पहले छह फीट ऊंचाई तक लगाओ टाइल्स, फिर बेचो कचौरी , नहीं तो नहीं मिलेगा फूड लाइसेंस
बीकानेर। बीकानेर जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया, सचिव विनोद गोयल, बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल अध्यक्ष जुगल राठी, सचिव वीरेंद्र किराडू, बीकानेर पापड़ भुजिया मेन्यूफेक्चर एसोसिएशन के चेयरमेन शांतिलाल भंसाली, सदस्य रोहित कच्छावा, गंगाशहर भीनासर पापड़ भुजिया व्यापार मंडल अध्यक्ष पानमल डागा व सदस्य जय कुमार भंसाली ने सूक्ष्म व लघु उद्योग पापड़, भुजिया, बड़ी व रसगुल्ला उद्योग के खाद्य सुरक्षा अनुज्ञा पत्र (फूड लाइसेंस) 1 नवंबर से 2020 से दिल्ली से जारी करने प्रक्रिया को रूकवाने बाबत संयुक्त पत्र पूरे राजस्थान के सभी 25 सांसदों को भिजवाए। इनमें आग्रह किया गया कि सभी सांसद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली से इस अधिनियम को लागू ना होने के लिए अनुशंसा पत्र भिजवाए क्योंकि यह मुद्दा पूरे राजस्थान से जुड़ा हुआ है और इस अधिनियम के लागू होने से पूरे राजस्थान में लगभग 50 लाख व्यक्ति बेरोजगार हो जायेंगे। फ़ूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एंड ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया (FSSAI) द्वारा पूरे राजस्थान के सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों जैसे पापड़, भुजिया, नमकीन, बड़ी, रसगुल्ले, कचौरी आदि जैसे छोटे व्यापारियों के व्यापार को 1 नवंबर 2020 से प्रोपराईटरी एक्ट में शामिल किया जा रहा है और अब इन सब सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को FSSAI के लाइसेंस दिल्ली से जारी किये जायेंगे। जिसके लिए उन्हें कई गुना फीस चुकानी पड़ेगी, जैसे एक नमकीन या कचोली की छोटी दूकान करने वाले को वर्तमान में 100 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगती थी जो कि इस नियम के लागू हो जाने से 7500 रूपये प्रतिवर्ष हो जायेगी और उस व्यापारी को बीएससी केमेस्ट्री पास युवक को तकनीकी इंचार्ज को नियुक्ति देनी होगी जो व्यापारी द्वारा बने हर माल की जांच करेगा। साथ ही 4 से 5 हजार रूपये देकर पानी की जांच करवाकर उसकी रिपोर्ट सबमिट करनी होगी, साथ ही सेन्ट्रल लाइसेंस के अंतर्गत जो प्रावधान दिए गये हैं के अंतर्गत 6 फुट की ऊंचाई तक ग्लेज टाइल्स लगवानी होगी व काम करने वाले आदमियों को हेडकेप, एप्रिन व हेंड ग्लब्स पहनने होंगे साथ ही प्रोड्क्शन एरिया, रो मेटेरियल एरिया, तैयार माल का एरिया व स्टोर अलग अलग दिखाने होंगे जबकि छोटा व्यवसायी इन प्रावधानों को पूर्ण नहीं कर पायेगा और उसे अपना व्यवसाय बंद करना पडेगा और इसका सीधा फायदा बड़े कारोबारियों को होगा। वर्तमान में 1 टन प्रतिदिन उत्पादन करने वाले उद्योगों को 3000 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगती है और इस नियम के लागू हो जाने के बाद 7500 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगनी शुरू हो जायेगी। इस अधिनियम के लागू हो जाने से प्रतिदिन 10 किलो उत्पादन हो या 10000 किलो दोनों प्रकार के उत्पादकों को एक ही श्रेणी में रख दिया गया है ।