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गोचर : भावी भारत की असली ताकत

राजेश रतन व्यास

गाय और गोचर केवल परंपरा या आस्था का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि आने वाले भारत की आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक शक्ति भी हैं। यदि हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करेंगे तो इसका परिणाम घातक होगा। इसलिए समय की मांग है कि हम गोचर भूमि को बचाकर इसे भविष्य की सबसे बड़ी ताकत में बदलें।

बीकानेर का उदाहरण

बीकानेर की विशाल गोचर भूमि को यदि हरा-भरा बनाकर विकसित किया जाए, तो यह गायों और अन्य जीवों के प्राकृतिक आवास के रूप में संरक्षित हो सकती है। इसे “गाय अभ्यारण्य” घोषित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। ऐसा प्रयास न केवल बीकानेर, बल्कि पूरे राजस्थान और भारत के लिए गौरव का विषय बनेगा।

गोचर के आर्थिक फायदे

  1. दुग्ध उत्पादन में वृद्धि
    हरे-भरे गोचर से पशुओं को प्राकृतिक चारा मिलेगा, जिससे दूध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ेगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ होगा।
  2. गौ-आधारित उद्योगों को बढ़ावा
    गोबर से बने जैविक खाद, गोमूत्र से बनी औषधियाँ और बायोगैस संयंत्र ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार और आय के बड़े साधन बन सकते हैं।
  3. पर्यटन और अंतरराष्ट्रीय पहचान
    यदि बीकानेर में विश्व का सबसे बड़ा “गाय अभ्यारण्य” विकसित होता है, तो यह न केवल धार्मिक बल्कि इको-टूरिज़्म का बड़ा आकर्षण बनेगा। इससे विदेशी पर्यटकों का आगमन होगा और स्थानीय स्तर पर रोज़गार सृजित होगा।
  4. कृषि को लाभ
    हरे-भरे गोचर से निकलने वाली प्राकृतिक खाद और जैविक संसाधन किसानों को रासायनिक खादों पर निर्भरता से बचाएंगे और लागत घटाएँगे।

पर्यावरणीय फायदे

गोचर भूमि हरित आवरण को बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में सहायक होगी।

भूजल पुनर्भरण और मिट्टी की उर्वरता में सुधार होगा।

जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकेगा, जिससे संतुलित पारिस्थितिकी बनी रहेगी।

सामाजिक व सांस्कृतिक महत्व

गाय भारतीय संस्कृति में ‘माँ’ का स्थान रखती है। गोचर केवल चराई का स्थान नहीं, बल्कि ग्रामीण समाज का सांस्कृतिक आधार है। यह गाँव की आत्मनिर्भरता और सामूहिकता का प्रतीक है।

भारत सरकार से अपेक्षा

आज जब विश्व पर्यावरण संकट से जूझ रहा है, तब भारत को अपने परंपरागत ज्ञान और संसाधनों पर भरोसा करना चाहिए। बीकानेर की गोचर भूमि को गाय एवं अन्य जीवों के प्राकृतिक आवास के रूप में संरक्षित करते हुए ग्लोबल मॉडल बनाया जाए।

यदि भारत सरकार इसे प्राथमिकता में रखे तो बीकानेर की गोचर भूमि न केवल देश बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी इको-लिविंग, गौ-पर्यटन और जैव विविधता संरक्षण की पहचान बन सकती है।

“गोचर बचेगा तो गाय बचेगी, और गाय बचेगी तो भारत की आत्मा बचेगी।”

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