अस्थमा और इनहेलर्स पर जागरूकता पैदा करने के लिए बीकानेर में “इनहेलर है सही” अभियान लांच
बीकानेर। बेरोक ज़िंदगी कैंपेन के तीसरा अध्याय “अस्थमा के लिए, इनहेलर है सही – “इनहेलर है सही” को आज आयुष्मान खुराना ने बीकानेर में लॉन्च किया। अभियान “इनहेलर है सही” अस्थमा से जुड़े सोशल स्टिग्मा को दूर करने, अस्थमा के इलाज के दौरान इनहेलर के बारे में रोगियों को शिक्षित करने और इससे होने वाले फायदों के बारे में जानकारी देने के साथ ही वर्तमान परिस्थितियों में अस्थमा के मरीजों को बिना किसी परेशानी के अपना जीवन सामान्य तरीके से जीने में मदद करता है। डॉ. राजेंद्र सोगत, एम.डी. चेस्ट, पीबीएम अस्पताल व डॉ. गौरव गोम्बर, शिशु रोग विशेषज्ञ, आशिर्वाद नर्सिंग होम ने भी अपनी बात कही। डॉ. राजेंद्र सोगत, एम.डी. चेस्ट, पीबीएम अस्पताल ने कहा कि “इन्हलेशन थेरेपी से जुडी सामान्य धारणा को रोगी के दिमाग में बदलने की जरूरत है। इनहेलर्स से जुड़े मिथक हैं – हाई डोज़, दुष्प्रभाव और इसकी आदत हो जाना। हालाँकि, ये सिर्फ भ्रम हैं। मैं उचित परामर्श और शिक्षा के साथ अपने रोगियों को लगभग 90% इन्हलेशन थेरेपी की सलाह देता हूं। बढ़ते प्रदूषण के स्तर, भीड़भाड़, वर्तमान समय में महामारी आदि के कारण अस्थमा के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, इनहेलर्स अस्थमा के लिए सबसे अधिक प्रचलित इलाज है। सांस के जरिए ली जाने वाली दवाई ज्यादा प्रभावी इसलिए होती है क्योकि ये सीधे परेशानी की जगह पर जाकर काम करती है। इसके बारे में उचित मार्गदर्शन और शिक्षा की आवश्यकता है, यही कारण है कि इस प्रकार की पहल महत्वपूर्ण हैं।” इस अवसर पर गौरव गोम्बर ने कहा कि मैं जिस ट्रेंड को देख सकता हूं उनमें से एक अस्थमा और इसके सही इलाज के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है। हालाँकि, पिछले एक दशक में इन्हलेशन थेरेपी की स्वीकार्यता में बहुत सुधार हुआ है, फिर भी लोग इनहेलेशन थेरेपी के फायदों से अनजान हैं और अभी भी उन्हें लगता है कि इनहेलर्स की आदत हो जाती है या मरीज इन पर निर्भर हो जाता है। इनहेलेशन थेरेपी से जुडी भ्रांतियों को दूर करने के लिए रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों को उचित शिक्षा देने के साथ ही प्राथमिक देखभाल करने वाले चिकित्सकों और नर्सों को प्रशिक्षित करना जरुरी है।
Lockdown के बाद महत्वपूर्ण ध्यान रखना
बीकानेर में अस्थमा के बढ़ते मामलों के कारणों में वायु प्रदूषण में वृद्धि, पराग, धूम्रपान, भोजन से जुडी गलत आदतें, पोषण की कमी, वंशानुगत गड़बड़ी और माता-पिता की अज्ञानता शामिल हैं। नौ महीने बाद खुले लॉकडाउन के बाद यह और अधिक महत्वपूर्ण है कि हम अपने स्वास्थ्य और विशेष रूप से अस्थमा के रोगियों की उपेक्षा न करें। अस्थमा से जुडी सामान्य अवधारणा को बदलना बहुत महत्वपूर्ण है और खासकर सार्वजनिक रूप से इन्हेलर्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आज भी, लोग भ्रांतियों के डर से थेरेपी का उपयोग करने में संकोच करते हैं। जबकि इन्हलेशन ट्रीटमेंट लोगों के जीवन पर अस्थमा के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इनहेलर के जरिए दवा लेने पर यह रक्तप्रवाह और शरीर के अन्य अंगों से होकर गुजरने के बजाय सीधे फेफड़ों तक पहुँच कर अपना काम करती है। यही कारण है कि दवा की कम खुराक ही काफी होती है इसलिए इसके दुष्प्रभाव भी कम होते हैं। यह वास्तव में, अस्थमा रोगियों के लिए सबसे सुरक्षित उपचार विकल्प है। इस बारे में लोगों को जागरूक करना और उन्हें सही जानकारी देना बेहद जरुरी है क्योकि कई बार लोग इलाज के बीच में ही इन्हलेशन थेरेपी लेना बंद कर देते हैं, जिससे बीमारी को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।