राजस्थान में 33 जिला मुख्यालयों और चुनिंदा शहरों को ग्रीन एनर्जी सिटीज के रूप में विकसित किया जाएगाः ऊर्जा मंत्री, 33 district headquarters and selected cities in Rajasthan to be developed as Green Energy Cities: Energy Minister
जयपुर, 11 जनवरी। ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में 33 जिला मुख्यालयों और चुनिंदा शहरों को ग्रीन एनर्जी सिटीज के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है। सोलर एनर्जी सैक्टर में राज्य को देश में अव्वल स्थान दिलाने के प्रतिबद्धता के साथ ‘राजस्थान सोलर एनर्जी पॉलिसी-2019‘ तथा राज्य के बजट में ऐसे कई कदम उठाए गए हैं।
डॉ. कल्ला सोमवार को रिन्यू फाऊंडेशन की ओर से ‘राजस्थानः ड्राइविंग द नेक्सट फेज ऑफ ग्रोथ इन इंडियाज रिन्यूबल एनर्जी सैक्टर‘ विषय पर आयोजित वेबिनार को सम्बोधित कर रहे थे। वेबिनार में केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने राजस्थान में सोलर एनर्जी के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए ऊर्जा मंत्री डॉ. कल्ला को इसके लिए बधाई दी। वेबिनार में रिन्यू पॉवर के सीएमडी श्री सुमंत सिन्हा ने विषय पर्वतन करते हुए सोलर एनर्जी सैक्टर के परिदृश्य पर प्रकाश डाला।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि देश में 2030 तक रिन्यूबल एनर्जी से 450 गीगावाट उत्पादन के लक्ष्य में अग्रिम भागीदारी निभाने के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अगुआई में क्षमता संवर्द्धन और विस्तार पर फोकस करते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2024-25 तक, 30 हजार मेगावाट की सौर क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें ग्रिड से जुड़े सौर पार्कों के माध्यम से 4,000 मेगावाट, विकेन्द्रीकृत सौर संयत्रों से 4000 मेगावाट और रूफटॉप सौर और सौर पंपों से एक हजार मेगावाट की क्षमता विकसित की जाएगीी। साथ ही वर्ष 2024-25 तक प्रदेश में पवन और हाइब्रिड एनर्जी के माध्यम से भी 7500 मेगावाट उत्पादन का भी लक्ष्य रखा गया है।
डॉ. कल्ला ने कहा कि सौर ऊर्जा नीति- 2019 और पवन और हाइब्रिड ऊर्जा नीति-2019 में राजस्थान को एक प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा केंद्र बनाने के उद्देश्य से निवेशकों को कई प्रकार की छूट और प्रोत्साहन पैकेज शामिल किए गए हैं। इन नीतियों में निवेशकों के हितों को ध्यान रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, कृषि पंपों के सौरकरण, नवीकरणीय ऊर्जा में स्टोरेज टेक्नोलॉजी, पुराने विंड टरबाइनों के स्थान पर नए विंड टरबाइन लगाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए है। इस नीति के कारण प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा से बिजली उत्पादन की लागत को कम करने में सफलता मिली है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सोलर एनर्जी को बैटरी के रूप में स्टोरेज करने, पम्पड हाइड्रो स्टोरेज या ऐसे किसी ग्रिड इंटरेक्टिव स्टोरेज सिस्टम्स को विकसित करने वाले सोलर प्रोजेक्ट्स को प्रदेश में विकसित करने के लिए पूरा सहयोग देने के लिए तत्पर है। राज्य सोलर एनर्जी की स्टोरेज तकनीक विकसित करने के साथ ही हाइड्रोजन उत्पादन में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए ऐसे किसी भी प्रोजेक्ट को प्राथमिकता से प्रायोजित करेगा। डॉ. कल्ला ने कहा कि राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में रूफ टॉप सोलर सिस्टम विकसित करने को प्रोत्साहन दिया है, जिसके निरंतर सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इसी प्रकार प्रदेश में किसानों को अपनी खेती के लिए अनुपयोगी बंजर भूमि पर विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयत्र लगाने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य की प्रमुख नहरों पर भी रेजर्वायर टॉप विकसित करने वाले सोलर प्रोजेक्ट्स को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
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