बीकानेर के इस युवा कारोबारी ने केन्द्रीय मंत्री को भुजिया व्यवसाय को लेकर दिए सुझाव
बीकानेर। देश मे लागू मॉडिफाइड -लॉकडाउन में व्यापारियों को आने वाली समस्याओं के समाधान हेतु केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के व्यापारियों से zoom वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुझाव मांगे। जिसमे बीकानेर पापड़ भूजिया मेन्युफेक्चरिंग असोसिएशन की तरफ से उपाध्यक्ष रोहित कच्छावा ने भी हिस्सा लिया। कच्छावा ने मंत्री से आग्रह किया कि बीकानेरी भुजिया यहां की जियोग्राफिकल इंडेकस के लिए बीकानेर की पहचान बना हुआ है। बीकानेरी भुजिया का उपयोग सब्जी के सब्सिट्यूट के रूप में भी होता है।अतः देश के वर्तमान हालतों को देखते हुए भुजिया उत्पाद को एसेंसियल फ़ूड श्रेणी में रखा जाना चाहिए ताकि इसके निर्माण में आसानी हो सके। क्योंकि एसेंसियल फ़ूड श्रेणी के उत्पादों के निर्माण में अलग से परमिसन की आवश्यकता नहीं होती। भुजिया कम लेबर में अधिक मात्रा में बन जाता है। साथ ही भुजिया 4 से 6 माह तक खराब भी नही होता। कच्छावा ने कहा कि वर्तमान हालात में यह खाद्य- पदार्थों में काफी मददगार हो सकता है।इसी क्रम में रोहित कच्छावा ने पापड़ व्यवसाय में फैली भ्रांति को दूर करने के लिए पापड़ व्यवसाय का पक्ष लेते हुए आग्रह किया कि पापड़ व्यवसाय बीकानेर की मध्यम वर्गीय महिलाओं के लिए अपना जीवन यापन करने का रोगजार है। प्रधानमंत्री भी वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दे रहे है और पापड़ इस मुहिम का हिस्सा बन सकता है। वर्तमान समय मे फैली रोजगार की समस्या में महिलाओं को काफी राहत इस उद्योग से मिल सकती है। उपाध्यक्ष रोहित कच्छावा का कहना है भुजिया निर्माण में भुजिया 200 से 220 डिग्री तापमान में तेल मे फ्राई होता है ओर इस तापमान में वायरस जीवित नही रह सकता। बनने के बाद इसे मशीनों से पैक किया जाता है। अतः भुजिया द्वारा संक्रमण का खतरा पोसिबल नहीं होता। पापड़ निर्माण में पापड़ का मुख्य स्टेप पापड़ का बटाई के लिए विभिन्न घरों में जाता है परंतु बटाई के बाद इसे फैक्ट्री में 2 दिन हल्का सूखाने के लिए रखा जाता है फिर पैकिंग होती है तो वायरस का 48 घंटे तक किसी उत्पाद पर जीवित रहने की संभावना कम होती है । अतः पापड़ भुजिया इकाईयो को एसेंसियल फ़ूड प्रोडक्ट के रूप में मानकर इसके निर्माण की अनुमति में ढील देनी चाहिए। भुजिया निर्माण में अधिकतर राज्य से बाहर की लेबर होती है। अतः वह फ़ैक्ट्री में ही निवास करती है। उन्हें फ़ैक्ट्री से बाहर जाने की इजाजत नही होती। अतः संकमण का ख़तरा कम ही रहता है। वार्ता के बाद मंत्री मेघवाल ने सुझावो पर गौर करने का आस्वासन दिया।