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साफा-पाग -पगड़ी के छह विश्व रिकाॅर्ड बनाने वाले कृष्णचन्द्र पुरोहित को केन्द्रीय राज्य मंत्री ने प्रमाण-पत्रों से किया सम्मानित Union Minister of State awarded certificates to Krishnachandra Purohit, who created six world records of Safa-Pag-Pagdi

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बीकानेर। अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी के अवसर पर सांसद सेवा केन्द्र में साफा-पाग-पगड़ी के विशेषज्ञ कृष्णचन्द्र पुरोहित को छह विश्व रिकाॅड प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अर्जुनराम मेघवाल साहब (सांसद बीकानेर, भारी उद्योग एवं लोक उद्यम और संसदीय कार्य राज्य मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली।) विशिष्ट अतिथि गुमान सिंह जी (वरिष्ठ भा.ज.पा. नेता), अतिविशिष्ट अतिथि जे.पी. व्यास (वरिष्ठ भा.ज.पा. नेता), अध्यक्षता कालुराम उपाध्याय ने की। मोहित पुरोहित ने गणेश वन्दना के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की।

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साफा-पाग-पगड़ी विशेषज्ञ कृष्णचन्द्र पुरोहित ने पुष्करणा स्टेडियम के पीछे स्थित राजस्थानी साफा-पाग-पगड़ी व कला संस्कृति संस्थान, बीकानेर कार्यलय में फरवरी-मार्च, 2020 के महिने में पैंसिल पर सबसे छोटी पगड़ी, माचिस की तीली पर, हाथों की अंगुलियों पर और सबसे बड़ी पगड़ी माहेश्वरी पाग बांधकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व रिकाॅर्ड (#world record) अपने नाम किया। चूंकि कोरोना महामारी के कारण लोगों को आमंत्रित करना सम्भव नहीं था, संक्रमण का डर था। इसलिए अब यह विश्व रिकाॅर्ड बनकर दिसम्बर, 2020 में मिला है।

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मुख्य अतिथि अर्जुनराम मेघवाल साहब ने बताया कि राजस्थान सम्पूर्ण राष्ट्र में अपने संस्कृति तथा प्राकृतिक विविधता के लिए पहचाना जाता है, जिसमें बीकानेर के लोग मनमौजी मिजाज के होते है। यहां पर सादगी के साथ-साथ अपनेपन का भी अहसास दिलाते है। राजस्थान के बीकानेर जिले में समाज के कुछ वर्गों में साफा-पाग-पगड़ी पहनने का रिवाज है। पगड़ी का इस्तेमाल हमारे देश में सदियों से होता आया है। प्राचीन काल में भी पगड़ी को व्यक्तिगत आन-बान-शान और हैसियत का प्रतीक माना जाता रहा है। पगड़ी हमारे देश में आज भी इज्जत का परिचायक समझा जाता है। पगड़ी मनुष्य की पहचान करवाती है कि वह किस जाति-धर्म-सम्प्रदाय- परगना एवं आर्थिक स्तर का है। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि कृष्णचन्द्र पुरोहित ने ऐतिहासिक परम्परा को 25 वर्षों से आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया हुआ है। साथ ही पुरोहित को विश्व रिकाॅर्ड बनने पर हार्दिक शुभकामना देता हूँ। इस क्रम में कृष्णचन्द्र पुरोहित ने मंत्री मेघवाल के हाथ की दसों अंगुलियों व अंगुठों पर विभिन्न धर्म, समाज व समुदाय की साफ-पाग-पगड़ी बांधकर प्रदर्शित किया।

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विशिष्ट अतिथि गुमानसिंह ने बताया कि घर की कुशलता का संदेश भी पगड़ी का रंग देती है। मारवाड़ में तो साफा-पाग-पगड़ी का रिवाज आदीकाल से प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि राजस्थान में 12 कोस अर्थात 36 कि.मी. की दूरी पर बोली बदलती है ठीक उसी प्रकार 12 कोस पर साफा-पाग-पगड़ी बांधने के पैच में भी फर्क आ जाता है। उन्होंने कृष्णचन्द्र पुरोहित को कीर्तिमान बनाने पर बधाई दी। अतिविशिष्ट अतिथि जे.पी. व्यास ने बताया कि राजस्थान में साफा-पाग-पगड़ी के रंगों में, बांधने के ढंग में व पगड़ी के कपड़े में विभिन्नता होती है। साफा बांधने की कसावट से पता चल जाता है कि व्यक्ति कैसा है ? बीकानेर में कृष्णचन्द्र पुरोहित ने एक साथ छह विश्व रिकाॅर्ड बनाकर इतिहास रचा है, भगवान से यहीं कामना करता हूँ कि वे दिन-दुगनी, रात-चैगुनी प्रगति के पथ पर रहे, यही मेरी शुभकामनाए है।

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अध्यक्षता करते हुए कालुराम उपाध्याय ने बताया कि कला का सम्मान घर में पहले होना चाहिए। बीकानेर अपने आप में पुरोहित के लिए घर है अर्थात घर में व्यक्ति का सम्मान होगा तो बाहर सम्मान अवश्य होगा। साफा-पाग-पगड़ी क्षेत्र में रिकाॅर्ड बनाने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहां कि राजस्थान में पगड़ी सिर्फ खूबसूरती बढ़ाने के लिए बांधते है बल्कि पगड़ी के साथ मान, प्रतिष्ठा, मर्यादा और स्वाभिमान जुड़ा हुआ रहता है। पगड़ी का अपमान स्वयं का अपमान माना जाता है। इसी क्रम में कृष्णचन्द्र पुरोहित ने बताया कि ऐतिहासिक परम्परा को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया हुआ है।

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ये हैं पुरोहित के छह विश्व रिकाॅर्ड

  1. ब्रावो इन्टरनेशनल वर्ल्ड बुक ऑफ रिकाॅर्ड, 2020
  2. अमेजिंग इण्डियन रिकाॅर्ड, 2020
  3. स्टार गोल्ड बुक ऑफ रिकार्ड, 2020
  4. फाउण्डेशन ऑफ इण्डियन बुक ऑफ रिकाॅर्ड, 2020
  5. ओ.एम.जी. वर्ल्ड रिकाॅर्ड, 2020
  6. नेशनल स्टार एक्सीलेन्स वर्ल्ड रिकाॅर्ड ऑफ बुक, 2020 में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। कार्यक्रम का संचालन योग गुरु हितेन्द्र मारू ने किया। रामेश्वर स्वामी ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। किसी क्रम में गौरीशंकर व्यास, महेश छंगाणी, भुवनेश पुरोहित, तेजाराम जी, विक्रमसिंह जी राजपुरोहित, श्याम सुन्दर किराडू, महेश पुरोहित, संजय स्वामी, आदित्य पुरोहित आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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