Rajasthan

अनुसंधान क्षेत्र में नवाचार अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण- पद्म भूषण डॉ विजय पी भटकर

– डॉ शेखर सी मांडे ने महत्‍वाकांक्षी प्रशिक्षण कार्यक्रम शिल्‍प का उद्वघाटन किया

– सीरी ने धूमधाम से मनाया अपना 68वाँ स्‍थापना दिवस

पिलानी, 22 सितंबर। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन सेवारत वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की पिलानी, राजस्थान स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर.सीरी) के 68वें स्‍थापना दिवस का आयोजन 21 सितंबर 2020 को किया गया। ऑनलाइन आयोजित किए गए इस समारोह में भारत का प्रथम सुपर कंप्‍यूटर ‘परम’  बनाने वाले पद्म भूषण डॉ विजय पी भटकर, कुलाधिपति, नालंदा विश्‍वविद्यालय इस अवसर पर मुख्‍य अतिथि थे। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे ने कार्यक्रम की अध्‍यक्षता की तथा अपना अध्‍यक्षीय उद्बोधन दिया। रियर एडमिरल आर स्‍वामीनाथन, एडमिरल सुपरिंटेन्‍डेन्‍ट नेवल डॉकयार्डय प्रोफेसर आर ए गुप्‍ता, कुलपति, राजस्‍थान तकनीकी विश्‍वविद्यालय, कोटा तथा डॉ ए के जैन, पूर्व प्रबंध निदेशक, राजस्‍थान इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एंड इंस्‍ट्रुमेन्‍ट्स लिमिटेड (आर ई आई एल) जयपुर इस अवसर पर विशिष्‍ट अतिथि थे। संस्‍थान के निदेशक डॉ पी सी पंचारिया ने सभी अतिथियों का स्‍वागत किया। समारोह में संस्‍थान के सहकर्मियों के अतिरिक्‍त पूर्व निदेशक डॉ शमीम अहमदए डॉ चंद्रशेखरय पूर्व मुख्‍य वैज्ञानिक डॉ एस एन जोशीए डॉ एस के भटनागरए डॉ जमील अख्‍तरए डॉ एल एम जोशीए डॉ आर के गुप्‍ता एवं अन्‍य पूर्व सहकर्मीभी ऑनलाइन सम्मिलित हुए। इनके अतिरिक्‍त स्‍थानीय शिक्षण व अन्‍य संस्‍थानों के गणमान्‍य अतिथियों तथा मीडिया जगत के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ परम्‍परागत रूप से सरस्‍वती वंदना के साथ हुआ।

अपने अध्‍यक्षीय उद्बोधन में सीएसआईआर के महानिदेशक एवं सचिवए डीएसआईआर डॉ शेखर सीण् मांडे ने संस्‍थान के निदेशक डॉ पंचारिया सहित सभी सहकर्मियों को सीरी स्‍थापना दिवस की बधाई दी। उन्‍होंने मुख्‍य अतिथि डॉ भटकर एवं विशिष्‍ट अतिथियों को सीरी स्‍थापना दिवस पर उनकी उपस्थिति के लिए आभार व्‍यक्‍त करते हुए कोराना महामारी के इस वैश्‍विक संकट में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्‍होंने सभी अतिथियों एवं इस आयोजन से ऑनलाइन जुड़े साथियों को हाल ही में सीएसआईआर की नई दिल्‍ली स्थित प्रयोगशाला आईजीआईबी द्वारा विकसित डायग्‍नोस्टिक किट की जानकारी देते हुए बताया कि सीएसआईआर.आईजीआईबी और टाटा ग्रुप द्वारा संयुक्‍त रूप से विकसित इस किट को डीसीजीआई द्वारा भारत में उपयोग के लिए अनुमोदन प्राप्‍त हुआ है। उन्‍होंने इसके लिए पूरी अनुसंधान टीम को बधाई दी।

डॉ मांडे ने इस अवसर पर सीएसआईआर.सीरी द्वारा आरंभ जा रहे महत्‍वाकांक्षी प्रशिक्षण कार्यक्रम श्शिल्‍पश् ;सेमिकंडक्‍टर हाई इम्‍पैक्‍ट लर्निंग प्रोग्राम का उद्घाटन भी किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक डॉ अभिजीत कर्माकरए वरिष्‍ठ प्रधान वैज्ञानिक ने भारत सरकार की कौशल विकास योजना के अंतर्गत आरंभ किए जा रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के विषय में जानकारी दी।

इस अवसर पर मुख्‍य अतिथि पद्म भूषण डॉ विजय पी भटकर ने संस्‍थान के सहकर्मियों एवं आयोजन के विशिष्‍ट अतिथियों को 68वें स्‍थापना दिवस की हार्दिक बधाई दी। उन्‍होंने अपने अथक परिश्रम द्वारा संस्‍थान की उपलब्धियाँ अर्जित करने के लिए सभी पूर्व तथा वर्तमान सहकर्मियों को उनके साधुवाद दिया। अपने स्‍थापना दिवस उद्बोधन में उन्‍होंने कहा कि सीएसआईआर.सीरी इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के क्षेत्र में पहली राष्‍ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला थी । अपने संबोधन में उन्‍होंने देवी वंदना से कार्यक्रम के पारंपरिक शुभारंभ के लिए प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि हमें अपनी परंपराओं और सांस्‍कृतिक का पालन करते हुए वैज्ञानिक दायित्‍वों का निर्वहन करना चाहिए। अपनी सांस्‍कृतिक धरोहर को सहेजना और अगली पीढ़ी तक पहुँचाना भी हमारा दायित्‍व है। उन्‍होंने बताया कि यह हमारे स्‍वतंत्रता प्राप्ति का वर्ष था जब न्‍यू जर्सी की बेल प्रयोगशालाओं में ट्रांजिस्‍टर नामक छोटे से उपकरण का आविष्‍कार हुआ। इस ट्रांजिस्‍टर के अनुसंधान ने इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स की दिशा ही बदल दी और इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन का सूत्रपात किया। इस अनुसंधान के लिए विलियम शॉक्‍ली, जॉन बार्डीन और वॉल्‍टर ब्रैट्टेन को नोबेल पुरस्‍कार से भी सम्‍मानित किया गया। उन्‍होंने कहा कि अनुसंधान के क्षेत्र में नवाचारों या इनोवेशन अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण हैं। इसी को ध्‍यान में रखते हुए विज्ञान संबंधी नीति अब बदल कर विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति हो गई है। इस अवसर पर उन्‍होंने विज्ञान जगत में हुए बदलावों पर भी प्रकाश डाला। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के महत्‍व को रेखांकित करते हुए डॉ भटकर ने कहा आज हम इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के बिना जीवन की कल्‍पना नहीं कर सकते। उन्‍होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में किसी भी विधा में उतना विकास नहीं किया जितना इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स ने किया है। उन्‍होंने सीरी द्वारा आरंभ किए जा रहे नए प्रशिक्षण कार्यक्रम शिल्‍प की प्रशंसा की। अपने संबंधों में उन्‍होंने सीरी के भावी शोध मानचित्र पर भी प्रकाश डाला। उन्‍होंने सीरी द्वारा विकसित क्षीर स्‍कैनर एवं क्षीर टेस्‍टर, चाय उद्योगों के लिए किए गए इंस्‍ट्रुमेन्‍टेशन की भी प्रशंसा की। उन्‍होंने कहा देश को कृषि अर्थव्‍यवस्‍था बताते हुए अपने ग्रामीण जनजीवन और कृषि से जुड़े लोगों के लिए भी ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए। अंत में उन्‍होंने सीरी के नेतृत्‍व के लिए सीरी के निदेशक डॉ पंचारिया तथा सीएसआईआर के नेतृत्‍व के लिए डॉ शेखर सी मांडे, महानिदेशक, सीएसअसाईआर को अपनी शुभकामनाएँ दी और इस अवसर पर आमंत्रित करने के लिए धन्‍यवाद दिया।

विशिष्‍ट अतिथि रियर एडमिरल आर स्‍वामीनाथन ने निदेशक, सीएसआईआर.सीरी सहित सभी सीरी कार्मिकों को स्‍थापना दिवस की बधाई देते हुए सीएसआईआर द्वारा विगत 77 वर्षों में किए गए नवीन एवं अत्‍याधुनिक अनुसंधान कार्यों की प्रशंसा की। अपने संबोधन में उन्‍होंने भारतीय सीमाओं पर मौजूदा स्थिति पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए भारत सरकार के आत्‍मनिर्भर भारत अभियान को समय की ज़रूरत बताया तथा महत्‍वपूर्ण रक्षा उपकरणों और सेंसर्स के भारत में ही निर्माण को रेखांकित किया। उन्‍होंने कहा कि इस अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण उद्देश्‍य की पूर्ति में सीरी सहित सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं की बड़ी भूमिका रहेगी । इस अवसर पर उन्‍होंने नौसेना के भावी कार्यक्रमों और इनमें सीरी तथा सीएसआईआर की भूमिका पर चर्चा की। अपने संबोधन में उन्‍होंने संस्‍थान के तीनों प्रमुख शोध क्षेत्रों में किए जा रहे शोध कार्यों की भी सराहना की तथा आशा व्‍यक्‍त की कि वर्तमान में चल रहे शोध कार्य भारतीय नौसेना के लिए अत्‍यंत लाभकारी होंगे। अंत में उन्‍होंने सीरी के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की कामना करते हुए सीरी परिवार के सभी साथियों को स्‍थापना दिवस की शुभकामना दी ।

विशिष्‍ट अतिथि प्रोफेसर आर ए गुप्‍ता, कुलपति, आर टी यू, कोटा ने भी इस अवसर पर सीरी परिवार के सभी साथियों को स्‍थापना दिवस की बधाई दी । उन्‍होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आर्थिक विकास का आधार मानते हुए आधुनिक भारत ने इस दिशा में अपना ध्‍यान मज़बूती से केंद्रित किया है। उन्‍होंने देश में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की स्‍थापना की पृष्‍ठभूमि पर भी प्रकाश डालते हुए इसके लिए तत्‍कालीन नेतृत्‍व की प्रशंसा की। अपने संबोधन में उन्‍होंने राजस्‍थान तकनीकी विश्‍वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों से भी अवगत कराया।

विशिष्‍ट अतिथि डॉ ए के जैन, पूर्व प्रबंध निदेशक, आर ई आई एल, जयपुर ने इस अवसर पर सीरी और आरईआईएल के परस्‍पर संबंधों को याद करते हुए इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स इंस्‍ट्रुमेन्‍टेशन की दिशा में सीरी द्वारा दिए गए सहयोग की सराहना की। डॉ जैन ने कोविड 19 के कारण उत्‍पन्‍न परिस्थितियों और उससे निपटने के लिए सीएसआईआर परिवार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की मुक्‍त कंठ से सराहना की।

इससे पूर्व संस्‍थान के निदेशक डॉ पी सी पंचारिया ने मुख्‍य अतिथि डॉ भटकर, आयोजन के अध्‍यक्ष डॉ शेखर सी मांडे, विशिष्‍ट अतिथियों एवं अपने पूर्व निदेशकों सहित कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े अन्‍य सभी अतिथियों स्‍वागत किया । उन्‍होंने इस अवसर पर सीएसआईआर की स्‍थापना की पृष्‍ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए इसकी स्‍थापना के उद्देश्‍यों की चर्चा की। अपने संबोधन में उन्‍होंने संस्‍थान द्वारा गतवर्ष अर्जित उपलब्धियों एवं अन्‍य क्रियाकलापों का संक्षिप्‍त विवरण प्रस्‍तुत किया। डॉ पंचारिया ने अपने सभी पूर्व निदेशकों और उनके योगदान को याद किया। अंत में उन्‍होंने सभी सेवा एवं प्रौद्योगिकी पुरस्‍कार विजेताओं को बधाई देते हुए सभी सहकर्मियों को सीरी स्‍थापना दिवस की शुभकामना दी ।

कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्‍ठ प्रधान वैज्ञानिक डाॅ निधि चतुर्वेदी एवं वैज्ञानिक नलिनी पारीक ने किया। संचालन के दौरान उन्‍होंने अतिथियों का औपचारिक परिचय भी दिया। कार्यक्रम का समापन राष्‍ट्र गान से हुआ।

सेवा सम्‍मान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्‍कार
स्‍थापना दिवस समारोह के दूसरे चरण में संस्‍थान के निदेशक डॉ पी सी पंचारिया ने संस्‍थान में 10, 20, 25 तथा 30 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले सहकर्मियों को सेवा पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया। इसके अतिरिक्‍त डॉ पंचारिया ने द्वारा प्रौद्योगिकी, अनुसंधान उत्‍कृष्‍टता एवं नवाचार पुरस्‍कार के विजेताओं को भी पुरस्‍कृत किया गया। अंत में संस्‍थान के मुख्‍य वैज्ञानिक डॉ पी के खन्‍ना ने धन्‍यवाद ज्ञापित करते हुए सभी अतिथियों के प्रति आभार व्‍यक्‍त किया तथा आयोजन की सफलता के लिए निदेशक के मार्गदर्शन में प्रत्‍यक्ष तथा परोक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी सहकर्मियों को धन्‍यवाद दिया । स्‍थापना दिवस कार्यक्रम के दूसरे चरण का संचालन हिंदी एवं जनसंपर्क अधिकारी रमेश बौराए ने किया

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