BikanerEducation

प्रधानाचार्य पदोन्नति अनुपात 80ः20 करना न्यायसंगत नहीं, सरकार करे पुर्नविचार

3
(2)

बीकानेर। राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद् (रेसा) ने उच्च न्यायालय द्वारा व्याख्याता व प्रधानाध्यापक से डीपीसी द्वारा पदौन्नत होकर प्रधानाचार्य बनने का पूर्व 67ः33 अनुपात के आदेश को नजरअंदाज करते हुए सरकार द्वारा प्रस्तावित 80ः20 अनुपात को अन्यायसंगत बताते हुए इस 80ः20 अनुपात का पुरजोर विरोध किया है।

संगठन की जिला शाखा ने राज्य के मुख्य मंत्री को ज्ञापन भेजकर लिखा है कि यह अनुपात लागू होने से माध्यमिक शिक्षा में कार्यरत अनेक वर्तमान प्रधानाध्यापक आगामी 10 वर्ष तक होने वाली डीपीसी में प्रधानाचार्य पद पर पदौन्नति से वंचित रह जाएंगे।

वर्तमान में आर.पी.एस.सी. 2018 के माध्यम से सैंकड़ों व्याख्याता प्रधानाध्यापक परीक्षा उतीर्ण कर प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्त हुए है जिससे स्पष्ट है कि प्रधानाध्यापक का पद व्याख्याता से उच्च पद का है। उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के समकक्ष उप प्रधानाचार्य का पद सृजन कर इस विरोधाभास को दूर किया जा सकता है।

व्याख्याता की पदौन्नति पहले उप प्रधानाचार्य के पद पर व आगामी पदौन्नति प्रधानाचार्य के पद पर होने से लीनियर चैनल के नियम का भी पालन होता है। क्योंकि व्याख्याता का वेतनमान 9300-34800 लेवल एल-12 व ग्रेड पे 4800 तथा प्रधानाध्यापक (माध्यमिक) का वेतनमान 15600-39100 लेवल एल-14 ग्रेड पे 5400 होता है। व्याख्याता से प्रधानाचार्य पद पर पदौन्नति से लीनियर चैनल भी प्रभावित होता है। जिससे भी राज्य सरकार पर भारी आर्थिक भार पड़ेगा

व्याख्याता को एल-12 से सीधे प्रधानाचार्य एल-16 पर पदौन्नत करना न्यायसंगत नहीं है।
अतः प्रधानाध्यापक के न्यायोचित हितों को ध्यान में रखते हुए 80ः20 अनुपात को लागू करने से पहले सरकार उच्च स्तरीय समिति का गठन कर पुनः विचार करे व प्रधानाचार्य पद हेतु डीपीसी 67ः33 अनुपात को ही यथावत रखा जाए।
भवनिष्ठ,

संदीप जैन
जिला अध्यक्ष
कमल कान्त स्वामी
जिला महामंत्री

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 3 / 5. Vote count: 2

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply