ईसीबी कार्मिकों ने वेतन के लिए 200 विधायकों व 25 सांसदों तक पहुंचाई अपनी पीड़ा
बीकानेर। राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर ईसीबी में आज वेतन की 7 महीने से मांग को लेकर चल रहे धरना प्रदर्शन के सातवें दिन महाविद्यालय के शिक्षकों एवं कार्मिकों ने बीकानेर स्थित कलेक्टर कार्यालय के समक्ष अपना धरना प्रदर्शन किया जिसमें उन्होंने सरकार से वेतन संबंधित स्थाई समाधान की मांग के लिए एक सूत्री ज्ञापन दिया।
रेक्टा बीकानेर इकाई के अध्यक्ष डॉ शौकत अली ने बताया कि आज कलेकटरेट परिसर में सैकड़ों कार्मिकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से राजस्थान के सभी 200 विधायकों,मंत्रियों, 25 सांसद सदस्य ,एवं राज्य सरकार के आला अधिकारियों को राज्य की सभी स्वायत्तशासी अभियांत्रिकी महाविद्यालयों वर्तमान वितीय यथास्थिति को बताया एवं समस्या को विधानसभा के पटल पर रखने की मांग की ।
कलेकटरेट परिसर में सैकड़ों कार्मिकों ने अपनी पीडा वयक्त करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाने के साथ समय पर अपनी माँग पूरी करने का मुख्यमंत्री से आग्रह किया ।
सोशल मीडिया के माध्यम से कार्मिकों ने बताया कि यह महाविद्यालय राजस्थान का सबसे बड़ा स्वायत्तशासी संस्थान है, जिसकी स्थापना 1999 में हुई थी। निरंतर 20 वर्षों से यह महाविद्यालय अभियांत्रिकी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट परिणाम देता आ रहा है।
इस महाविद्यालय को राज्य सरकार की ओर से नाममात्र का आर्थिक सहयोग मिलता है। यहां के आइआइटी जैसे संस्थाओं से पीएचडी किये शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को विगत 7 माह से राजस्थान सरकार की घोर लापरवाही की वजह से कोरोना महामारी में वेतन नहीं मिला है जिनसे हमारे परिवार का जीवन यापन दूभर हो गया है। आज कार्मिकों ने बीकानेर के सड़क चौराहों पर घर खर्च चलाने हेतु परिवार सहित भीख भी मांगी है।
तकनीकी शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार, बीकानेर प्रभारी मंत्री, उर्जा मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री को सैकड़ों बार ज्ञापन देने उपरांत भी आज तक कोई भी सकारात्मक पहल विभाग के द्वारा नहीं ली गई है। इसके बावजूद कोरोनाकाल में यहां के शिक्षकों ने सात महीनों से अपने कार्यों का पूर्ण निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ किया है। परंतु अब यह कार्मिक वेतन के अभाव में हताश हो चुकें व व परिवार का भरण-पोषण हेतु भीख मांगने की नौबात आ चुकी है । पिछले 6 दिन से कर्मचारी आन्दोलन की राह पर हैं, लेकिन राजस्थान सरकार की हठधर्मिता के चलते वेतन अभी तक भी नहीं मिला है। यहाँ के इंजिनियर विद्यार्थी अन्तराष्ट्रीय पटल पर अपनी छाप छोड़ चुकें हैं जिनमे नासा, इसरो, केयर्न एनर्जी जैसे संस्थानों में प्रमुखता से इनकी भागीदारी रही है। यहाँ के कई विद्यार्थी देश में सबसे कठिन माने जाने वाली आई.ए.एस व आर.ए.एस परीक्षा पास कर बड़े अधिकारी भी बन चुके हैं।पिछले 20 बर्षों में इस संस्थान ने अपनी आय से 74 करोड़ रुपयों का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। राजस्थान में सबसे अधिक इंजिनियर पैदा करने वाले संस्थान के शिक्षकों व कर्मचारियों की ऐसी स्थिति दयनीय व शर्मनाक है।
रेक्टा प्रवक्ता डॉ महेंद्र व्यास ने कहा कि कर्मचारी लगातार सात दिनों से मर्यादित धरना-प्रदर्शन कर रहे एवं सरकार उपेक्षापूर्ण रवैये को अपनाये हुए हैं एवं बताया कि 2 नवम्बर को आक्रोशित कार्मिक महाविद्यालय के मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर प्रदर्शन करेंगे ।
प्रदर्शन के सातवें दिन अजमेर से सहायक आचार्य डॉ सुनील खींची ने कर्मचारियों को उत्साह वर्धन के साथ सम्बोधित करते हुए कहा कि हम समस्या के त्वरित निवारण हेतु राष्ट्रीय स्तर माँग रखेंगे।संबंधित समस्या का जल्द निराकरण न करने पर राजस्थान रेक्टा संघ एवं गैर शैक्षणिक संगठनों ने भी राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी।
धरना प्रदर्शन को रेक्टा के संरक्षक डॉ ओ.पी.जाखड ,डॉ प्रीती नेरूका, डॉ राधा माथुर, डॉ राकेश पूनिया,शंभूदयाल पारीक,कैलाशपति आचार्य ,सुरेन्द्र जाखड , डॉ अवधान,डॉ वीरेन्द्र, बांधू देवी ,डॉ मनोज सोनी ,डॉ विजय माकर ,डॉ गरिमा , डॉ अतुल गोस्वामी, डॉ अरूण ,डॉ सुरेश पुरोहित,डॉ राहुल अग्रवाल आदि ने संबोधित किया।