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तेल एवं गैस के बाद अब पोटाश से मिलेगी राजस्थान को नई पहचान – मुख्यमंत्री After oil and gas, now Rajasthan will get a new identity from Potash – Chief Minister

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– पोटाश खनिज के व्यावहारिकता अध्ययन के लिए त्रिपक्षीय एमओयू

जयपुर, 21 जनवरी। प्रदेश के नागौर-गंगानगर बेसिन में पोटाश खनिज के व्यावहारिकता अध्ययन के लिए राजस्थान सरकार, राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स लिमिटेड तथा भारत सरकार के मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल) के बीच गुरूवार को त्रिपक्षीय करार पर हस्ताक्षर किए गए।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में हुए इस एमओयू में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी तथा केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी जुड़े।
मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित इस कार्यक्रम में गहलोत ने कहा कि देश को खनिजों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में राजस्थान का बड़ा योगदान है। राजस्थान खनिजों का खजाना है। हमारा प्रयास है कि इनका समुचित दोहन हो और राजस्थान खनन के क्षेत्र में नंबर वन राज्य बने। इस हेतु एवं पूरे प्रदेश की खनिज संपदा की खोज के लिए कंसलटेंट नियुक्त भी किया जाएगा।
गहलोत ने कहा कि पोटाश के मामले में अभी हमारा देश पूरी तरह आयात पर निर्भर है। हर साल करीब 5 मिलियन टन पोटाश के आयात पर लगभग 10 हजार करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़ एवं बीकानेर क्षेत्र में फैले पोटाश के भंडारों से हम इस खनिज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकेंगे। आज हुआ एमओयू पोटाश के खनन की दिशा में बढ़ा कदम साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दुर्लभ खनिज का मुख्य उपयोग उर्वरक, केमिकल एवं पेट्रो-केमिकल तथा ग्लास सहित अन्य उद्योगों में होता है। प्रदेश में इस खनिज का उत्खनन होने से इन उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा और राजस्व एवं रोजगार में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि मिनरल एक्सप्लोरेशन के क्षेत्र में एमईसीएल की विशेषज्ञता एवं अनुभव का लाभ प्रदेश को मिलेगा। राज्य सरकार इसके लिए उन्हें पूरा सहयोग करेगी।
गहलोत ने कहा कि जैसलमेर और बाड़मेर में तेल एवं गैस की खोज से राजस्थान को नई पहचान मिली है। हमारे प्रयासों से रिफाइनरी की स्थापना का काम भी तेजी से चल रहा है। आशा है अब हम पोटाश के क्षेत्र में भी देश की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे।
केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि केन्द्र सरकार माइनिंग सेक्टर में नीतिगत सुधार कर रही है और इस क्षेत्र में कई बाधाओं को दूर किया गया है। उन्होंने कहा कि देश के लिए जरूरी पोटाश की उपलब्धता के आकलन और खनन की दिषा में हो रहे इस कार्य में राज्य सरकार से प्रो-एक्टिव सहयोग मिल रहा है।
जोशी ने कहा कि भारतीय भू-विज्ञान सर्वेक्षण तथा एमईसीएल ने अपने प्रारंभिक अध्ययन में इस बेसिन में करीब 2500 मिलियन टन खनिज पोटाश की उपलब्धता का आकलन किया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार खनन के क्षेत्र में राजस्थान को पूरा सहयोग करेगी।
प्रदेष के खान एवं पेट्रोलियम मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कई दशक पहले प्रदेश में पोटाश खनिज के मौजूद होने का आकलन किया था। लेकिन इस दिशा में आगे काम नहीं हो सका। अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों से इस कार्य को गति मिल सकी है।
केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि पोटाश के खनन से पश्चिम राजस्थान पोटाश से जुड़े उद्योगों का हब बन सकता है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि इस एमओयू से प्रदेश के अन्य जिलों में खनिज पोटाश की संभावनाओं पर काम हो सकेगा और यह समझौता प्रदेश के खनिज क्षेत्र के विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
एमईसीएल के सीएमडी रंजीत रथ ने अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि राजस्थान में हर वो खनिज मौजूद है जिसकी देश को जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 700 मीटर गहराई में पोटाश के मौजूद होने का प्रारंभिक तौर पर आकलन किया गया है। राजस्थान के पोटाश भंडारों से देश के विभिन्न उद्योगों के लिए आवश्यक इस खनिज की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। प्रमुख सचिव खान एवं पेट्रोलियम अजिताभ शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इससे पहले आरएसएमएमएल के एमडी विकास सीताराम भाले, खान एवं भू-विज्ञान विभाग के निदेषक केबी पांड्या तथा एमईसीएल के सीएमडी रणजीत रथ ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार गोविंद शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

#oil and gas #Rajasthan #Potash #Chief Minister

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