BikanerExclusiveInternational

एक इंच में साफा-पाग-पगड़ी के विश्व रिकाॅर्ड, ऊर्जा मंत्री डाॅ. कल्ला ने कृष्णचन्द्र पुरोहित को किया सम्मानित In an inch, the world record of Safa-paag-turban, Energy Minister Dr. Kalla honored Krishnachandra Purohit

5
(1)

बीकानेर। राजस्थानी साफा-पाग, पगड़ी कला संस्कृति द्वारा धरणीधर ऑडिटोरियम में बुलाकी दास कल्ला (जल एवं उर्जा, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिक एवं कला संस्कृति मंत्री) ने कृष्णचन्द पुरोहित (शिक्षाविद) को सम्मानित किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि लोकायान संस्था के संस्थापक कृष्णचन्द शर्मा, अति विशिष्ठ अतिथि अन्तर्राष्टीय चित्रकार महावीर स्वामी व अध्यक्षता समाज सेवी गोपाल सिंह मुख्य अतिथि के रूप में थे। पुरोहित ने एक इंच में साफा-पाग, पगड़ी का विश्व रिकार्ड बनाया। इस कला में उन्होंने कई तरह के विश्व रिकार्ड व राष्ट्रीय रिकार्ड भी बनाये है जिसमें मुख्य रूप से माचिस तुलिका पर पगड़ी बान्धना, पेंसिल पर पगड़ी बान्धना हाथों की अंगुली पर पगड़ी बान्धना और विश्व की सबसे बड़ी माहेश्वरी पाग बान्धकर अनूठा रिकार्ड बनाया। साफा-पाग-पगड़ी के विशेषज्ञ कृष्णचन्द्र पुरोहित (शिक्षाविद) को छह विश्व रिकाॅर्ड प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया। मोहित पुरोहित ने गणेश वन्दना के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की।

IMG 20210210 WA0041 4

साफा-पाग-पगड़ी विशेषज्ञ कृष्णचन्द्र पुरोहित (शिक्षाविद) ने पुष्करणा स्टेडियम के पीछे स्थित राजस्थानी साफा-पाग-पगड़ी व कला संस्कृति संस्थान, बीकानेर कार्यालय में फरवरी-मार्च, 2020 में सबसे छोटी पगड़ी पैंसिल पर, माचिस की तुल्ली पर, हाथों की अंगुलियों पर और सबसे बड़ी पगड़ी माहेश्वरी पाग बांधकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व रिकाॅर्ड अपने नाम किया। चूंकि कोरोना महामारी के कारण लोगों को आमंत्रित करना सम्भव नहीं था। अब यह विश्व रिकाॅर्ड बनकर 21 जनवरी, 2021 में मिला है।
मुख्य अतिथि डाॅ. कल्ला ने बताया कि जाने-माने गीतकार भरत व्यास ने पगड़ी पर बहुत अच्छा गीत लिखा है जो कि कुछ पंक्तियां मुझे भी याद है जो कि इस प्रकार से हैः-

अपनेपन की कुछ आन रहे, जग में अपना भी स्थान रहे।
जब तक मरू की संतान रहे इस पगड़ी का सम्मान रहे।।
सदियों तक बना समाज रहे, स्वर में बिजली की गाज रहे।
मरूधर के बच्चे-बच्चे को, किसन की पगड़ी पर नाज रहे।।
हर भाई के सिर पर शोभित, संुदर केसरिया ताज रहे।
कुछ लाल, कसुम्बल, केसरिया, कुछ सौरंगी, कुछ सावनीया।।
प्रति मस्तक का अभिषेक रहे, भाई-भाई हम एक रहे।
ये प्राण जाये परवाह नहीं, प्यारी पगड़ी की टेक रहे।।

इसी क्रम में कल्ला ने बताया कि राजस्थान सम्पूर्ण राष्ट्र में अपने संस्कृति तथा प्राकृतिक विविधता के लिए पहचाना जाता है, जिसमें बीकानेर के लोग रंगीन मिजाज के होते है। यहां पर सादगी के साथ-साथ अपनेपन का भी अहसास दिलाते है। राजस्थान के बीकानेर जिले में समाज के कुछ वर्गों में साफा-पाग-पगड़ी पहनने का रिवाज है। पगड़ी का इस्तेमाल हमारे देश में सदियों से होता आया है। प्राचीन काल में भी पगड़ी को व्यक्तिगत आन-बान-शान और हैसियत का प्रतिक माना जाता रहा है। पगड़ी हमारे देश में आज भी इज्जत का परिचायक समझा जाता है। पगड़ी मनुष्य की पहचान करवाती है कि वह किस जाति-धर्म-सम्प्रदाय-परगना एवं आर्थिक स्तर का है।

उन्होंने बताया कि कृष्णचन्द्र पुरोहित ने ऐतिहासिक परम्परा को 25 वर्षों से आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया हुआ है। साथ ही पुरोहित को विश्व रिकाॅर्ड बनने पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। कृष्णचन्द्र पुरोहित ने अर्जुनराम के हाथ की दसों अंगुलियों व अंगूठों पर विभिन्न धर्म, समाज व समुदाय की साफ-पाग-पगड़ी बांधकर प्रदर्शित किया।

विशिष्ट अतिथि कृष्णचन्द शर्मा ने बताया कि घर की कुशलता का संदेश भी पगड़ी का रंग देती है। मारवाड़ में तो साफा-पाग-पगड़ी का रिवाज आदीकाल से प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि राजस्थान में 12 कोस अर्थात 36 कि.मी. की दूरी पर बोली बदलती है ठीक उसी प्रकार 12 कोस पर साफा-पाग-पगड़ी बांधने के पैच में भी फर्क आ जाता है। उन्होंने कृष्णचन्द्र पुरोहित को कीर्तिमान बनाने पर बधाई दी।
अतिविशिष्ट अतिथि महावीर स्वामी ने बताया कि राजस्थान में साफा-पाग-पगड़ी के रंगों में, बांधने के ढंग में व पगड़ी के कपड़े में विभिन्नता होती है। साफा बांधने की कसावट से पता चल जाता है कि व्यक्ति कैसा है ? बीकानेर में कृष्णचन्द्र पुरोहित ने एक साथ छह विश्व रिकाॅर्ड बनाकर इतिहास रचा है, भगवान से यहीं कामना करता हूँ कि वे दिन-दुगनी, रात-चैगुनी प्रगति के पथ पर रहे, यही मेरी शुभकामनाए है।

अध्यक्षता करते हुए गोपाल सिंह ने बताया कि कला का सम्मान घर में पहले होना चाहिए। बीकानेर अपने आप में पुरोहित के लिए घर है अर्थात घर में व्यक्ति का सम्मान होगा तो बाहर सम्मान अवश्य होगा। साफा-पाग-पगड़ी क्षेत्र में रिकाॅर्ड बनाने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहां कि राजस्थान में पगड़ी सिर्फ खूबसूरती बढ़ाने के लिए बांधते है बल्कि पगड़ी के साथ मान, प्रतिष्ठा, मर्यादा और स्वाभिमान जुड़ा हुआ रहता है। पगड़ी का अपमान स्वयं का अपमान माना जाता है। इसी क्रम में कृष्णचन्द्र पुरोहित (शिक्षाविद) ने बताया कि ऐतिहासिक परम्परा को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया हुआ है।
में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। कार्यक्रम का संचालन योग गुरु हितेन्द्र मारू ने किया। विमल किशोर व्यास ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में हरिशंकर आचार्य, रामेश्वर स्वामी, गौरीशंकर व्यास, महेश छंगाणी, भुवनेश पुरोहित, तेजाराम जी, विक्रमसिंह जी राजपुरोहित, श्याम सुन्दर किराडू, महेश पुरोहित, संजय स्वामी, आदित्य पुरोहित आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 1

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply