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कोरोना विस्फोट से जख्मी पटाखा कारोबार पर लटकती पाबंदी की तलवार

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– लाखों श्रमिक हो जाएंगे बेरोजगार
– बड़े नुकसान की आशंका से चिंतित प्रदेश के लघु उद्यमी

✍राजेश रतन व्यास✍

बीकानेर। प्रदेशभर में लगातार कोरोना विस्फोट हो रहा है। इधर दीपावली पर्व निकट आता जा रहा है। इस विस्फोट से जख्मी पटाखा कारोबार पर पाबंदी की तलवार लटक रही है जो जले पर नमक छिड़कने के समान होगा। क्योंकि दीपावली से पहले मैरिज एवं अन्य आयोजनों में बिकने वाले पटाखे इस बार बिके नहीं और ऊपर से सीजन के टाइम में पटाखों की बिक्री पर वैधानिक संस्था नीरी द्वारा प्रस्तावित प्रतिबंध की खबरों ने प्रदेश के पटाखा कारोबारियों को चिंता में डाल दिया है। प्रतिबंध लगा तो बहुत बड़ी संख्या में श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे। वहीं तैयार हो चुके पटाखों का स्टाॅक गोदामों व दुकानों में ही रह जाने से लघु उद्यमियों की कमर टूट जाने की आशंका है। हाल ही में बीकानेर फायर वक्र्स एसोसिएशन, बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल, जिला हनुमानगढ़ आतिशबाजी निर्माता एंड विक्रेता संघ, जयपुर व्यापार महासंघ आदि कारोबारी संगठनों ने सीएम को पत्र भेजकर पटाखों की बिक्री चालू रखने का आग्रह किया है।  बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के अध्यक्ष जुगल राठी, सचिव वीरेन्द्र किराडू, जयपुर व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष गोयल एवं महामंत्री सुरेन्द्र बज ने सीएम को भेजे पत्र में आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार वर्ष 2017 में गठित वैधानिक संस्था नीरी द्वारा प्रमाणित फार्मूले के अनुसार निर्मित पटाखों को जो प्रदूषण रहित होते हैं उनकी बिक्री को दीपावली पर प्रतिबंधित नहीं किया जाए जिससे जो लोग वैधानिक रूप से इन पटाखों के निर्माण व कारोबार में लगे हुए हैं व्यापार से वंचित ना हो और ये रोजगार के माध्यम से रोजी रोटी कमाकर अपने परिवार का भरणपोषण कर सके। इन संगठनों ने सीएम से जनहित में उचित निर्णय लेने की उम्मीद भी जताई है।
कारोबारियों ने सुरक्षित दीपावली मनाने के दिए सुझाव एवं रखा पक्ष
प्रदेश के इन कारोबारियों संगठनों को विभिन्न समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ है कि कोरोना को देखते हुए राजस्थान सरकार पटाखों के क्रय विक्रय पर अस्थाई रूप से प्रतिबंध लगाने जा रही हैं। इस संबंध में बीकानेर फायर वक्र्स एसोसिएशन के सचिव वीरेन्द्र किराडू, जिला हनुमानगढ़ आतिशबाजी निर्माता एंड विक्रेता संघ के अध्यक्ष सज्जन कुमार बंसल ने ऊर्जा मंत्री बी डी कल्ला को अलग-अलग पत्र भेजकर पटाखा कारोबारियों की समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया।
कारोबारियों ने पत्र में लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 2015 से समस्त राजस्थान व भारत की लगभग 5000 फैक्ट्रीयां वैज्ञानिक संस्थान नीरी के आदेशानुसार नए कैमिकल फार्मूले के तहत ग्रीन पटाखों का निर्माण कर रही है तथा तय मापदंडों के अनुसार ग्रीन पटाखों की आपूर्ति कर रही है। ग्रीन पटाखे में जो कैमिकल उपयोग किए जाते हैं वह किसी भी प्रकार से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है और किसी भी प्रकार के पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करते हैं।
उन्होंने एक पक्ष यह भी रखा कि पटाखों के कारण कोरोना में बढ़ोतरी का हवाला दिया जा रहा है जबकि पटाखें जलाने से तो वातावरण में मौजूद कई तरह के हानिकारक तत्व नष्ट हो जाते हैं। पटाखे जलने से 03 प्रदूषण स्तर आता है जिससे किसी के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता और पिछले 2 सालों से ग्रीन पटाखों का चलन ज्यादा बढ़ गया है जो पूर्णतया ईको फ्रेन्डली है। पटाखे खुशियों और त्यौहार मनाने का जरिया ही नहीं अपितु एक उद्योग है जिससे लाखों लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं।
कोरोना काल में उचित नहीं प्रतिबंध लगाना
कारोबारियों ने बताया कि दीवाली पर पटाखे कभी भी मेले व मैदानों में सामूहिक रूप से घरों में अथवा घरों की छतों पर तथा घर के बाहर जलाए जाते हैं जिससे की स्वतः ही सोशल डिस्टेसिंग की पालना होती है। चूंकि इस समय समस्त व्यापार जगत कोरोना से प्रभावित है ऐसी स्थिति में पटाखों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा। समस्त व्यापारियों के पास स्टाॅक आ चुका है। पटाखों को लघु और कुटीर उद्योगों की श्रेणी में रखा जाता है जिनका उत्पादन समस्त वर्ष चलता है और सालभर माल आता रहता है। उन्होंने कल्ला को यह भी लिखा कि दिल्ली को भारत के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में माना जाता है जबकि दिल्ली में भी पटाखों का क्रय विक्रय नीरी के मापदण्डों के अनुसार अनवरत जारी है। दिल्ली ही नहीं अपितु भारत के सभी शहरों में पटाखों का क्रय-विक्रय उपयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सुरक्षित मापदण्डों की पालना करते हुए अनवरत जारी है।
पटाखा व्यवसाय का राजस्व में है बड़ा योगदान
उन्होंने सुझाव दिया कि दीपावली पर्व बच्चों द्वारा अभिभावकों की उपस्थिति में समस्त सुरक्षा मापदण्ड पूरे करते हुए मनाया जाता हैं। ऐसी स्थिति में पटाखों के क्रय विक्रय एवं उपयोग पर रोक लगाना सर्वथा अनुचित रहेगा। पटाखे वर्ष में मात्र एक दिन जलाए जाते हैं। लाॅकडाउन के बाद समस्त कल कारखाने, वाहन एवं आर्थिक गतिविधियां पूर्व की भांति चालू हो गई है। ऐसी स्थिति में पटाखों के क्रय विक्रय एवं उपयोग पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा। साथ ही बतया कि स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन्स के अनुसार मास्क 98 प्रतिशत कोरोना के प्रभाव को रोकता है तथा कोरोना के अतिरिक्त अन्य 15 बीमारियों से मृत्युदर कोरोना की तुलना में अत्यधिक है। पटाखा व्यवसाय का भारतीय राजस्व में बहुत बड़ा योगदान है और यह व्यवसाय शुरूआत से ही सरकार को काफी अधिक राजस्व देने वाले व्यवसायों में रहा है। हम सभी व्यापारी स्थायी अनुज्ञापत्रधारी हैं जो अनुज्ञा पत्र लेकर नियमों के तहत व्यापार करते रहे हैं तथा पिछले 60-70 वर्षों से व्यापार करते आ रहे हैं। इसलिए उन्होंने कल्ला से आग्रह किया है कि व्यवसाय एवं अर्थ व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए कृपया पटाखा कारोबार को ऐसा माहौल उपलब्ध कराने का प्रयास करें जिससे की कारोबारी बिना डरे व्यापार कर सके और देशहित में राजस्व के माध्यम से अपना योगदान दे सके।

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