वेतन कटौती पर कर्मचारियों का सरकार से सवाल- क्या कोरोना काल में कर्मचारी मालामाल और विधायक हो गए कंगाल ?
बीकानेर। अखिल राजस्थान संयुक्त मंत्रालय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनीष विधानी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार में कार्यरत कनिष्ठ सहायकों की बहू प्रतीक्षित मांगों को पूरा करवाने के उद्देश्य से कार्यालय जिला कलेक्टर बीकानेर के सामने धरना प्रदर्शन किया गया। इसमें कोविड-19 गाइडलाइन धारा 144 की पूर्ण पालना की गई , जिसमें चार व्यक्ति, मनीष विधानी, लक्ष्मी नारायण बाबा जितेंद्र गहलोत वह अनिल पुरोहित बैठे। संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनीष विधानी ने बताया कि संघ की प्रमुख चार मांगे हैं। जिसमें कनिष्ठ सहायकों को विशेष वर्ग का दर्जा देते हुए उनका ग्रेड पर 3600 करने, सचिवालय के समान वेतन भत्ते, 30 अगस्त 2017 के शेड्यूल 5 के परिप्रेक्ष्य में की गई कटौती निरस्त करवाने नवनियुक्त कनिष्ठ सहायकों की गृह जिला पदस्थापन आदि मांगों को पूरा करवाने हेतु प्रदेश में स्थित समाज जिला कलेक्टर कार्यालय के आगे धरना प्रदर्शन किया गया। बीकानेर में भी जिला कलेक्टर के आगे धरना देकर प्रदर्शन किया गया। प्रदेश अध्यक्ष मनीष विधानी ने कहा कि मंत्रालयिक संवर्ग अपनी ग्रेड पे 3600 करने में अन्य मांगों को लेकर वर्ष 2013 से संघर्षरत है। सरकार की हठधर्मिता के कारण त्यौहार के समय भी मंत्रालयिक कर्मचारियों को धरने पर बैठने हेतु विवश होना पड़ रहा है। वर्ष 2017 में मंत्रालय कर्मचारियों द्वारा ग्रेड पर 3600 करने के लिए एक बड़ा आंदोलन किया गया है। वर्ष 2018 में भी मंत्रालयिक कर्मचारियों द्वारा ग्रेड पे 3600 करने के लिए शिप्रा पथ थाना के सामने स्थित मैदान , जयपुर में भी आंदोलन किया गया था। जिसमें मंत्रालय के साथी सुरेंद्र चौधरी का धरना स्थल पर ही निधन हो गया था। इस घटना पर वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्विटर के माध्यम से टिप्पणी कर इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया व तत्कालीन सरकार को कर्मचारियों से वार्ता कर उनकी मांगे मानने को भी कहा था। सचिन पायलट ने भी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कर्मचारियों को मांगे मानने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को संदेश भेजा था ट्विटर के माध्यम से। ये ट्वीट, आज भी प्रत्येक मंत्रालयिक कर्मचारियों के मोबाइल में सेव है। वर्तमान सरकार के 2 साल पूरे होने को आए हैं, परंतु सरकार ने मंत्रालयिक कर्मचारियों की कोई सुध नहीं ली है। सरकार की नीति किसी भी कर्मचारी को समझ में नहीं आ रही है एक तरफ वह मंत्रालय कर्मचारियों के वेतन में से कटौती कर रही है। वहीं दूसरी और वह विधायकों के भत्तों में बिना किसी समिति का गठन किए एक ही दिन में ₹20000 की वृद्धि कर रही है। यह सरकार की कौन सी दोहरी नीति है स्पष्ट करें। मुख्यमंत्री जी ने अपने एक बयान में कहा था कि मजदूरों की नौकरी गई और मजदूर गरीब हुए हम इस बात से पूर्णता सहमत हैं। परंतु कर्मचारी वर्ग मुख्यमंत्री से पूछना चाहता है कि क्या कर्मचारी करोना काल में मालामाल हो गए इसलिए सरकार उनकी वेतन कटौती कर रही है। क्या विधायक गरीब हो गए हैं, जो सरकार उनको उनका वेतन एक ही दिन में ₹20000 बढ़ाकर उनको गुजारा भत्ता दे रही है। स्पष्ट करें सरकार,विधायकों के वेतन भत्तों से मंत्रालयिक कर्मचारियों को कोई आपत्ति नहीं है परंतु सरकार को मंत्रालय कर्मचारियों के हितों का भी ख्याल रखना चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष विधानी ने कहा कि अगर सरकार द्वारा जल्द मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो मजबूरन किसी भी समय पेन डाउन या किसी बड़ी हड़ताल की घोषणा की जा सकती है। साथ ही आज हुए धरने में फैसला हुआ कि प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारी सरकार से व्याप्त असंतोष के कारण दीपावली का त्यौहार नहीं मनाएंगे। काली दिवाली मनाएंगे। आज हुए धरने में जगदीश नायक, विनोद कुमार शर्मा,मोहित सेवक ,नारायण मोदी, देवेंद्र प्रसाद व्यास तरुण कुमार मोदी अजमल हुसैन कमल नारायण आचार्य सुभाष कुमार मेघवाल आदि ने धरना स्थल पर आकर धरने का समर्थन कर धरनार्थियों का हौसला बढ़ाया।