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पटाखों पर रोक कारोबारियों के हितों पर जबरदस्त कुठाराघात

बीकानेर। कोरोना संक्रमण के चलते राजस्थान सरकार ने इस बार दीवाली पर पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। आमजन के स्वास्थ्य के मद्देनजर सरकार का यह फैसला सही जान पड़ता है, साथ ही पटाखा कारोबारियों के हितों पर कुठाराघात साबित होगा। हालांकि कुछ कारोबारियों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। कारोबारियों का कहना है कि इस व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों व श्रमिकों के हितों पर भी सरकार को विचार करना चाहिए। साथ ही ऐसे कारोबारियों को विकल्प भी देना चाहिए ताकि उनका घर भी चलता रहें। अचानक आए सरकार के इस फैसले से पटाखा कारोबारियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

इनसे तो रोज होता है वायु प्रदूषण

सरकार का कहना है कि पटाखों के धुएं से कोरोना संक्रमितों व आमजन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए पटाखों पर रोक लगा दी है। यहां सरकार को बता दें कि बीकानेर के अनेक रिहायशी इलाकों में सड़क किनारे पट्टी पेड़ों वालों ने अवैध कब्जा कर रखा है जहां से बजरी, कंकरीट ग्रिट आदि भवन निर्माण सामग्री का कारोबार किया जा रहा है जो वायु प्रदूषण का बड़ा माध्यम है। इन निर्माण सामग्री से उड़ने वाले धुल के हानिकारक कण वाहनों के धुएं के साथ हवा के जरिए आसपास के घरों में प्रवेश करते हैं। फिर ये कण घरों में सांस के जरिए नागरिकों के शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों पर अटैक करते हैं। जानकारी के अनुसार ये कण सिलकोसिस जैसी घातक बीमारी के लिए जिम्मेदार हैं। इतना ही नहीं ये कण अस्थमा और श्वसन रोगियों के लिए ट्रिगर फैक्टर का काम करते हैं यानी ऐसे रोगियों की तकलीफ को बढ़ा देते हैं। और यह प्रदूषण तो रोज होता है। इन इलाकों के निवासी महीनों तक खांसी एवं सांस जैसी तकलीफों की शिकायतें भी की जाती रही हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता। यहां सवाल उठता है कि जब सरकार को इतनी ही चिंता कोरोना संक्रमितों व आमजन के स्वास्थ्य की है तो फिर ऐसे घातक कारोबार पर क्यों नहीं अंकुश लगाया जा रहा है। सरकार को रिहायशी इलाकों में ऐसी तमाम कारोबारी गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए जिनसे प्रदूषण फैलता है। यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो पटाखा कारोबार पर अंकुश लगाने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

इनका कहना है –

पटाखों पर रोक का निर्णय कोविड के चलते लेना सही है, दीपावली त्यौहार हमारी आस्था से जुड़ा विषय है। इस निराशा भरे माहौल में इस त्यौहार का भी ऐसे ही समाप्त होना सही नहीं है। इसके साथ ही पटाखा व्यवसायियों पर कुठाराघात है। ग्रीन पटाखों की वैकल्पिक छूट दी जानी चाहिए। दीपावली का इंतजार पटाखा व्यवसायियों को साल भर से रहता है । एक दम से रोक लगाना कालाबाज़ारी को जन्म देगा जैसा कि पूर्व में गुटखा व पानमसाला में हुआ था। – जुगल राठी, अध्यक्ष, बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल

सरकार का यह फैसला गरीब श्रमिकों के हितों के खिलाफ है। दीपावली के नजदीक अचानक ऐसा फैसला करना न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता । ऐसा जरूरी था तो सीजन शुरू होने से तीन चार माह पहले अवगत कराया जाता ताकि उत्पादन रोक दिया जाता। फैसले में देरी के चलते लाखों रूपये का माल गोदामों ही रह जाएगा। इससे कारोबारियों को गहरा आघात लगा है। सरकार या तो ग्रीन पटाखों का विकल्प बताएं या फिर राहत पैकेज दें। -वीरेन्द्र किराड़ू, सचिव, बीकानेर फायर वर्क्स एसोसिएशन

बीकानेर फायर वर्क्स एसोसिएशन सरकार का आतिशबाजी के खिलाफ निर्णय का करेगी पुरजोर विरोध

बीकानेर। बीकानेर फायर वर्क्स एसोसिएशन की कार्यकारिणी की आपात बैठक का आयोजन अध्यक्ष लूणकरण सेठिया की अध्यक्षता में किया गया। बीकानेर फायर वर्क्स एसोसिएशन के सचिव वीरेंद्र किराडू ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कल से जो पटाखा बिक्री पर रोक लगाई गई है वो न्यायोचित नहीं है। बैठक में सर्वसम्मती से निर्णय लिया गया कि कल से बीकानेर जिले के समस्त आतिशबाजी व्यवसायी जिलाधीश कार्यालय के सामने अनिश्चितकाल के लिए धरना देंगे व मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन जिला कलक्टर को सौंपेंगे और ज्ञापन के माध्यम से पटाखा बिक्री पर लगाई गई रोक को हटाने की मांग करेंगे। अध्यक्ष सेठिया ने बताया कि राजस्थान में पटाखा व्यवसाय से लाखों लोगों की रोजी रोटी का अस्तित्व खतरे में आ गया है और यह भी कहा कि केवल पटाखा ही प्रदूषण करता है यह न्यायसंगत नहीं है। बैठक में बनवारीलाल अग्रवाल, नरेंद्र खत्री, गुरदीप शर्मा, भंवरलाल व्यास, ओम सोनगरा, दीपक कोडा, भानू शर्मा, हरीश देवड़ा, कमल गहलोत उपस्थित हुए। गुरदीप शर्मा ने व्यापारियों का आभार जताते हुए अपील की कि हम सभी को एकजुट होकर अपनी रोजी रोटी के लिए लड़ना पड़ेगा।

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