ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन: सरकार की लूट यूं ही चलती रही तो आन्दोलन होंगे व्यापक और तीव्र
– काॅमरेड योगी ने सरकार को दी चेतावनी
बीकानेर। केन्द्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वान पर केन्द्रीय कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति बीकानेर ने किसान व मजदूर विरोधी, जनविरोधी नीतियों के विरोध में जिला कलक्टर बीकानेर के समक्ष प्रदर्शन कर महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन कलक्टर बीकानेर को एआईबीईए, रेल, इंटक , एटक, सीटू, एक्टू, राजस्थान सीटू के नेतृत्व में दिया ।
केन्द्रीय श्रम संगठनों के देशव्यापी आव्हान पर आज पूरे देश में श्रमिकों के ज्वलंत मुद्दों को लेकर प्रतिरोध दिवस मनाया गया ।
केन्द्र की भाजपा सरकार के नेतृत्व में चल रही, केन्द्र सरकार देश के मजदूरों-किसानों पर असंवैधानिक रूप से अध्यादेश विधेयक बिल पारित किया गया । सरकार के दमनात्मक नीतियों के विरोध में समस्त संगठनों ने आगामी 25 सितंबर को किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए लामबंद हैं ।
भारतीय श्रम सम्मेलनों के निर्णय को मानने और लागू करने से सरकार मुकर रही है । अब तो भारत सरकार ने संविधान विरूद्ध जाकर भारतीय श्रम सम्मेलनों का आयोजन बंद कर दिया । अभी हाल ही में भारतीय किसानों को बर्बाद करने वाले तीन विधेयक और 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर,श्रम सुधारों के नाम पर लाए जा रहे 4 चार बिल किसानों और मजदूरों को पूंजीपतियों के गुलाम व बंधुआ बनाने के दस्तावेज प्रत्यक्ष रूप से आमजन के समक्ष है, जिनका किसानों एवं मजदूरों द्धारा पूरजोर विरोध किया जा रहा है ।
केंद्रीय कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, जिला बीकानेर ने रेल, बिजली,ट्रांस्पोर्टर्स,रोडवेज व निर्माण आदि यूनियनों के संयुक्त नेतृत्व में केंद्र व विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा निजीकरण थोपने व श्रम कानूनों को मालिकों के पक्ष में संशोधित करने के खिलाफ प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया है । इसमें बैंक से काॅ. वाई के शर्मा “योगी”, रामदेव राठौड़, इंटक के रमेश कुमार व्यास, अशोक पुरोहित,शिव नारायण पुरोहित, महेंद्र देवड़ा,हेमन्त किराडू, एटक के प्रसन्न कुमार, सीटू के मूलचंद खत्री, शिव नारायण पुरोहित, रेल के अनिल व्यास, रोडवेज के गिरधारी शर्मा, अब्दुल रहमान कौरी शामिल हुई। राज्य सरकार के एडवाइजरी का पालन करते हुए, उचित दूरी रखकर, धारा 144 का ध्यान रखते हुए, केन्द्रीय कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति बीकानेर की ओर से श्रमिक, निजीकरण श्रम कानून में बदलाव की ये मांगें हैं :-
एक तरफ तो प्रवासी मजदूरों पर सरकार द्वारा किये गये दमन पर रोष व्यक्त किया एव साथ ही चेतावनी दी कि मंदी में फंसी अर्थव्यवस्था में मजदूरों सहित इन्कम टेक्स नही देने वाली आम आवाम को 10000/महिना दे अन्यथा अर्थव्यवस्था और मंदी में चली जाएगी । मजदूरों की कटौती वापस ले । बेरोजगारों को रोजगार शीघ्र उपलब्ध करवाने, जबरन सेवानिवृत्त आदेश वापस लेने, काम के घंटों की बढ़ोतरी वापस लेने, रेल के 151 गाड़ियों का निजीकरण आदेश वापस लेने, राष्ट्रीय संपदा की सुरक्षा करने, जबरदस्ती वेतन कटौती आदेश वापस लेने, खराब ऋणों की वसूली कर बैंकों को मजबूत बनाएं। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान अवसर तलाशते हुए सरकार अध्यादेशों के माध्यम से सरकारी महकमों को निजी हाथों मे दे रही है ,वहीं श्रम सुधारों के नाम पर सभी श्रम कानूनों को 1000 या उससे भी अधिक दिनों तक स्थगित कर रही है ,ताकि मालिकों की लूट को बढाया जा सके । लोक डाउन की अव्यवस्थित प्रक्रिया में जहां आम आवाम सकते में है वहीं शेयर मार्केट कुलाचे भर रहा है व काॅर्पोरेट के मुनाफे 4 माह में दुगने हो गये है।
काॅमरेड योगी ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि सरकार की लूंट यू ही चलती रही तो आन्दोलन व्यापक और तीव्र होगे व मोदी सरकार को पीछे हटना ही होगा । मीटिंग को एआईबीईए के वाई.के.शर्मा ने भी सम्बोधित किया।