दलहन खेती से टिकाऊ खेती की दिशा में बढ़ेगा देश
– गरीबी के चक्रव्यूह से निकल पाएंगे किसान
बीकानेर, 10 फरवरी । स्वामी केशवानंद राजस्थान विश्वविद्यालय में दलहन उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ावा देने और किसानों को दलहन की खेती की नवीनतम तकनीकों से अवगत कराने के उद्देश्य से गुरुवार को दलहन दिवस का आयोजन किया गया है। डॉ एन के शर्मा अतिरिक्त निदेशक (बीज) बताया कि दलहन अनुसंधान, विकास एवं प्रसार को गति प्रदान करने के लिए कृषि संबंधी अनुसंधान केन्द्रों और कृषि विश्वविद्यालयों में 10 फरवरी को दलहन दिवस मनाया जाता है।
आज राष्ट्रीय बीज केंद्र बीकानेर में यहाँ के एग्रीकल्चर कॉलेज के विद्यार्थियों को डॉ पी एस शेखावत, निदेशक अनुसंधान, डॉ ए के शर्मा डॉ एसएस देशवाल डॉ नरेंद्र सिंह संबोधित किया। डॉ शर्मा ने बताया की कठोर जलवायु परिस्थितियों में अविश्वसनीय अनुकूलन के कारण दलहन किसी क्षेत्र की फसल प्रणाली का एक अभिन्न अंग हैं। तेजी से विकास, जल्दी परिपक्वता और मिट्टी की उर्वरता को बहाल करने की क्षमता फलियां और दलहन को शुष्क क्षेत्र के लिए मूल्यवान फसल बनाती है। दालों की पैदावार के लिए बहुत उपजाऊ जमीन और अधिक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती। साथ ही यह मिट्टी में नाइट्रोजन का स्तर भी बढ़ाती हैं। दालों की खेती को बढ़ावा देने से देश टिकाऊ खेती की दिशा में बढ़ेगा और किसान भी गरीबी के चक्रव्यूह से निकल पाएंगे।