किस तरह कम हो सकता है और अंडरब्रिज बनाने के लिए किस तरह की समस्याएं आ सकती है और उनका समाधान क्या हो सकता है। गौतम ने मटका गली से कोयला गली तक अंडरब्रिज बनाने की संभावनाओं के साथ-साथ कोटगेट पर भी एक अंडरब्रिज बनाने की संभावनाएं देखी।
ब्रिज की कितनी हाइट लें कि व्यापारियों को न हो परेषानी
जिला कलक्टर ने अभियन्ताओं की रिपोर्ट को मौके पर ही सीधे-सीधे देखा कि किस तरह से कितनी हाइट के बाद ब्रिज मुख्य मार्ग पर आएगा और इसके बनाने से स्थानीय लोगों और व्यापारियों को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और उनके क्या समाधान हो सकते हैं। उन्हांेने मौके पर ही स्थानीय लोगों से भी बातचीत की और अन्य संभावनाओं पर भी आमजन के विचार जाने। गौतम ने आयुक्त नगर निगम तथा सचिव नगर विकास न्यास को निर्देश दिए कि एम.जी. रोड, स्टेशन रोड व इसके आस-पास के इलाकों में व्यापारियों ने दुकानों का सामान अनाधिकृत रूप से दुकानों के बाहर लगा रखा है, इस कारण सड़क मार्ग काफी कन्जेस्टेड हो गया है। दोनों अधिकारी पुलिस के साथ मिलकर व्यापारियों को समझाईश करें कि रास्ता सुगम हो, इसके लिए बिक्री योग्य सामान को दुकान के अंदर ही रखें। अगर समझाईश के बाद भी सकारात्मक परिणाम न आएं, तो नियमानुसार अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाए। यह है 5 सदस्यीय कमेटी जिला कलक्टर ने मंडल रेल प्रबंधक के वरिष्ठ अभियन्ता, सार्वजनिक निर्माण विभाग, आरयूआईडीपी, नगर विकास न्यास एवं आरएसआरडीसी के अधीक्षण अभियन्ताओं की एक कमेटी का गठन किया था, जिसे इन दोनों रेलवे फाटकों की समस्या के समाधान के लिए 30 दिन की रिपोर्ट देने की बात कही थी। उन्होंने बताया कि शहर के बीच से निकल रही रेल लाईन के समाधान के लिए उच्च स्तर पर भी प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें रेल बाईपास सहित अन्य संभावनाओं पर मुख्य सचिव के निर्देश पर गठित एक उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा भी राज्य सरकार व रेल मंत्रालय स्तर पर बातचीत जारी है।