गोचर बचाओ: सामूहिक संकल्प से सुनहरा कल
गोचर भूमि केवल पशुपालकों के जीवन-यापन का आधार नहीं है, बल्कि यह हमारे प्राकृतिक संतुलन और सांस्कृतिक विरासत की जीवंत धरोहर है। समय रहते यदि समाज संगठित होकर इन भूमियों की रक्षा नहीं करेगा, तो आने वाली पीढ़ियां पशुधन, हरियाली और आत्मनिर्भरता से वंचित रह जाएंगी। इसलिए बीकानेर डवलपमेंट आथोरिटी (बीडीए) को गोचर अधिग्रहण के फैसले पर पुनर्विचार करना होगा। यदि बीडीए उस सुनहरे कल के लिए गोचर को ही डवलप करने का फैसला कर लें तो जनता की नजर में बीडीए सबसे बड़ा हीरो होगा। इतना ही नहीं सभी सामूहिक रूप से सहयोग करने के लिए उत्साहित होंगे। तब मंजिल तक पहुंचना पूरी तरह से संभव हो सकता है।

सामूहिक प्रयास की शक्ति
गोचर संरक्षण किसी एक संगठन या वर्ग की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि यह पूरे समाज का धर्म है। जब प्रशासन नियम लागू करे, जनता जिम्मेदारी निभाए, भामाशाह आर्थिक सहयोग दें, शिक्षा संस्थान जागरूकता बढ़ाएं, राजनीतिक दल नीतिगत पहल लें, धार्मिक संगठन जनमानस को जोड़ें और पर्यावरण प्रेमी मिशनरूप में संकल्पित हों—तभी यह प्रयास सफल होगा।
सामूहिक प्रयास का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जिम्मेदारी बंट जाती है और काम तेजी से आगे बढ़ता है। यदि हर गांव में “गोचर रक्षा समितियां” बनें और हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित हो, तो न अतिक्रमण हो पाएगा न उपेक्षा।
स्थानीय मुद्दे से राष्ट्रीय आंदोलन तक
गोचर भूमि केवल चरागाह नहीं, बल्कि पानी, खेती और जलवायु का गहरा आधार है। यह पशुपालकों के जीवन की संज्ञा ही नहीं, बल्कि जलवायु संकट, पर्यावरण संरक्षण और खाद्य सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान भी है। इसलिए यह केवल स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि इसे राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में अपनाना समय की मांग है।
आने वाली पीढ़ियों के लिए धरोहर
आज यदि हम मिलकर गोचर भूमि बचाने का संकल्प लें, तो यह सिर्फ पशुधन की सुरक्षा नहीं होगी, बल्कि यह भविष्य को हरियाली, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता का उपहार देने जैसा होगा। आने वाली पीढ़ियां हमें धन्यवाद देंगी कि हमने उनकी धरोहर सुरक्षित रखी।

