आंशिक रूप से स्कूलों को खोलने की प्रस्तावित योजना अव्यावहारिक, धोखा और राजस्व वसूली का जरिया
– 28 अक्टूबर को जारी आदेश को काला आदेश करार देते हुए काला मास्क पहनकर किया विरोध
बीकानेर। आरटीई के अंतर्गत बकाया राशि के तुरंत भुगतान, सत्र 2020-21 के अंतर्गत आरटीई का भुगतान अग्रिम करने, गत सत्र तक बकाया फीस वसूली से नहीं रोकने, बोर्ड की संबद्धता शुल्क वसूली बंद करने, आरटीई पोर्टल पर एंट्री पुनः शुरू करने, पी एस पी पोर्टल पर सैकेंडरी कक्षाओं के लिए प्रवेश प्रक्रिया चालू रखे जाने तथा केवल 10 वीं व 12 वीं कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने के विरोध में गुरूवार को प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) द्वारा निदेशक माध्यमिक शिक्षा, सौरभ स्वामी को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन से पूर्व गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों ने काला मास्क लगाकर विभाग द्वारा 28 अक्टूबर को जारी आदेश को काला आदेश बताते हुए उसका पुरजोर विरोध जताया। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने बताया कि ज्ञापन में निदेशक से मांग की गई कि आरटीई की बकाया राशि का भुगतान 10 नवंबर 2020 तक आवश्यक रूप से करवाए जाने की व्यवस्था कराएं। बार बार अनेक संस्थाओं द्वारा मांग किए जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया जाना, गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के अधिकार के विरुद्ध है। उन्होंने बताया कि ज्ञापन में निदेशक के माध्यम से सरकार से मांग की गई है कि आगामी 10 नवंबर 2020 तक आरटीई के अंतर्गत सत्र 2019-20, सत्र 2018-2019, सत्र 2017-2018, सत्र 2016-2017 एवं इस से पहले के भी बकाया समस्त क्लेम बिलों का भुगतान किया जाना सुनिश्चित कराएं। ज्ञापन में सत्र 2018-2019 के अंतर्गत 30-11-2019 तक वाले बैरियर को हटाने की कार्यवाही हेतु पुरजोर मांग की गई है। सत्र 2019-20 के द्वितीय क्लेम के भुगतान की व्यवस्था भी 10 नवंबर 2020 तक कराने की मांग भी करते हुए ज्ञापन में सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि 10 नवंबर 2020 तक भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में राज्य की गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं को आंदोलनात्मक रूख अख्तियार करना उनकी मजबूरी रहेगी, जिसका समस्त उतरदायित्व राज्य सरकार का होगा।
सत्र 2020-21 के अंतर्गत आरटीई का भुगतान अग्रिम कर गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं की आंशिक आर्थिक सहायता करे सरकार
ज्ञापन में मांग की गई है कि आरटीई के अंतर्गत सत्र 2020-21 का पुनर्भरण अग्रिम रूप से किया जाए ताकि कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु पिछले लगभग आठ महीने से बंद पडे़ स्कूलों को आंशिक आर्थिक सहयोग प्राप्त हो सके, जिससे दीपावली जैसे उत्सव को खुशी के साथ मनाया जा सकेगा।
बकाया फीस वसूली से रोकने के कारण गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं पर भारी वित्तीय संकट गहराया
ज्ञापन में बताया गया है कि गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं की गत सत्र 2019-20 तक बकाया फीस वसूली से रोकने के कारण उनकी वित्तीय स्थिति पूरी तरह से गड़बड़ा गई है। हजारों की संख्या में स्कूलों के बंद होने की नौबत आ गई है। अतः पिछले साल तक की बकाया फीस वसूली के लिए किसी भी तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए जाए, अपितु सरकार स्वयं इस संबंध में स्पष्ट रूप से अभिभावकों को निर्देशित करावें कि उन्हें बकाया राशि का भुगतान तुरंत करना चाहिए।
अजमेर बोर्ड द्वारा बेमतलब लिया जा रहा वार्षिक संबद्धता शुल्क बंद किया जाए
ज्ञापन में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर की मनमानी के संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर प्रति वर्ष संबद्धता शुल्क के नाम से दो हजार रुपये वसूली करता है, जब तक यह शुल्क जमा नहीं होता है तब तक बोर्ड परीक्षा के आवेदन पत्र नहीं भरे जा सकते। आज तक किसी के भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि बोर्ड ये शुल्क लेने के बदले दे क्या रहा है ? आवेदन की समस्त प्रक्रिया आनलाईन है और तमाम आनलाईन काम संबंधित स्कूल द्वारा किया जाता है। बोर्ड सिर्फ और सिर्फ परीक्षा की व्यवस्था व मार्कशीट की ही व्यवस्था करता है, जिसके लिए उसे प्रति छात्र छह सौ रुपये का भुगतान किया जाता है। अतः बोर्ड की इस तरह की बेमतलब की मनमानी फीस वसूली को रोका जाए।
केवल 10 वीं और 12 वीं कक्षा के लिए स्कूल खोलने की प्रस्तावित योजना अनैतिक, अव्यावहारिक, धोखा व राजस्व वसूली का जरिया
ज्ञापन में केवल कक्षा 10 व 12 वीं के स्कूल खोलने की प्रस्तावित योजना को अनैतिक, अव्यावहारिक व धोखा बताते निदेशक को अवगत कराया गया है कि बोर्ड फॉर्म भरने व राजस्व वसूली के लिये आंशिक विद्यालय खोलना तो अनैतिक एवं अव्यवहारिक ही नहीं बल्कि अभिभावकों के साथ धोखा है।
अगर दसवीं एवं बारहवीं के बालकों को कोरोना का खतरा नहीं है तो शेष बालकों को खतरा कैसे हो सकता है ? यदि सबको खतरा है तो केवल दसवीं और बारहवीं के बालकों को खतरे में क्यों डाला जा रहा है ? इसलिए सम्पूर्ण स्कूलें पूरे समय तक खोलने की योजना बनाई जाए। आंशिक स्कूलें खोलना तो पूर्णतः अव्यवहारिक व बचकाना कार्य होगा। जब कोरोना प्रसार के सारे मार्ग सरकार ने पहले ही खोल दिये हैं तो केवल स्कूलें नहीं खोलने का कोई औचित्य ही नहीं है। क्या कोरोना के वायरस रेलों, बसों व बाजारों से निकलकर केवल स्कूलों में ही छिपे बैठे हैं ? यदि नहीं तो फिर स्कूल खोलने में व्यर्थ की झिझक क्यों ? इसलिए सरकार को सभी कक्षाओं के लिए स्कूल खोले जाने की व्यवस्था तुरंत प्रभाव से करनी चाहिए।
आरटीई पोर्टल पर एंट्री पुनः शुरू करने तथा पी एस पी पोर्टल पर सैकेंडरी कक्षाओं के लिए प्रवेश प्रक्रिया चालू रखे जाने के संबंध में भी निदेशक से निवेदन किया गया। ज्ञापन की प्रति अतिरिक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा रचना भाटिया को भी दी गई। इस अवसर पर संतोष रंगा, अशोक उपाध्याय, तरविंद्रसिंह कपूर, रमेश बालेचा, मुकेश पांडेय, विष्णु पंवार, राकेश पंवार, भरतसिंह, ताराचंद किलानिया, केवल चंद भूरा, हरविंद्र सिंह कपूर इत्यादि उपस्थित थे।