सरकारें ध्यान दें जैव विविधता पर गहरा रहा है संकट
– डूंगर काॅलेज में जैव विविधता विषयक ज्ञान गंगा कार्यक्रम सम्पन्न
बीकानेर 27 फरवरी। डूंगर महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र एवं वनस्पति शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जैव विविधता विषयक ज्ञान गंगा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। समन्वयक डाॅ. प्रताप सिंह ने बताया कि समापन समारोह के मुख्य अतिथि उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डाॅ. ए. साहू रहे।
अपने उद्बोधन में प्राचार्य डाॅ. जी.पी.सिंह ने कहा कि महाविद्यालय द्वारा इस प्रकार के कुल 9 कार्यक्रम आयोजित किये जा चुके हैं तथा मार्च माह के प्रथम सप्ताह मेे एक और कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा। डाॅ. सिंह ने कहा कि जैव विविधता का संरक्षण आज के समय की आवश्यकता है और यह मुद्दा आमजन से जुड़ा हुआ है। उन्होनें कहा कि यदि समय रहते प्रकृति को नहीं समझा गया तो भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम हो सकते हैं।
इस अवसर पर ज्ञान गगा कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डाॅ. विनोद भारद्वाज ने बताया कि लगभग 28 विषयों में ज्ञान गगा कार्यक्रम सम्पन्न हो चुके हैं जिनमें से प्रदेश में सर्वाधिक बीकानेर की डूंगर काॅलेज ने कुल 10 विषयों में इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये हैं। डाॅ.भारद्वाज ने वर्तमान समय में अन्र्तविषयक कार्यक्रम की महत्ती आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग जैव विविधता के सरंक्षण को काफी गम्भीरता से ले रहा है। आयुक्तालय के प्रतिनिधि के रूप में डाॅ. पूजा रावल ने भी अपने विचार रखे।
मुख्य अतिथि डाॅ. ए.साहू ने अपने उद्बोधन में कहा कि राजस्थान के रेगिस्तान में जैव विविधता के भण्डार हैं। उन्होंने सन् 1951 के बाद निरन्तर पानी के घटते स्तर पर गहरी चिन्ता व्यक्त की। डाॅ. साहू ने कहा कि बढ़ते हुए शहरीकरण से जैव विविधता पर संकट गहरा रहा है जिस पर सरकारों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
सहायक निदेशक डाॅ. राकेश हर्ष ने शोधार्थियों से जैव विविधता के संरक्षण पर शोध कार्य करने का आह्वान किया। डाॅ. हर्ष ने कहा कि बिना प्रकृति के संरक्षण के मानव जीवन की कल्पना असम्भव होगी।
संयोजक डाॅ. मनीषा अग्रवाल एवं डाॅ. नवदीप सिंह ने बताया कि छह दिवसीय कार्यक्रमें में भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून के डाॅ. सुतीर्थ दत्ता एवं प्रो. वी.पी. उन्नियाल, पाटन गुजरात के डाॅ. निशित, हिसार की डाॅ. रचना गुलाटी, डाॅ. आशा पूनिया, डाॅ. वीना बी. कुशवाहा तथा कुरूक्षेत्र के डाॅ. दीपक बब्बर आदि देश के नामचीन वैज्ञानिकों ने जैव विविधता के नवीनतम आयामों पर विस्तार से चर्चा की।
आयोजन सचिव डाॅ. विनोद कुमारी ने कहा कि वैश्विक तापमान, बढ़ते शहरीकरण तथा शिकार आदि के कारण से जैव विविधता पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं।
प्राणीशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि वन्य जीव संरक्षण कानून का सख्ती से पालन करना होगा तभी जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकेगा।