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मध्यप्रदेश, हरियाणा व गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में भी हो मंडी शुल्क व्यवस्था

बीकानेर। बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया एवं नोखा के वरिष्ठ उद्यमी ईश्वरचंद बैद ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आगामी बजट में मध्यप्रदेश, हरियाणा व गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में भी मंडी शुल्क 50 पैसा करने बाबत पत्र भिजवाया | पत्र में बताया गया कि कोरोना महामारी के मद्देनजर कृषि आधारित उद्योगों को राहत देते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने मंडी शुल्क को 50 पैसा कर दिया था और आशा है कि राजस्थान सरकार द्वारा भी कोरोना महामारी के कारण बंद होने के कगार पर आ चुके राज्य के कृषि आधारित उद्योगों को राहत देने हेतु राज्य बजट में कृषि मंडी शुल्क को मध्यप्रदेश की तर्ज पर 50 पैसे व दामी को कम किया जाए | मध्यप्रदेश, गुजरात व हरियाणा जो कि राजस्थान की सीमा से लगते हुए राज्य है जिनमें मंडी शुल्क राजस्थान की तुलना में बहुत ही कम है | राजस्थान में करीबन 4500 से 5000 कृषि आधारित औद्योगिक लघु एवं सूक्ष्म इकाइयां है जो कि राज्य में पैदा हुए कृषि उत्पादों के अलावा अन्य प्रान्तों से भी कच्चा माल मंगवाकर अपने उद्योगों का संचालन कर रही है | राजस्थान में 1.60 मंडी शुल्क, 1 रूपये कृषक कल्याण शुल्क व 2.25 रूपये दामी लगता है | इस कारण अधिक लागत आने से राज्य का कृषि आधारित उद्योग अन्य राज्यों की प्रतिस्पर्धा में पिछड़ गया | एक तरफ से कोरोना महामारी के कारण वैसे भी राज्य के सभी उद्योग धंधे बंद होने के कगार पर आ चुके हैं और समय की महता व उद्योगों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार को भी मध्यप्रदेश की तर्ज पर मंडी शुल्क 50 पैसे करते हुए दामी को भी कम किया जाए ताकि राज्य का कृषि उधोग पुन: प्रतिस्पर्धा में टिक सके व राज्य की औधोगिक इकाइयां पूरे देश में अपने उत्पाद का विपणन करने में सक्षम हो सके |

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