एक तरफ कोरोना की मार दूसरी और सूक्ष्म उद्योग के अस्तित्व पर सरकार ने लटकाई तलवार
बीकानेर। बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के अध्यक्ष जुगल राठी के नेतृत्व में सूक्ष्म व लघु उद्योग पापड़, भुजिया, बड़ी व रसगुल्ला उद्योग के खाद्य सुरक्षा अनुज्ञा पत्र (फूड लाईसेंस) 1 नवंबर से 2020 से दिल्ली से जारी करने प्रक्रिया को रूकवाने बाबत वर्चुअल मीटिंग द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया | अध्यक्ष जुगल राठी ने बताया कि सभी व्यापारियों को एकजुट होकर इस अधिनियम के खिलाफ अपना विरोध स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्द्धन व केन्द्रीय राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल को पोस्टकार्ड, ईमेल व वाट्सएप के जरिये दर्ज करवाए जाएंगे ताकि सरकार को मजबूरन सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के हित में इस अधिनियम को वापस लेना पड़े। इस अधिनियम के विरोध में इस आंदोलन को चलाने के लिए बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल सचिव वीरेंद्र किराडू, बीकानेर पापड़ भुजिया मेंयुफेक्चर एसोसिएशन के सदस्य रोहित कच्छावा, रवि पुरोहित, मांगीलाल लूणिया, वीरेंद्र भंसाली व रोहित बैद को इस अभियान का संयोजक बनाया गया है। अध्यक्ष जुगल राठी ने बताया कि यदि यह अधिनियम लागू हो जाता है तो सूक्ष्म और लघु उद्योग जो घर से संचालित हो रहे हैं जैसे पापड़, भुजिया, बड़ी, केक, नमकीन, मिठाई आदि उद्योगों को एफएसएसएआई लाइसेंस मिलना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि यह उद्योग जिस केटेगरी में आते थे उस केटेगरी को 1 नवंबर 2020 से लागू होने वाली नई प्रक्रिया में हटा दिया गया है और इसकी वजह से सभी फ़ूड आधारित उद्योगों के एफएसएसएआई लाइसेंस दिल्ली में बनेंगे। जिसके लिए उन्हें कई गुना फीस चुकानी पड़ेगी, उदाहरणार्थ एक नमकीन या कचोली की छोटी दूकान करने वाले को वर्तमान में 100 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगती थी जो कि इस नियम के लागू हो जाने से 7500 रूपये प्रतिवर्ष हो जाएगी। वर्तमान में 1 टन प्रतिदिन उत्पादन करने वाले उद्योगों को 3000 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगती है और इस नियम के लागू हो जाने के बाद 7500 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगनी शुरू हो जाएगी। कहने का तात्पर्य यह है कि प्रतिदिन 10 किलो उत्पादन हो या 10000 किलो दोनों प्रकार के उत्पादकों को एक ही श्रेणी में रख दिया गया है साथ ही सेन्ट्रल लाइसेंस के अंतर्गत जो प्रावधान दिए गये हैं जैसे कि उत्पादन क्षेत्र, पैकिंग क्षेत्र, गोदाम आदि सभी अलग अलग होनी चाहिए जबकि छोटा व्यवसायी इन प्रावधानों को पूर्ण नहीं कर पायेगा | दिल्ली से लाइसेंस जारी होने के कारण उद्यमी के लाइसेंस नंबर भी बदल जायेंगे और इन लघु उद्योगों के लाखों रूपये के पैकिंग मेटेरियल में पूर्व के अंकित लाइसेंस नंबर वाला पैकिंग मेटेरियल भी किसी काम का नहीं रह जाएगा | बीकानेर में मुख्यत: 50% से अधिक FSSAI लाइसेंस धारकों पर इसका प्रभाव पडेगा क्योंकि यहाँ पापड़, भुजिया, बड़ी, नमकीन, रसगुल्ला व कचोरी आदि के छोटे कारोबारी हजारों की संख्या में है और बीकानेर पूरे विश्व में भुजिया, पापड़, बड़ी व रसगुल्ले के नाम से ही पहचाना जाता है। इस प्रकार बड़े कारोबारी तो फीस देकर लाइसेंस ले लेंगे और छोटे कारोबारियों को अपना धंधा बंद करना पड़ जाएगा। परिचर्चा में बीकानेर जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया, बीकानेर पापड़ भुजिया मेंयुफेक्चर एसोशियेशन के चेयरमेन शांतिलाल भंसाली, पानमल डागा, जय कुमार भंसाली, शंकरलाल पारीक आदि ने भाग लिया।